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Shimla Landslide: समरहिल लैंडस्लाइड में कालका-शिमला रेलवे लाइन क्षतिग्रस्त, हवा में लटकी पटरी

शिमला में भूस्खलन की चपेट में आने से कालका-शिमला रेलवे मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया. पटरी के नीचे से जमीन खिसक गई है, जिसकी वजह से पटरी हवा में लटकी हुई है. पढ़िए पूरी खबर...(Shimla Landslide) (Kalka Shimla railway line damaged)

Shimla Landslide
कालका-शिमला रेलवे लाइन क्षतिग्रस्त
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Published : Aug 15, 2023, 11:12 AM IST

Updated : Aug 15, 2023, 12:03 PM IST

कालका-शिमला रेलवे लाइन क्षतिग्रस्त

शिमला: 14 अगस्त को शिमला के समरहिल में शिव मंदिर पर हुए भूस्खलन हुआ. जिसकी चपेट में 120 साल पुराना ऐतिहासिक कालका-शिमला रेलवे मार्ग भी चपेट में आ गया. इस रेलवे लाइन का एक हिस्सा यहां क्षतिग्रस्त हो गया है. जिससे रेलवे की पटरी हवा में लटक गई है. यह पहली बार है, जब कालका-शिमला ट्रैक को इतना बड़ा नुकसान हुआ है. इसके चलते कालका-शिमला रेलवे मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही ठप हो गई हैं. इस रेलवे लाइन की मरम्मत को काफी समय लगने की संभावना है. क्योंकि यहां भूस्खलन से काफी बड़ा हिस्सा खराब हो बर्बाद हो गया है.

रोमांचकारी है कालका-शिमला रेलवे मार्ग का सफर: कालका-शिमला रेलवे लाइन पहाड़ियों से होकर गुजरती है. इसका सफर रोमांचकारी है. कालका-शिमला रेल लाइन पर 103 सुरंगें सफर को और भी रोमांचकारी बनाती हैं. यही वजह है कि सैलानी इस रेलवे मार्ग पर सफर करना पसंद करते हैं. देश ही नहीं विदेश के सैलानी भी इसके रोमांचकारी सफर का आनंद लेते हैं. इस मार्ग की बड़ोग रेलवे स्टेशन पर कालका से 41 किलोमीटर दूर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है, जो कि 1143.61 मीटर लंबी है. इस सुरंग को बनाते हुए जब दोनों सिरे नहीं मिले थे, तो ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बड़ोग ने एक रुपया जुर्माना लगने के कारण आत्महत्या कर ली थी.

बाबा भलकू की मदद से बनी सुरंग: यह सुरंग बाबा भलकू के सहयोग से पूरी हुई थी. इस सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन ढाई मिनट का समय लेती है. इसके अलावा इस रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल हैं. पूरे रेलमार्ग पर 919 घुमाव आते हैं और तीखे मोड़ों पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है. कालका-शिमला रेलमार्ग नेरोगेज लाइन है, इसकी पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है. कालका- शिमला रेलवे लाइन बनाने कार्य 1896 में दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था, जिससे 1898 और 1903 के बीच तैयार किया गया. इसके बाद 9 नवंबर, 1903 को इस रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी. 96 किलोमीटर लंबा यह रेलमार्ग यह कालका स्टेशन से शिमला रेलवे तक है जिसमें कुल 18 स्टेशन है.

यूनेस्को ने कालका-शिमला लाइन को विश्व हेरिटेज का दर्जा दिया: कालका-शिमला रेल लाइन के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था. इस रेलवे लाइन कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था, यह पुल शिमला जाते हुए 64.76 किमी की दूरी पर बना है. आर्च शैली में बने चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं. इस ऐतिहासिक मार्ग से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1921 में यात्रा की थी.

ये भी पढ़ें: Shimla Landslide: शिमला के समरहिल शिव मंदिर में फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू, अब तक 10 शव बरामद

कालका-शिमला रेलवे लाइन क्षतिग्रस्त

शिमला: 14 अगस्त को शिमला के समरहिल में शिव मंदिर पर हुए भूस्खलन हुआ. जिसकी चपेट में 120 साल पुराना ऐतिहासिक कालका-शिमला रेलवे मार्ग भी चपेट में आ गया. इस रेलवे लाइन का एक हिस्सा यहां क्षतिग्रस्त हो गया है. जिससे रेलवे की पटरी हवा में लटक गई है. यह पहली बार है, जब कालका-शिमला ट्रैक को इतना बड़ा नुकसान हुआ है. इसके चलते कालका-शिमला रेलवे मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही ठप हो गई हैं. इस रेलवे लाइन की मरम्मत को काफी समय लगने की संभावना है. क्योंकि यहां भूस्खलन से काफी बड़ा हिस्सा खराब हो बर्बाद हो गया है.

रोमांचकारी है कालका-शिमला रेलवे मार्ग का सफर: कालका-शिमला रेलवे लाइन पहाड़ियों से होकर गुजरती है. इसका सफर रोमांचकारी है. कालका-शिमला रेल लाइन पर 103 सुरंगें सफर को और भी रोमांचकारी बनाती हैं. यही वजह है कि सैलानी इस रेलवे मार्ग पर सफर करना पसंद करते हैं. देश ही नहीं विदेश के सैलानी भी इसके रोमांचकारी सफर का आनंद लेते हैं. इस मार्ग की बड़ोग रेलवे स्टेशन पर कालका से 41 किलोमीटर दूर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है, जो कि 1143.61 मीटर लंबी है. इस सुरंग को बनाते हुए जब दोनों सिरे नहीं मिले थे, तो ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बड़ोग ने एक रुपया जुर्माना लगने के कारण आत्महत्या कर ली थी.

बाबा भलकू की मदद से बनी सुरंग: यह सुरंग बाबा भलकू के सहयोग से पूरी हुई थी. इस सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन ढाई मिनट का समय लेती है. इसके अलावा इस रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल हैं. पूरे रेलमार्ग पर 919 घुमाव आते हैं और तीखे मोड़ों पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है. कालका-शिमला रेलमार्ग नेरोगेज लाइन है, इसकी पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है. कालका- शिमला रेलवे लाइन बनाने कार्य 1896 में दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था, जिससे 1898 और 1903 के बीच तैयार किया गया. इसके बाद 9 नवंबर, 1903 को इस रेलमार्ग की शुरुआत हुई थी. 96 किलोमीटर लंबा यह रेलमार्ग यह कालका स्टेशन से शिमला रेलवे तक है जिसमें कुल 18 स्टेशन है.

यूनेस्को ने कालका-शिमला लाइन को विश्व हेरिटेज का दर्जा दिया: कालका-शिमला रेल लाइन के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था. इस रेलवे लाइन कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था, यह पुल शिमला जाते हुए 64.76 किमी की दूरी पर बना है. आर्च शैली में बने चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं. इस ऐतिहासिक मार्ग से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1921 में यात्रा की थी.

ये भी पढ़ें: Shimla Landslide: शिमला के समरहिल शिव मंदिर में फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू, अब तक 10 शव बरामद

Last Updated : Aug 15, 2023, 12:03 PM IST
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