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खत्म हुआ इंतजार, जल्द ही शिमला के इस ऐतिहासिक भवन का होगा जीर्णोद्धार - एडवांस स्टडी

शिमला शहर की सबसे पुरानी बिल्डिंग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी का अस्तित्व बरकरार रखने के लिए जल्द ही भवन का जीर्णोद्धार किया जाएगा. जिसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से 65 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी
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Published : Oct 18, 2019, 1:10 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के ब्रिटिशकाल की सबसे पुरानी बिल्डिंग को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के नाम से विश्वभर में जाना जाता है. अब इस खस्ताहल भवन की खस्ताहालत में जल्द ही सुधार किया जाएगा. केंद्र सरकार ने भवन के जीर्णोद्धार के लिए 65 करोड़ का बजट मंजूर किया है.

बता दें कि इस भवन की ऐतिहासिकता और भव्यता इतनी है कि इसे देखने के लिए लाखों विदेशी ओर अन्य सैलानी यहां पहुंचते है. बीते काफी समय से एडवांस स्टडी का प्रबंधन बजट की मंजूरी का इंतजार कर रहा था, लेकिन अब जल्द ही भवन की मरम्मत का काम शुरु किया जाएगा.

वीडियो

संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने बताया कि संस्थान की इमारत के नवीनीकरण की योजना बनाने के छह साल बाद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इमारत के जीर्णोद्धार के लिए 65 करोड़ मंजूर किए है. संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने कहा कि वर्ष 2014 में एड्सल नाम के एक्सपर्ट ने इंस्टीट्यूट की इमारत के जीर्णोद्धार के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया था.

संस्थान के निदेशक ने बताया कि इंस्टीट्यूट के जीर्णोद्धार के लिए दो प्रोजेक्ट बनाए गए थे. जिसके एक प्रोजेक्ट में इंस्टीट्यूट का पूरा भवन शामिल है और दूसरे प्रोजेक्ट में संस्थान का किचन विंग है, जो पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुका है. इस विंग की हालत इतनी खराब है कि इसका इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है. प्रो.मकरंद ने बताया कि भवन के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2014 में 5 करोड़ रुपये सीपीडब्ल्यूडी को दे भी दिए गए है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है.

शिमला: राजधानी शिमला के ब्रिटिशकाल की सबसे पुरानी बिल्डिंग को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के नाम से विश्वभर में जाना जाता है. अब इस खस्ताहल भवन की खस्ताहालत में जल्द ही सुधार किया जाएगा. केंद्र सरकार ने भवन के जीर्णोद्धार के लिए 65 करोड़ का बजट मंजूर किया है.

बता दें कि इस भवन की ऐतिहासिकता और भव्यता इतनी है कि इसे देखने के लिए लाखों विदेशी ओर अन्य सैलानी यहां पहुंचते है. बीते काफी समय से एडवांस स्टडी का प्रबंधन बजट की मंजूरी का इंतजार कर रहा था, लेकिन अब जल्द ही भवन की मरम्मत का काम शुरु किया जाएगा.

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संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने बताया कि संस्थान की इमारत के नवीनीकरण की योजना बनाने के छह साल बाद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इमारत के जीर्णोद्धार के लिए 65 करोड़ मंजूर किए है. संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने कहा कि वर्ष 2014 में एड्सल नाम के एक्सपर्ट ने इंस्टीट्यूट की इमारत के जीर्णोद्धार के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया था.

संस्थान के निदेशक ने बताया कि इंस्टीट्यूट के जीर्णोद्धार के लिए दो प्रोजेक्ट बनाए गए थे. जिसके एक प्रोजेक्ट में इंस्टीट्यूट का पूरा भवन शामिल है और दूसरे प्रोजेक्ट में संस्थान का किचन विंग है, जो पूरी तरह से खस्ताहाल हो चुका है. इस विंग की हालत इतनी खराब है कि इसका इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है. प्रो.मकरंद ने बताया कि भवन के जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2014 में 5 करोड़ रुपये सीपीडब्ल्यूडी को दे भी दिए गए है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है.

Intro:शिमला के ब्रिटिशकालीन समय की सबसे पुरानी बिल्डिंग जिसे
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी के नाम से विश्वभर में जाना जता है उसका अस्तित्व बरकरार रहेगा। इस भवन की ऐतिहासिकता ओर भव्यता इतनी है कि इसे देखने के लिए लाखों विदेशी ओर अन्य सैलानी यहां पहुंचते है। भवन की जो खस्ताहालत अब उसमें सुधार किया जाएगा ओर भवन के जीर्णोद्धार का काम शुरू होगा। इस ऐतिहासिक भवन की भव्यता ओर इसमें बसे इतिहास को सहेज कर रखा जा सके इसके लिए केंद्र की ओर 65 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है। इस बजट की मंजूरी का इंतजार काफी वर्षों से संस्थान को था और अब जब राशि मंजूर हो गई है तो भवन में जहां जहां दरारें आई है और जिस हिस्से की हालत ख़स्ताहाल है उसे सबसे पहले ठीक किया जाएगा।


Body:संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने बताया कि संस्थान की इमारत के नवीनीकरण की योजना बनाने के छह साल बाद,मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इमारत को बहाल करने के लिए 65 करोड़ मंजूर किए है। संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर.परांजपे ने कहा कि वर्ष 2014 में एड्सल नाम के एक्सपर्ट ने इंस्टीट्यूट की इमारत के जीर्णोद्धार के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की थी जिसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा गया था। इस रिपोर्ट के तहत 56 करोड़ का एस्टीमेट बना कर भेजा गया था जो अब 6 साल बाद 67 करोड़ का हो गया है। इंस्टीट्यूट के जीर्णोद्धार के लिए दो प्रोजेक्ट बनाए गए थे जिसमें एक प्रोजेक्ट जिसमें इंस्टीट्यूट का पूरा भवन शामिल है वो 67 करोड़ का है और दूसरा प्रोजेक्ट 12 करोड़ का तैयार किया गया हैं जो कि संस्थान के किचन विंग के लिए है जो पूरी तरह से ख़स्ताहाल है। इस विंग की हालत इतनी खराब है कि इसका इस्तेमाल भी नहीं हो पा रहा है, हालांकि इसके जीर्णोद्धार के लिए वर्ष 2014 में 5 करोड़ रुपए सीपीडब्ल्यूडी को दे भी दिए गए है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।


Conclusion:बता दे की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी ब्रिटिशकालीन समय ने तैयार किया गया भवन है जिसे अब उच्च अध्ययन के लिए देश विदेश में जाना जाता है लेकिन पर्यटक आज भी ब्रिटिशकाल में बने इस भवन को देखने की चाह रखते है। बता दे कि इस संस्थान का इतिहास गौरवमयी रहा है। जहां तक जानकारी है इस भवन का निर्माण वर्ष 1884 में तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड डफरिन के लिए किया गया था और इसी की तर्ज पर इसे वाइसरीगल लॉज भी कहा जाता है । इस भवन की ऐतिहासिकता की एक खास बात यह है कि आजादी की लड़ाई के समय इस संस्थान
के भवन में कई ऐतिहासिक बैठकें हुए और फ़ैसले लिए गए। भारत और पाकिस्तान के विभाजन का भी 1945 में इसी भवन हुआ था जिसका निशान आज भी यहां उस टेबल पर दिखाई देता है जिसपर इस ऐतिहासिक फैसले को लिया गया था। आजादी के बाद इस भवन को एक नई पहचान देते हुए इसे राष्ट्रपति निवास का नाम दिया गया। इसके बाद राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने इस भवन को उच्च शिक्षा और शोध संस्थान बनाने का फ़ैसला लिया और तब से यह संस्थान अपनी इस पहचान को कायम रखे है।
इस भवन को बनाने की शैली और इसके इतिहास के चलते यह इंस्टीट्यूट विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों सैलानी यहां इस इमारत को देखने और इसके इतिहास के बारे में जनाकारी जुटाने के लिए ही पहुंचते है लेकिन इस ऐतिहासिक भवन जिसके हर एक पत्थर में इतिहास बसता ओर बोलता है वह भवन अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा था जो अब बजट मिलने के बाद संभव हो पाएगा।
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