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HPU के प्रोफेसर ने लाहौल स्पीति के लिए तैयार किया पर्यटन मॉडल, प्रदेश सरकार से की ये मांग

प्रोफेसर डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने लाहौल स्पीति की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक पर्यटन मॉडल तैयार किया है. लेकिन प्रदेश की सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है. लाहौल स्पीति को शिमला और मनाली बनने से बचाने के लिए यह मोडिफाइड भूटान पर्यटन मॉडल कारगर है. प्रोफेसर ने मांग की है कि इस पर्यटन मॉडल को प्रदेश सरकार लाहौल स्पीति और रोहतांग के लिए अपनाए.

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Published : Sep 1, 2019, 11:48 PM IST


शिमला: एचपीयू के एमटीए विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन परशीरा ने लाहौल स्पीति की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक पर्यटन मॉडल तैयार किया है. इस पर्यटन मॉडल को लेकर प्रदेश की सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है.

डॉ. चंद्रमोहन परशीरा ने हिमाचल की तरह ही पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए भी एक पर्यटन नीति तैयार की थी. उत्तराखंड सरकार ने 2013 में इसे लागू कर दिया था. लाहौल स्पीति का पर्यटन मॉडल भूटान में पर्यटन संचालन के लिए बनाए गए मॉडल पर आधारित है.

वीडियो

1974 में भूटान के लिए उच्चतम मूल्य और न्यूनतम प्रभाव पर आधारित मॉडल पर्यटन के लिए स्थापित किया था. इस मॉडल के तहत भूटान में पर्यटकों की आमद को नियंत्रित किया जाता है. भूटान में आने वाले पर्यटकों में से 25% से अधिक लोग धार्मिक पर्यटन यानी बौद्ध धर्म को देखने आते हैं.

वहीं, 12 फीसदी लोग साहसिक पर्यटन के लिए आते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भूटान और लाहौल स्पीति की बौद्ध संस्कृति में समानता को देखते हुए डॉ. परशीरा ने यह पर्यटन मॉडल तैयार किया गया है.वर्तमान समय में लाहौल स्पीति में शत प्रतिशत बौद्ध समाज है.

ऐसे में इस बौद्ध समाज की संस्कृति को बचाकर रखने के लिए जो मॉडल तैयार किया गया है, उसमें घाटी की संस्कृति, सभ्यता, ग्लेशियर और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पर्यटन को नियंत्रित करने का भी प्रावधान है. इसके साथ ही पर्यटन को विदेशी, भारतीय और क्षेत्रीय स्तर पर बांटने का भी प्रावधान किया गया है.

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डॉक्टर परशीरा चाहते हैं कि इस पर्यटन मॉडल को प्रदेश सरकार लाहौल स्पीति और रोहतांग के लिए अपनाए. यहां तक ही वर्ल्ड बैंक भी इस मॉडल को लेकर डॉ परशीरा से चर्चा कर चुका है लेकिन सरकार ने अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की है.

डॉ.परशीरा का कहना है कि यह मॉडल लाहौल स्पीति की 28 पंचायतों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयार किया है. उनका कहना है कि रोहतांग टनल के खुलने के बाद लाहौल स्पीति के लिए जाने वाले पर्यटकों की संख्या भीड़ में बदल जाएगी. लाहौल स्पीति को शिमला और मनाली बनने से बचाने के लिए यह मोडिफाइड भूटान पर्यटन मॉडल कारगर है.

ये भी पढे़ं -लोगों के दिमाग से नहीं उतर रहा बच्चा चोरी की अफवाहों का 'भूत, भीड़ ने ट्रक ड्राइवर को पीटा


शिमला: एचपीयू के एमटीए विभाग के प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन परशीरा ने लाहौल स्पीति की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एक पर्यटन मॉडल तैयार किया है. इस पर्यटन मॉडल को लेकर प्रदेश की सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है.

डॉ. चंद्रमोहन परशीरा ने हिमाचल की तरह ही पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए भी एक पर्यटन नीति तैयार की थी. उत्तराखंड सरकार ने 2013 में इसे लागू कर दिया था. लाहौल स्पीति का पर्यटन मॉडल भूटान में पर्यटन संचालन के लिए बनाए गए मॉडल पर आधारित है.

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1974 में भूटान के लिए उच्चतम मूल्य और न्यूनतम प्रभाव पर आधारित मॉडल पर्यटन के लिए स्थापित किया था. इस मॉडल के तहत भूटान में पर्यटकों की आमद को नियंत्रित किया जाता है. भूटान में आने वाले पर्यटकों में से 25% से अधिक लोग धार्मिक पर्यटन यानी बौद्ध धर्म को देखने आते हैं.

वहीं, 12 फीसदी लोग साहसिक पर्यटन के लिए आते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भूटान और लाहौल स्पीति की बौद्ध संस्कृति में समानता को देखते हुए डॉ. परशीरा ने यह पर्यटन मॉडल तैयार किया गया है.वर्तमान समय में लाहौल स्पीति में शत प्रतिशत बौद्ध समाज है.

ऐसे में इस बौद्ध समाज की संस्कृति को बचाकर रखने के लिए जो मॉडल तैयार किया गया है, उसमें घाटी की संस्कृति, सभ्यता, ग्लेशियर और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पर्यटन को नियंत्रित करने का भी प्रावधान है. इसके साथ ही पर्यटन को विदेशी, भारतीय और क्षेत्रीय स्तर पर बांटने का भी प्रावधान किया गया है.

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डॉक्टर परशीरा चाहते हैं कि इस पर्यटन मॉडल को प्रदेश सरकार लाहौल स्पीति और रोहतांग के लिए अपनाए. यहां तक ही वर्ल्ड बैंक भी इस मॉडल को लेकर डॉ परशीरा से चर्चा कर चुका है लेकिन सरकार ने अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की है.

डॉ.परशीरा का कहना है कि यह मॉडल लाहौल स्पीति की 28 पंचायतों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयार किया है. उनका कहना है कि रोहतांग टनल के खुलने के बाद लाहौल स्पीति के लिए जाने वाले पर्यटकों की संख्या भीड़ में बदल जाएगी. लाहौल स्पीति को शिमला और मनाली बनने से बचाने के लिए यह मोडिफाइड भूटान पर्यटन मॉडल कारगर है.

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Intro:लाहौल स्पीति की वास्तविक पहचान और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए एचपीयू एमटीए विभाग के प्रोफेसर डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने एक पर्यटन मॉडल तैयार किया है, लेकिन इस पर्यटन मॉडल को लेकर प्रदेश की सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। बड़ी बात यह है कि डॉ चंद्रमोहन परशीरा ने हिमाचल की तरह ही पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए भी एक पर्यटन नीति तैयार की है। इस उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2013 में लागू भी कर दिया है, लेकिन अपने ही प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति की वास्तविक पहचान और सुंदरता को बचाए रखने के लिए डॉक्टर परशीरा की ओर से तैयार किए गए पर्यटन मॉडल को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। ना तो पूर्व की कांग्रेस सरकार ने इस मॉडल को लेकर गंभीरता दिखाई और ना ही वर्तमान की राज्य सरकार इस मॉडल के पहलुओं को जानने के लिए रुचि दिखा रही हैं। यही वजह है कि वर्ष 2016 में जिस पर्यटन मॉडल को लाहौल स्पीति के लिए तैयार किया गया था वह आज भी जस का तस कागजों में ही सीमित रह गया है।


Body:जो मॉडल लाहौल स्पीति के लिए डॉ.परशीरा ने तैयार किया है वह मॉडल भूटान में पर्यटन संचालन के लिए बनाए गए मॉडल पर आधारित है। मॉडल में डॉ.परशीरा ने लाहौल स्पीति के सांस्कृतिक स्वरूप और व्यवसायिक रूप से स्वावलंबी बनाए रखने का खाका खींचा है। उन्होंने भूटान मॉडल पर सर्वे कर उसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की है जिसमें सामने आया है कि भूटान में पर्यटन के विकास के साथ भूटान की लोक संस्कृति, जीवन शैली और पर्यावरण संरक्षण को सबसे अहम स्थान दिया गया है। इन्हीं सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए 1974 में भूटान के लिए उच्चतम मूल्य और न्यूनतम प्रभाव पर आधारित मॉडल पर्यटन के लिए स्थापित किया और एक ऐसा खाका खींचा जिसमें सकल घरेलू प्रसन्नता, पर्यटन, आर्थिक समृद्धि, पर्यावरण और जैव विविधता, सामाजिक,सांस्कृतिक, आर्थिक रूप के लाभ का समावेश हो। इसे ही भूटान मॉडल का नाम दिया गया। इस मॉडल के तहत भूटान में पर्यटकों की आमद को नियंत्रित किया जाता है। भूटान में आने वाले पर्यटकों में से 25% से अधिक लोग धार्मिक पर्यटन यानी बौद्ध धर्म को देखने आते हैं। वहीं 12 फ़ीसदी लोग साहसिक पर्यटन के लिए आते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भूटान और लाहौल स्पीति की बौद्ध संस्कृति में समानता को देखते हुए डॉ परशीरा ने यह पर्यटन मॉडल तैयार किया गया है।


Conclusion:वर्तमान समय में लाहौल स्पीति में शत प्रतिशत बौद्ध समाज है ऐसे में इस बौद्ध समाज की संस्कृति को बचाकर रखने के लिए जो मॉडल तैयार किया गया है उसमें घाटी की संस्कृति, सभ्यता, ग्लेशियर और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पर्यटन को नियंत्रित करने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही पर्यटन को विदेशी, भारतीय और क्षेत्रीय स्तर पर बांटने का भी प्रावधान किया गया है। डॉक्टर परशीरा चाहते हैं कि उनके इस तैयार किए गए पर्यटन मॉडल को प्रदेश सरकार लाहौल स्पीति और रोहतांग के लिए अपनाएं। यहां तक ही वर्ल्ड बैंक भी इस मॉडल को लेकर डॉ परशीरा से चर्चा कर चुका है,लेकिन सरकार ने अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की है। डॉ.परशीरा का कहना है कि यह मॉडल लाहौल स्पीति की 28 पंचायतों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयार किया है। उनका कहना है कि रोहतांग टनल के खुलने के बाद लाहौल स्पीति के लिए जाने वाले पर्यटकों की संख्या भीड़ में बदल जाएगी। जो स्थान 6 माह भारी बर्फ़बारी के चलते बंद रहता है वहां टनल बनने के बाद ना जाने कितने ही वाहन रोजाना पहुंचगे जिससे कि उस स्थान की खूबसूरती और वहां के स्वच्छ पर्यावरण पर वहां की संस्कृति पर इसका बुरा असर होगा ऐसे में लाहौल को शिमला ओर मनाली बनने से बचाने के लिए यह मोडिफाइड भूटान पर्यटन मॉडल कारगर है। उनका कहना है कि अगर सरकार रुचि दिखाए तो वह यह मॉडल सरकार को दे कर लाहौल स्पीति के लोगों को इसका लाभ देंगे।
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