शिमला/रामपुर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में अब कुछ ही महीने शेष रह गए हैं. राजनीतिक दलों को बस चुनावी तारीखों के ऐलान का इंतजार है. चुनाव से पहले हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) के माध्यम से हर एक विधानसभा क्षेत्र से रू-ब-रू करा रहे हैं. इस सीरीज में आज हम 66वां विधानसभा क्षेत्र रामपुर में चुनावी समीकरण की बात करेंगे. (Himachal Assembly Elections 2022) (Rampur Assembly Constituency Seat Ground Report)
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के गढ़ माने जाने वाले रामपुर विधानसभा क्षेत्र (Rampur Assembly Constituency) में भाजपा को आज तक जीत हासिल नहीं हुई है. कांग्रेस के इस अभेद्य किले में 6 बार सिंघी राम ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विजय पताका फहराई है. इससे पहले नेक राम नेगी एक बार स्वतंत्र और एक बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने हैं. 1977 में जरूर निजू राम ने जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी. पिछले तीन विधानसभा चुनावों से यहां नंदलाल जीत दर्ज कर रहे हैं.
इस बार कांटे की टक्कर होने की उम्मीद: वैसे तो रामपुर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह नहीं हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. इस सीट पर एक बार फिर से कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला है. रामपुर विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस से नंदलाल, बीजेपीने कौल सिंह नेगी पर भरोसा जताया है. वहीं, बीएसपी से देशराज और विशेषर लाल निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. कौल सिंह नेगी वर्तमान जयराम सरकार में हिमकोफेड के चेयरमैन भी हैं इनकी गणना सीएम जयराम ठाकुर के बेहद करीबियों में की जाती है. पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के देहांत के बाद हुए लोकसभा चुनावों में श्रद्धांजलि के रूप में प्रतिभा सिंह को रामपुर से 20 हजार के करीब वोटों की बढ़त मिली थी और यह बढ़त मतगणना को दौरान आखिर तक कायम रही थी. लेकिन वीरभद्र सिंह की अनुपस्थिति में पहली बार होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
2017 में रामपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: रामपुर विधानसभा सीट (Rampur Assembly Constituency Seat ) पर शुरू से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है. साल 2017 में विधानसभा चुनाव में रामपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नंद लाल (Rampur Assembly Constituency MLA Nand Lal) ने भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह दरैक को हराकर जीत हासिल की थी. नंद लाल को 25,730 वोट मिले थे, जबकि प्रेम सिंह दरैक को 21,693 वोट पड़े. इस तरह से नंद लाल ने 4,037 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. 2017 विधानसभा चुनाव में नंद लाल को 48.07% वोट मिले थे, जबकि प्रेम सिंह दरैक को 40.75% वोट मिले थे. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी सिंघी राम को 3,801 मत मिले थे जो कुल वोट का 7.17% था. इसके साथ ही सीपीआई(एम) उम्मीदावार विवेक कश्यप को 1,325 वोट मिले. विवेक कश्यप को 2.51% वोट मिला और बीएसपी उम्मीदवार सुरेश सिंह सैनी को 297 वोट मिले थे जो कुल वोट का 0.55% था.
2012 में रामपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 2012 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नंद लाल ने भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह दरैक को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. नंद लाल को 27,925 वोट मिले थे, जबकि प्रेम सिंह दरैक को 18,454 वोट पड़े. इस तरह से नंद लाल ने 9,471 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. 2012 विधानसभा चुनाव में नंदलाल को 56.39% वोट मिले, जबकि प्रेम सिंह दरैक को 37.26% वोट मिले. वहीं, एचएलपी उम्मीदवार निजू राम को 2,383 मत मिले थे, जो कुल वोट का 4.81% था.
2007 में रामपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 2007 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नंद लाल ने भाजपा प्रत्याशी बृजलाल को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. नंद लाल को 26,430 वोट मिले थे, जबकि बृजलाल को 19,960 वोट पड़े. इस तरह से नंद लाल ने 6,470 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. नंदलाल को 55.66% वोट मिले थे, जबकि बृजलाल को 42.04% वोट मिले थे. वहीं, बीएसपी उम्मीदवार केवल राम को 1,058 वोट मिले थे, जो कुल वोट का 2.23% था.
2003 में रामपुर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर: साल 2003 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सिंघी राम ने भाजपा प्रत्याशी बृजलाल को हराकर इस सीट पर कब्जा किया था. सिंघी राम को 27,757 वोट मिले थे, जबकि बृजलाल को 10,510 वोट पड़े. इस तरह से नंद लाल ने 17,247 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. वहीं, सीपीआईएम उम्मीदवार गुरदयाल को 2,202 वोट मिले थे, जो कुल वोट का 5.22% था, जबकि सपा उम्मीदवार ब्रेसीलाल को 1,698 मत मिले, जो कुल वोट का 4.03% था.
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का गृह क्षेत्र और गढ़ रहा रामपुर: छह बार के मुख्यमंत्री और 55 साल राजनीति में रहे वीरभद्र सिंह का गृह क्षेत्र रामपुर (Former Himachal CM Virbhadra Singh) ही है. यहां उनका पुश्तैनी महल और संपत्ति है. वीरभद्र का गृह क्षेत्र होने का बावजूद रामपुर सीट से वो कभी चुनाव नहीं लड़ पाए. आरक्षित होने के कारण रामपुर 50 साल साल से ओपन नहीं हो पा रही. हिमाचल बनने के बाद 1967 से ये सीट रिजर्व है. उससे पहले टेरिटोरियल काउंसिल थी, तो 1952 से 1967 तक रामपुर से एक जनरल और एक रिजर्व का मेंबर चुना जाता था. 2007 में पुनर्सीमांकन में इस सीट को सामान्य वर्ग के लिए खोलने का प्रयास हुआ, लेकिन तत्कालीन विधायक सिंघी राम की राजनीति वीरभद्र सिंह के सपनों पर भारी पड़ी. इस हलके को सीएम चाहते हुए भी ओपन नहीं करवा सके. इसी लड़ाई में सीएम और सिंघी राम के रिश्ते इतने खराब हुए कि सिंघी को वर्ष 2007 के चुनाव में टिकट नहीं मिला. हाईकमान ने इस चुनाव में सिंघी राम की जगह नंदलाल को टिकट दिया. वर्ष 2007 के साथ 2012 और 2017 के विस चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की थी.
रामपुर में मतदाता: रामपुर विधानसभा क्षेत्र में 153 मतदान केंद्र हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 76,852 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. वहीं, जिला निर्वाचन अधिकारी एवं डीसी आदित्य नेगी ने कहा कि मतदाताओं को कोई डराता या धमकाता है तो मतदाता बेखौफ इसकी शिकायत टोल फ्री नंबर 18001808059 पर कॉल कर जानकारी दे सकते हैं.
रामपुर विधानसभा क्षेत्र में मुद्दे: रामपुर विधानसभा क्षेत्र में लोग सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इस क्षेत्र में सेब बागवान सड़क सुविधाओं की मांग उठाते रहे हैं. (Rampur Assembly Constituency Issues)
लोकसभा चुनावों में रामपुर की रही अहम भूमिका: रामपुर के लोगों ने लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका अदा की है. वीरभद्र सिंह वर्ष 1962, 1967,1972, 1980 और 2009 के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए थे. हर बार उन्हें रामपुर क्षेत्र से एकतरफा बढ़त मिली है. वारभद्र सिंह ने वर्ष 2009 में आखिरी लोकसभा चुनाव भी मंडी संसदीय क्षेत्र से जीता था और मनमोहन सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री और लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग मंत्री बने. हालांकि 1962 में पहला लोकसभा वीरभद्र जिला महासू से लड़ा था.
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