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40 दिन पहले कुल्लू में शुरू हुई वैरागियों की होली, जानें क्या है बसंत पंचमी का महत्व - BASANT PANCHAMI IN KULLU

भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ कुल्लू में बसंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया. डिटेल में पढ़ें खबर...

कुल्लू में मनाई गई बसंत पंचमी
कुल्लू में मनाई गई बसंत पंचमी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 2, 2025, 10:17 PM IST

Updated : Feb 2, 2025, 10:43 PM IST

कुल्लू: ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ कुल्लू में बसंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस सुनहरे पल का गवाह बनने के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग उमड़े. आस्था में डूबे लोगों ने ढालपुर मैदान में रथ को खींचकर पुण्य भी कमाया. अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व के बाद भगवान रघुनाथ की यह दूसरी रथ यात्रा है.

कुल्लू में धूमधाम से मनाई गई बसंत पंचमी (ETV Bharat)

राम-भरत के मिलन का हुआ आयोजन

इसके लिए ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर भव्य रूप से सजाया गया था. बसंत पंचमी के अवसर पर परंपरा के मुताबिक भरत की भूमिका महंत खानदान के सदस्य ने निभाई और बसंत पंचमी के इस पर्व में राम-भरत के मिलन के हजारों लोग गवाह बने.

भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर
भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर (ETV Bharat)

हजारों श्रद्धालुओं ने खींचा रथ

वहीं, रथ को खींचने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. बसंत पंचमी के अवसर पर ढालपुर मैदान में अधिष्ठाता राम की कृपा दृष्टि के चलते अधिकतर श्रद्धालु यहां पीले वस्त्र पहनकर आए थे. रघुनाथ की नगरी से अधिष्ठाता रघुनाथ को ढालपुर मैदान तक लाया गया. इसके बाद अधिष्ठाता रघुनाथ पर अगले 40 दिनों तक गुलाल फेंका जाएगा. होली से 8 दिन पूर्व यहां होलाष्टक का भी आयोजन होगा.

बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण किए हुए श्रद्धालु
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण किए हुए श्रद्धालु (ETV Bharat)

बहरहाल, रघुनाथ की रथयात्रा से देवभूमि कुल्लू निहाल हो गई. बसंत पंचमी का खुशी-खुशी से आगाज हुआ. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि बसंत पंचमी से सर्दियों का समापन हो जाता है और एक नई ऋतु का आगमन होता है. बसंत पंचमी के साथ ही जिला कुल्लू में देवी-देवताओं के त्योहार भी शुरू हो जाते हैं और प्रकृति में भी नया बदलाव देखने को मिलता है.

बसंत पंचमी के अवसर पर कुल्लू में पहुंचे लोग
बसंत पंचमी के अवसर पर कुल्लू में पहुंचे लोग (ETV Bharat)

ऐसे में अब रोजाना भगवान रघुनाथ के मंदिर में होली के गीत गाए जाएंगे. 40 दिन पहले कुल्लू में होली का त्योहार भी शुरू हो गया है. बसंत पंचमी के लिए आए श्रद्धालुओं का कहना है कि बसंत शुरू होते ही अब प्रकृति भी बदल जाती है. लोगों को भगवान राम के दर्शन ढालपुर मैदान में होते हैं इसलिए बसंत पंचमी का जहां अपना एक धार्मिक महत्व है. वहीं, स्थानीय लोगों के लिए यह त्योहार से कम नहीं है. ढालपुर में सभी ने बसंत पंचमी का पर्व मनाया और भगवान श्री राम के साथ होली भी खेली.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में लोगों को पंचायत सचिव के चक्कर काटने से मिला छुटकारा, अब घर बैठे ऑनलाइन मिलेंगे जरूरी प्रमाण पत्र

कुल्लू: ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ कुल्लू में बसंत उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस सुनहरे पल का गवाह बनने के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग उमड़े. आस्था में डूबे लोगों ने ढालपुर मैदान में रथ को खींचकर पुण्य भी कमाया. अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व के बाद भगवान रघुनाथ की यह दूसरी रथ यात्रा है.

कुल्लू में धूमधाम से मनाई गई बसंत पंचमी (ETV Bharat)

राम-भरत के मिलन का हुआ आयोजन

इसके लिए ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर भव्य रूप से सजाया गया था. बसंत पंचमी के अवसर पर परंपरा के मुताबिक भरत की भूमिका महंत खानदान के सदस्य ने निभाई और बसंत पंचमी के इस पर्व में राम-भरत के मिलन के हजारों लोग गवाह बने.

भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर
भगवान रघुनाथ का अस्थायी शिविर (ETV Bharat)

हजारों श्रद्धालुओं ने खींचा रथ

वहीं, रथ को खींचने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. बसंत पंचमी के अवसर पर ढालपुर मैदान में अधिष्ठाता राम की कृपा दृष्टि के चलते अधिकतर श्रद्धालु यहां पीले वस्त्र पहनकर आए थे. रघुनाथ की नगरी से अधिष्ठाता रघुनाथ को ढालपुर मैदान तक लाया गया. इसके बाद अधिष्ठाता रघुनाथ पर अगले 40 दिनों तक गुलाल फेंका जाएगा. होली से 8 दिन पूर्व यहां होलाष्टक का भी आयोजन होगा.

बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण किए हुए श्रद्धालु
बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र धारण किए हुए श्रद्धालु (ETV Bharat)

बहरहाल, रघुनाथ की रथयात्रा से देवभूमि कुल्लू निहाल हो गई. बसंत पंचमी का खुशी-खुशी से आगाज हुआ. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि बसंत पंचमी से सर्दियों का समापन हो जाता है और एक नई ऋतु का आगमन होता है. बसंत पंचमी के साथ ही जिला कुल्लू में देवी-देवताओं के त्योहार भी शुरू हो जाते हैं और प्रकृति में भी नया बदलाव देखने को मिलता है.

बसंत पंचमी के अवसर पर कुल्लू में पहुंचे लोग
बसंत पंचमी के अवसर पर कुल्लू में पहुंचे लोग (ETV Bharat)

ऐसे में अब रोजाना भगवान रघुनाथ के मंदिर में होली के गीत गाए जाएंगे. 40 दिन पहले कुल्लू में होली का त्योहार भी शुरू हो गया है. बसंत पंचमी के लिए आए श्रद्धालुओं का कहना है कि बसंत शुरू होते ही अब प्रकृति भी बदल जाती है. लोगों को भगवान राम के दर्शन ढालपुर मैदान में होते हैं इसलिए बसंत पंचमी का जहां अपना एक धार्मिक महत्व है. वहीं, स्थानीय लोगों के लिए यह त्योहार से कम नहीं है. ढालपुर में सभी ने बसंत पंचमी का पर्व मनाया और भगवान श्री राम के साथ होली भी खेली.

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Last Updated : Feb 2, 2025, 10:43 PM IST
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