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शिक्षक सम्मान चयन में गड़बड़ी के आरोप वाली याचिका पर सुनवाई टली, अब 7 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई - शिमला लेटेस्ट न्यूज़

Himachal Pradesh High Court: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में स्टेट टीचर्स अवार्ड के चयन में गड़बड़ी को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई अब 7 दिसंबर को होगी. पढ़ें पूरा मामला...

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : Nov 29, 2022, 7:38 PM IST

Updated : Nov 29, 2022, 8:01 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में स्टेट टीचर्स अवार्ड के चयन में गड़बड़ी को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई अब 7 दिसंबर को होगी. मंगलवार को इस केस में याचिका की सुनवाई टल गई. मामला हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ में है. याचिका जिला सोलन के डुमैहर स्कूल के शारीरिक शिक्षा अध्यापक राजकुमार की तरफ से दाखिल की गई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर उससे कम मेरिट के अध्यापकों को स्टेट टीचर अवार्ड के लिए चयनित किया.

प्रार्थी के अनुसार उसका चयन वर्ष 2007 में पीटीए अध्यापक के रूप में हुआ था. उसने बास्केट बॉल, हैंड बॉल, खो खो और कबड्डी इत्यादि खेलों के कोच के रूप में बच्चों को प्रशिक्षण दिया है. (Himachal Pradesh High Court) राजकुमार ने याचिका में तथ्य दिया है कि उसके सिखाए आठ छात्र खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने में भी सफल रहे हैं. राजकुमार ने कहा है कि उसके द्वारा खेलों के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों सहित शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी उन्हें पुरस्कृत किया है. यही नहीं, वर्ष 2011 की जनगणना में उसकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने ब्रॉन्ज मेडल भी दिया.

अबू धाबी में आयोजित स्पेशल चिल्ड्रन ओलंपिक में भारतीय बास्केटबॉल टीम के कोच के रूप में उन्होंने काम किया और भारत की टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके अलावा जुलाई 2022 में बास्केटबॉल के लिए उन्हें रिसोर्स पर्सन नियुक्त किया गया और उन्होंने पूरे हिमाचल के डीपीई को प्रशिक्षण दिया. सरकार ने वर्ष 2018 में स्कूल अध्यापकों के लिए स्टेट टीचर अवार्ड नीति बनाई. अपनी उपलब्धियों के साथ प्रार्थी ने इस नीति के तहत अवार्ड के लिए आवेदन किया.

राजकुमार ने आरोप लगाया है कि 12 अगस्त 2022 को उच्च शिक्षा निदेशक ने उसका आवेदन बिना किसी कारण बताए खारिज करते हुए उन्हें वापिस भेज दिया. सरकार का यह रवैया भेदभावपूर्ण रहा क्योंकि उसका आवेदन स्टेट लेवल कमेटी को भेजने से पहले ही बिना कारण बताए वापस भेज दिया. राजकुमार का कहना है कि 2 सितंबर को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अवार्ड के लिए प्रार्थी के समकक्ष 3 ऐसे शिक्षकों के नाम की घोषणा की जो उससे मेरिट में कम हैं.

प्रार्थी के अनुसार यह अधिसूचना मेरिट के लिए बिना मापदंड तय किए ही जारी कर दी गई और अपने चहेतों के नामों की घोषणा स्टेट टीचर अवार्ड के लिए की गई. प्रार्थी ने अवार्ड के लिए चयनित अध्यापक गजेंद्र सिंह ठाकुर, हरीश ठाकुर और सुरिंदर सिंह का चयन रद्द करने की गुहार लगाते हुए अपने आवेदन पर पुनर्विचार करने के आदेश जारी किए जाने की मांग उठाई है. अब मामले की सुनवाई सात दिसंबर को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें- तंबू गाड़कर EVM की पहरेदारी कर रही कांग्रेस, बोले राजेंद्र राणा- BJP पर हमें नहीं भरोसा

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में स्टेट टीचर्स अवार्ड के चयन में गड़बड़ी को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई अब 7 दिसंबर को होगी. मंगलवार को इस केस में याचिका की सुनवाई टल गई. मामला हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ में है. याचिका जिला सोलन के डुमैहर स्कूल के शारीरिक शिक्षा अध्यापक राजकुमार की तरफ से दाखिल की गई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर उससे कम मेरिट के अध्यापकों को स्टेट टीचर अवार्ड के लिए चयनित किया.

प्रार्थी के अनुसार उसका चयन वर्ष 2007 में पीटीए अध्यापक के रूप में हुआ था. उसने बास्केट बॉल, हैंड बॉल, खो खो और कबड्डी इत्यादि खेलों के कोच के रूप में बच्चों को प्रशिक्षण दिया है. (Himachal Pradesh High Court) राजकुमार ने याचिका में तथ्य दिया है कि उसके सिखाए आठ छात्र खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने में भी सफल रहे हैं. राजकुमार ने कहा है कि उसके द्वारा खेलों के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों सहित शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी उन्हें पुरस्कृत किया है. यही नहीं, वर्ष 2011 की जनगणना में उसकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने ब्रॉन्ज मेडल भी दिया.

अबू धाबी में आयोजित स्पेशल चिल्ड्रन ओलंपिक में भारतीय बास्केटबॉल टीम के कोच के रूप में उन्होंने काम किया और भारत की टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. इसके अलावा जुलाई 2022 में बास्केटबॉल के लिए उन्हें रिसोर्स पर्सन नियुक्त किया गया और उन्होंने पूरे हिमाचल के डीपीई को प्रशिक्षण दिया. सरकार ने वर्ष 2018 में स्कूल अध्यापकों के लिए स्टेट टीचर अवार्ड नीति बनाई. अपनी उपलब्धियों के साथ प्रार्थी ने इस नीति के तहत अवार्ड के लिए आवेदन किया.

राजकुमार ने आरोप लगाया है कि 12 अगस्त 2022 को उच्च शिक्षा निदेशक ने उसका आवेदन बिना किसी कारण बताए खारिज करते हुए उन्हें वापिस भेज दिया. सरकार का यह रवैया भेदभावपूर्ण रहा क्योंकि उसका आवेदन स्टेट लेवल कमेटी को भेजने से पहले ही बिना कारण बताए वापस भेज दिया. राजकुमार का कहना है कि 2 सितंबर को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अवार्ड के लिए प्रार्थी के समकक्ष 3 ऐसे शिक्षकों के नाम की घोषणा की जो उससे मेरिट में कम हैं.

प्रार्थी के अनुसार यह अधिसूचना मेरिट के लिए बिना मापदंड तय किए ही जारी कर दी गई और अपने चहेतों के नामों की घोषणा स्टेट टीचर अवार्ड के लिए की गई. प्रार्थी ने अवार्ड के लिए चयनित अध्यापक गजेंद्र सिंह ठाकुर, हरीश ठाकुर और सुरिंदर सिंह का चयन रद्द करने की गुहार लगाते हुए अपने आवेदन पर पुनर्विचार करने के आदेश जारी किए जाने की मांग उठाई है. अब मामले की सुनवाई सात दिसंबर को निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें- तंबू गाड़कर EVM की पहरेदारी कर रही कांग्रेस, बोले राजेंद्र राणा- BJP पर हमें नहीं भरोसा

Last Updated : Nov 29, 2022, 8:01 PM IST
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