शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश डिजिटल इंडिया का सिरमौर साबित हुआ है. पेपरलेस विधानसभा, पेपरलेस बजट और पेपरलेस कैबिनेट मीटिंग करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है. यही नहीं, राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस करने का प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है.
हिमाचल प्रदेश की ई-विधान प्रणाली पूरे देश के लिए आदर्श है. देश के दस से अधिक राज्यों की सरकारों ने हिमाचल से ई-विधान प्रणाली सीखने के लिए अपने अफसरों को यहां भेजा है. नार्थ-ईस्ट के राज्यों सहित हरियाणा व कर्नाटक भी अपने यहां ऐसी प्रणाली लागू करना चाहता है.
ई-विधान से शुरू हुए इस सफर में अब कई आयाम जुड़ चुके हैं. नए साल के दूसरे महीने की पहली कैबिनेट मीटिंग पेपरलेस यानी ई-कैबिनेट आयोजित कर हिमाचल ने डिजिटल संसार में अपना लोहा मनवाया है. पिछले साल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पेपरलेस बजट पेश कर ई-संसार के सफर में सुनहरा अध्याय जोड़ा था.
अब पेपरलेस यानी ई-कैबिनेट का सफल आयोजन किया गया है. यही नहीं, हिमाचल सरकार का सचिवालय भी पेपरलेस करने की तैयारी है. आइए, ईटीवी भारत के साथ हिमाचल के ई-विधान से लेकर अब तक के सफर पर चलें.
सात साल पहले शुरू हुई ई-विधान
ई-विधान प्रणाली लागू करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां अगस्त 2014 की 5 तारीख को विधानसभा पूरी तरह से ई-विधान घोषित हुई.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा की ई-विधान प्रणाली कई मायनों में अनूठी है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. प्रणाली के तहत टच स्क्रीन सिस्मट पर सारी सूचनाएं मौजूद हैं.
विधायकों व मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री और मीडिया गैलेरी में टच स्क्रीन डिसप्ले सिस्टम लगा है. प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये सारा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता है.
हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है. आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं.
सवाल पूछे जाने के दौरान ही यदि किसी विधायक को अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो वो तुरंत सामने लगी टच स्क्रीन पर सारी सूचनाएं देख सकता है. इसके अलावा सदन में विभिन्न स्थानों पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई हैं.
जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो वहां डिसप्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है. इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है.
देश की अन्य विधानसभाओं ने भी ली हिमाचल से प्रेरणा
सफलता से ई-विधान लागू करने वाली हिमाचल विधानसभा से देश से अन्य राज्यों की विधानसभाओं ने भी प्रेरणा ली है. उत्तर पूर्व के राज्यों, हरियाणा, झारखंड आदि के अधिकारियों ने हिमाचल विधानसभा का दौरा कर इस प्रणाली की जानकारी जुटाई है.
केंद्र सरकार के अफसरों ने भी यहां का दौरा किया है. ई-विधान लागू होने से सारा काम पेपरलेस है. इससे साल भर में 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल 15 करोड़ रुपए की बचत भी होती है.
बीबीएल बुटेल के प्रयास से बनी ई-विधानसभा
यूपीए सरकार में कपिल सिब्बल सूचना व तकनीकी मंत्री थे. तत्कालीन हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए.
बुटेल ने यूपीए सरकार को भरोसा दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए.
साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटैक कर दिया गया. वर्ष 2014 में अगस्त की 5 तारीख को हिमाचल विधानसभा को टोटली हाईटैक घोषित कर दिया गया.
2020 का बजट रहा ई-बजट
वर्ष 2020 के मार्च महीने में हिमाचल सरकार ने बजट पेश किया. वैसे तो ये सामान्य घटनाक्रम था, लेकिन इसे ई-बजट ने असाधारण बना दिया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार का तीसरा बजट ई-बजट के तौर पर पेश किया.
तब मुख्यमंत्री ने हिमाचल के इतिहास का पहला पेपरलेस बजट पेश किया. बजट पेश करने के लिए सीएम जयराम ठाकुर जब सदन में आए तो उनके हाथ में परंपरागत ब्रीफकेस जरूर मौजूद था, परंतु उन्होंने बजट किताब से नहीं पढ़ा.
सीएम ने लैपटॉप पर अपलोड बजट भाषण को स्क्रॉल करके पढ़ा. बजट भाषण के बाद प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सीएम ने पहले पेपरलेस बजट का अनुभव सांझा करते हुए कहा कि ये सुखद था. उसी दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने एक और अहम घोषणा की थी.
उन्होंने कहा था कि निकट भविष्य में कैबिनेट की बैठक भी ई-कैबिनेट के तौर पर होंगी. लैपटॉप पर ऑनलाइन ही एजेंडा लोड होगा और सारे फैसले ऑनलाइन दर्ज होंगे. उसी घोषणा को अमली जाना पहनाते हुए 5 फरवरी 2021 को सीएम जयराम ठाकुर की अगुवाई में ई-कैबिनेट का आयोजन किया गया. कैबिनेट का सारा एजेंडा ऑनलाइन था.
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ऐसे हुई देश की पहली ई-कैबिनेट
सीएम जयराम ठाकुर ने 5 फरवरी को हिमाचल की पहली ई-कैबिनेट की अगुवाई की. ई-कैबिनेट के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईटी एप्लीकेशन को विकसित किया है. ये पूरे देश में अपनी तरह का पहला ऐसा ई-प्लेटफॉर्म है.
पहली ई-कैबिनेट की बैठक में 32 एजेंडों पर चर्चा की गई और इसे ई-कैबिनेट एप्लीकेशन के माध्यम से संचालित किया गया. कैबिनेट ज्ञापन से जुड़ी सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का प्रावधान किया है. इसमें सभी विभागों के सचिव, मुख्य सचिव, संबंधित मंत्री और फिर अंत में मुख्यमंत्री की तरफ से ज्ञापन को कैबिनेट में रखने की अनुमति इत्यादि शामिल है.
अनुमोदन के बाद कैबिनेट बैठक की तारीख भी इस प्रणाली के माध्यम से अधिसूचित की जाएगी. सीएम जयराम ठाकुर के अनुसार कैबिनेट फैसलों की रिकार्डिंग और विभागों की सलाह को भी ऑनलाइन जारी करने का काम ई-कैबिनेट प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा.
ई-कैबिनेट में एक्चुअल समय में एसएमएस के माध्यम से ऑटोमैटिक अलर्ट की सुविधा, ऑनलाइन कैबिनेट ज्ञापन की प्राप्ति, बैठक को अन्तिम रूप देना और कैबिनेट ज्ञापन पर सम्बन्धित विभागों से सलाह लेना शामिल है. ई-कैबिनेट एप्लीकेशन एंड्रॉइड डिवाइस पर मोबाइल ऐप के रूप में भी उपलब्ध है और जल्द ही इसे आईओएस डिवाइस पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा.
साइबर सिक्योरिटी पर भी खास ध्यान
ई-कैबिनेट एप्लिकेशन में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. इस एप्लिकेशन में केवल अधिकृत कंप्यूटरों पर अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही इस्तेमाल की अनुमति है. उपयोगकर्ता को कैबिनेट ज्ञापन के स्क्रीनशॉट लेने, डाउनलोड या प्रिंट करने की अनुमति नहीं है.
साथ ही यदि कहीं से कोई अनाधिकृत प्रयास होता है तो अपने ऑप यानी ऑटोमैटिक अलर्ट आ जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से ओटीपी का उपयोग करके ही लॉगिन किया जा सकता है. इस एप्लीकेशन में डाले गए सभी कैबिनेट ज्ञापनों में दिनांक और समय टिकट के साथ विशेष क्यूआर कोड होगा.
ई-कैबिनेट सरकार की कार्यप्रणाली में और दक्षता लाएगी. सारी प्रक्रिया पेपरलेस होगी. कैबिनेट मीटिंग की सीक्रेसी तय होगी. इस प्रणाली में कैबिनेट ज्ञापन का एक मानक टेम्पलेट होगा, जिससे निर्णय लेने में आसानी होगी.
यह प्रणाली सुरक्षित रूप से डाटा को एकत्र करके निकट भविष्य में इंस्टीट्यूशनल मेमौरी तैयार करेगी. इस माध्यम से कैबिनेट के फैसलों को प्रभावी तरीके से लागू करने के साथ उनकी मॉनिटरिंग भी आसान होगी.
सचिवालय को पेपरलेस करने के लिए 50 करोड़ का प्रोजेक्ट
राज्य सचिवालय को भी पेपरलेस करने की तैयारी है. इसके लिए 2018 में 50 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर आगामी प्रक्रिया जारी है. प्रोजेक्ट के तहत सारे सचिवालय की फाइलों और रिकार्ड को भी ऑनलाइन करने का प्रस्ताव है. इससे सरकारी कामकाज में बाबूगीरी का स्थान स्मार्टगीरी लेगी. यदि ये संभव हुआ तो डिजिटल इंडिया में हिमाचल की चमक शिखर पर होगी.
ई-कैबिनेट वाला पहला राज्य बना हिमाचल, पहली ई-विधान प्रणाली की उपलब्धि भी देवभूमि के नाम