रामपुर: शिमला के रामपुर में मंदिरों के साथ-साथ ऊपरी शिमला, आउटर सिराज और किन्नौर जिले के देवी-देवता मकर संक्रांति को एक माह के स्वर्ग प्रवास पर निकल गए हैं. देवताओं के स्वर्ग चले जाने से मंदिर सूने पड़ गए हैं. करीब एक माह तक मंदिरों में न कोई शुभ कार्य होंगे, न ही कोई धार्मिक अनुष्ठान हो पाएगा. वहीं, देवी-देवता इंद्रलोक की सभा में शरीक होने के बाद वर्षभर का फलादेश सुनाएंगे. देव परंपरा के अनुसार, देवी-देवता मकर संक्रांति को स्वर्ग लोग प्रस्थान करते हैं. सुबह पक्षियों के चहचहाने से पूर्व ही लोग प्रात: वंदना करके अपने आराध्यों को विदाई देते हैं और मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं. ग्रामीण अपने ईष्ट देवताओं को माह भर आकाश की ओर धूप और जल अर्पित करेंगे. (Himachal Gods And Goddesses Went To Heaven) (Makar Sankranti festival)
देवता साहेब छतरखंड पंचवीर के कारदार डॉ. केदार ने बताया कि इस एक माह की अवधि के दौरान क्षेत्र भर में न तो कोई धार्मिक अनुष्ठान होंगे और न ही कोई शुभ कार्य हो पाएंगे. वहीं, देवी-देवताओं के जाने के बाद उनकी मूर्तियां शक्ति विहीन हो जाती हैं और देवताओं के गुरों को खेल भी नहीं आती. मंदिरों में देवताओं की आरती नहीं उतारी जाएगी. मान्यता अनुसार देवी-देवता एक माह के लिए इंद्रलोक जाते हैं. देवताओं के राजा इंद्र की सभा में उनको उनके क्षेत्र के अच्छे और बुरे फलादेश बताए जाते हैं.
स्वर्ग प्रवास पूरा होने पर फाल्गुन माह की संक्रांति को देवता अपने-अपने देवालय वापस आएंगे. इस दिन ग्रामीण सुबह से ही मंदिरों में जुटने शुरू हो जाते हैं और अपने ईष्ट देव का ढोल-नगाड़ों की थाप पर गर्मजोशी से स्वागत करते हैं. बता दें कि स्थानीय लोग इस परंपरा को पूरी निष्ठा से निभाते हैं. लोगों की क्षेत्र के देवताओं के प्रति गहरी आस्था रहती है और वह देवी देवताओं को अपने जीवन का एक हिस्सा मानते हैं. स्वर्ग प्रवास से लौटने के बाद एक बार फिर से क्षेत्र में देव परम्परा से संबंधित कार्य शुरू हो जाते हैं.
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