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अवैध कटान मामला: आदेश की पालना न होने से नाराज HC ने तलब किये वन विभाग के प्रधान सचिव - वन रेंज कोटी

वन रेंज कोटी में 400 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में अपने आदेशों की अनुपालना न करने पर नाराजगी जताते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव (वन) व प्रधान मुख्य अरण्यपाल, शिमला को 20 अप्रैल 2021 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिए हैं.

HIGH COURT ORDERS ON KOTI FOREST RANGE ISSUE
वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों की अवैध कटाई मामले में सरकार के कार्रवाई से HC नाराज
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Published : Apr 9, 2021, 6:44 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 7:11 PM IST

शिमलाः वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में अपने आदेशों की अनुपालना न करने पर नाराजगी जताते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव (वन) व प्रधान मुख्य अरण्यपाल, शिमला को 20 अप्रैल 2021 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश एल.नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने ये आदेश कोटि रेंज में पेड़ों की कटाई और वन विभाग के उच्च अधिकारियों सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतः संज्ञान लेने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किए.

फआईआर दर्ज करने के दिए थे निर्देश

न्यायालय ने 17.05.2018 को सभी वन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे, जो वन रेंज कोटि, यूपीएफ शालोट में 416 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार थे और ऐसे सभी वन अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ करने के लिए भी आदेश जारी किए थे, जो उस क्षेत्र में पिछले 3-4 वर्षों में 416 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार थे. हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आदेशो की अनुपालना करने और दो सप्ताह की अवधि में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने पेड़ काटने के आरोपी भूप राम को न्यायालय की रजिस्ट्री में 3,68,233 रुपये (वन अधिकारियों द्वारा निर्धारित मूल्य) की राशि जमा करने का निर्देश दिया था.

सरकार ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की

न्यायालय ने आगे कहा कि यह मुख्य सचिव और उप-पुलिस अधीक्षक (शहर), शिमला के हलफनामों से स्पष्ट है कि आरोप केवल तीन कर्मचारियों, जिनमे एक बीट गार्ड और दो ब्लॉक कर्मचारियों के खिलाफ लगाए गए थे, जिनमें से एक सेवानिवृत्त हो गया हैं और केवल तीन कर्मचारियों और भूप राम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. न्यायालय ने कहा कि उत्तरदाताओं ने इस अदालत द्वारा पारित निर्देशों की अनुपालना नहीं की है.

समय-समय पर आदेशों की अनुपालना में उत्तरदाताओं द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की है. क्योंकि उन अधिकारियों के खिलाफ कोई दायित्व तय नहीं किया गया है, जो उच्च पदों पर आसीन हैं. न्यायालय ने प्रधान मुख्य अरण्यपाल शिमला को एक शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसमें यह बताया जाना था कि किस आधार पर, निचले स्तर के कर्मचारियों को पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.

अतिरिक्त महाधिवक्ता को हलफनामा दायर करने के निर्देश

न्यायालय ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें एफआईआर की स्थिति, जांच रिपोर्ट और पेड़ों-पौधों की स्थिति उल्लेख हो, जो कि अवैध रूप से काटे गए थे. कोर्ट ने भूप राम को सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया. कोर्ट ने 20 अप्रैल 2021 के लिए मामले की सुनवाई निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें: नगर निगम चुनाव में जनता ने बीजेपी को नकारा, 2022 में कांग्रेस बनाएगी सरकार: राठौर

शिमलाः वन रेंज कोटी में 416 पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित मामले में अपने आदेशों की अनुपालना न करने पर नाराजगी जताते हुए प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव (वन) व प्रधान मुख्य अरण्यपाल, शिमला को 20 अप्रैल 2021 को न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिए हैं. मुख्य न्यायाधीश एल.नारायण स्वामी और न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने ये आदेश कोटि रेंज में पेड़ों की कटाई और वन विभाग के उच्च अधिकारियों सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतः संज्ञान लेने वाली जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किए.

फआईआर दर्ज करने के दिए थे निर्देश

न्यायालय ने 17.05.2018 को सभी वन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे, जो वन रेंज कोटि, यूपीएफ शालोट में 416 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार थे और ऐसे सभी वन अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ करने के लिए भी आदेश जारी किए थे, जो उस क्षेत्र में पिछले 3-4 वर्षों में 416 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार थे. हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आदेशो की अनुपालना करने और दो सप्ताह की अवधि में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने पेड़ काटने के आरोपी भूप राम को न्यायालय की रजिस्ट्री में 3,68,233 रुपये (वन अधिकारियों द्वारा निर्धारित मूल्य) की राशि जमा करने का निर्देश दिया था.

सरकार ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की

न्यायालय ने आगे कहा कि यह मुख्य सचिव और उप-पुलिस अधीक्षक (शहर), शिमला के हलफनामों से स्पष्ट है कि आरोप केवल तीन कर्मचारियों, जिनमे एक बीट गार्ड और दो ब्लॉक कर्मचारियों के खिलाफ लगाए गए थे, जिनमें से एक सेवानिवृत्त हो गया हैं और केवल तीन कर्मचारियों और भूप राम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. न्यायालय ने कहा कि उत्तरदाताओं ने इस अदालत द्वारा पारित निर्देशों की अनुपालना नहीं की है.

समय-समय पर आदेशों की अनुपालना में उत्तरदाताओं द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार ने कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की है. क्योंकि उन अधिकारियों के खिलाफ कोई दायित्व तय नहीं किया गया है, जो उच्च पदों पर आसीन हैं. न्यायालय ने प्रधान मुख्य अरण्यपाल शिमला को एक शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था. इसमें यह बताया जाना था कि किस आधार पर, निचले स्तर के कर्मचारियों को पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था.

अतिरिक्त महाधिवक्ता को हलफनामा दायर करने के निर्देश

न्यायालय ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को एक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया, जिसमें एफआईआर की स्थिति, जांच रिपोर्ट और पेड़ों-पौधों की स्थिति उल्लेख हो, जो कि अवैध रूप से काटे गए थे. कोर्ट ने भूप राम को सुनवाई की अगली तारीख पर कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया. कोर्ट ने 20 अप्रैल 2021 के लिए मामले की सुनवाई निर्धारित की है.

ये भी पढ़ें: नगर निगम चुनाव में जनता ने बीजेपी को नकारा, 2022 में कांग्रेस बनाएगी सरकार: राठौर

Last Updated : Apr 9, 2021, 7:11 PM IST
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