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हिमाचल के अभिभावकों की सरकारी स्कूल को धीरे-धीरे न, प्राइवेट स्कूलों को बड़ी हां, इस तरह गिर रहा ग्राफ - HIMACHAL PRIMARY SCHOOLS ADMISSION

हिमाचल में साल दर साल सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटती जा रही है. वहीं, प्राइवेट विद्यालयों में छात्रों का आंकड़ा बढ़ रहा है.

हिमाचल के सरकारी स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

शिमला: प्राइमरी शिक्षा किसी भी छात्र के लिए जीवन का आधार है. प्राइमरी स्कूल में ही बच्चे के भविष्य की नींव रखी जाती है. कभी शिक्षा के क्षेत्र में देश के टॉप राज्यों में शुमार हिमाचल प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश का ग्राफ गिरा है. वर्ष 2024-25 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल 22146 बच्चों ने प्रवेश लिया. वहीं, निजी स्कूलों में इस सेशन में 46,426 बच्चों ने एडमिशन ली. यानी निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों से दुगनी एनरोलमेंट हुई है. यदि पिछले कुछ वर्षों का ग्राफ देखें तो स्थिति स्पष्ट होती है कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन में अभिभावक कम रुचि ले रहे हैं.

इस तरह गिर रहा ग्राफ

वर्ष 2015-16 के सेशन पर नजर डालें तो उस समय सरकारी प्राइमरी स्कूलों में एनरोलमेंट की स्थिति अच्छी थी. उस सेशन में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की प्रवेश संख्या 62351 थी, जबकि निजी स्कूलों में 56448 थी. इसी तरह वर्ष 2016-17 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 59759 बच्चों ने प्रवेश लिया और निजी स्कूलों में ये आंकड़ा 58016 बच्चों का था. यहां तक स्थिति सरकारी स्कूलों के लिए ठीक-ठीक सी थी. साल 2017-18 में सरकारी विद्यालयों में 54081 छात्रों ने प्रवेश लिया और निजी स्कूलों में 59431 छात्रों ने दाखिला लिया. फिर 2018-19 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 56667 बच्चों ने एडमिशन ली और निजी स्कूलों में इसी सेशन में 59767 बच्चे एनरोल हुए. इस प्रकार निजी स्कूलों में इस सेशन में संख्या सरकारी स्कूलों से अधिक रही. इसके बाद वर्ष 2019-20 में शार्प डिक्लाइन आया. सरकारी स्कूलों में 55028 बच्चे आए और निजी स्कूलों में 60894 बच्चों ने प्रवेश लिया. वर्ष 2020-21 में भी लगभग यही स्थिति रही. सरकारी स्कूलों में आंकड़ा 47788 व निजी स्कूलों में आंकड़ा 55842 रहा.

कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की संख्या

कोविड महामारी के दौरान अभिभावक फिर से सरकारी स्कूलों की तरफ मुड़े. कारण ये था कि महामारी के दौरान भी निजी स्कूलों ने फीस माफ नहीं की। अभिभावकों को भारी-भरकम फीस भरनी पड़ी. इससे वे नाराज हो गए. नतीजा ये रहा कि सरकारी स्कूलों में 2021-22 के सेशन में आंकड़ा बढ़ गया. सरकारी स्कूलों में 58448 बच्चे प्राइमरी में एनरोल हुए तो निजी में ये आंकड़ा 48793 रहा. कोविड के प्रभावी रहने तक यही ट्रेंड रहा. वर्ष 2022-23 में सरकारी स्कूलों की एडमिशन 58278 व निजी स्कूलों में 40946 रही. वर्ष 2023-24 में सरकारी स्कूलों में एडमिशन का आंकड़ा 49295 था तो निजी स्कूलों में ये आंकड़ा 48132 था. मौजूदा सेशन में तो आंकड़ा बुरी तरह से गिरा. सरकारी स्कूलों में निजी के मुकाबले एडमिशन आधी रह गई. सरकारी स्कूलों में कुल 22146 बच्चों ने प्रवेश लिया तो निजी स्कूलों में प्राइमरी की एनरोलमेंट 46 हजार से अधिक रही. ये आंकड़े क्वालिटी एजुकेशन पर हुई कॉन्फ्रेंस में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की तरफ से दिए गए हैं.

शिक्षाविद नंदलाल गुप्ता ने कहा, "प्राइमरी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए कम से कम पांच शिक्षकों का होना जरूरी है. शिक्षा सचिव राकेश कंवर का भी मानना है कि एनरोलमेंट कम हुई है, लेकिन इसके कई कारण हैं. प्राइमरी स्कूलों को और बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं".

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के अनुसार विभाग सरकारी स्कूलों में एजुकेशन सिस्टम को सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. हिमाचल प्रदेश का शिक्षा के क्षेत्र में रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन कुछ समय से स्थितियां खराब हुई हैं. इन्हें सुधारने का काम किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: ये कैसा स्कूल! पशुओं के बीच पढ़ाई कर रहे छात्र, 'भेड़-बकरियों' की तरह एक कमरे में चल रही बच्चों की क्लास

ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए चिंता की बात, सरकारी स्कूलों में घटी बच्चों की एडमिशन, निजी स्कूलों की तरफ पेरेंट्स का रुझान

शिमला: प्राइमरी शिक्षा किसी भी छात्र के लिए जीवन का आधार है. प्राइमरी स्कूल में ही बच्चे के भविष्य की नींव रखी जाती है. कभी शिक्षा के क्षेत्र में देश के टॉप राज्यों में शुमार हिमाचल प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश का ग्राफ गिरा है. वर्ष 2024-25 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में कुल 22146 बच्चों ने प्रवेश लिया. वहीं, निजी स्कूलों में इस सेशन में 46,426 बच्चों ने एडमिशन ली. यानी निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों से दुगनी एनरोलमेंट हुई है. यदि पिछले कुछ वर्षों का ग्राफ देखें तो स्थिति स्पष्ट होती है कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन में अभिभावक कम रुचि ले रहे हैं.

इस तरह गिर रहा ग्राफ

वर्ष 2015-16 के सेशन पर नजर डालें तो उस समय सरकारी प्राइमरी स्कूलों में एनरोलमेंट की स्थिति अच्छी थी. उस सेशन में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में छात्रों की प्रवेश संख्या 62351 थी, जबकि निजी स्कूलों में 56448 थी. इसी तरह वर्ष 2016-17 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 59759 बच्चों ने प्रवेश लिया और निजी स्कूलों में ये आंकड़ा 58016 बच्चों का था. यहां तक स्थिति सरकारी स्कूलों के लिए ठीक-ठीक सी थी. साल 2017-18 में सरकारी विद्यालयों में 54081 छात्रों ने प्रवेश लिया और निजी स्कूलों में 59431 छात्रों ने दाखिला लिया. फिर 2018-19 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 56667 बच्चों ने एडमिशन ली और निजी स्कूलों में इसी सेशन में 59767 बच्चे एनरोल हुए. इस प्रकार निजी स्कूलों में इस सेशन में संख्या सरकारी स्कूलों से अधिक रही. इसके बाद वर्ष 2019-20 में शार्प डिक्लाइन आया. सरकारी स्कूलों में 55028 बच्चे आए और निजी स्कूलों में 60894 बच्चों ने प्रवेश लिया. वर्ष 2020-21 में भी लगभग यही स्थिति रही. सरकारी स्कूलों में आंकड़ा 47788 व निजी स्कूलों में आंकड़ा 55842 रहा.

कोरोना काल में सरकारी स्कूलों में बढ़ी छात्रों की संख्या

कोविड महामारी के दौरान अभिभावक फिर से सरकारी स्कूलों की तरफ मुड़े. कारण ये था कि महामारी के दौरान भी निजी स्कूलों ने फीस माफ नहीं की। अभिभावकों को भारी-भरकम फीस भरनी पड़ी. इससे वे नाराज हो गए. नतीजा ये रहा कि सरकारी स्कूलों में 2021-22 के सेशन में आंकड़ा बढ़ गया. सरकारी स्कूलों में 58448 बच्चे प्राइमरी में एनरोल हुए तो निजी में ये आंकड़ा 48793 रहा. कोविड के प्रभावी रहने तक यही ट्रेंड रहा. वर्ष 2022-23 में सरकारी स्कूलों की एडमिशन 58278 व निजी स्कूलों में 40946 रही. वर्ष 2023-24 में सरकारी स्कूलों में एडमिशन का आंकड़ा 49295 था तो निजी स्कूलों में ये आंकड़ा 48132 था. मौजूदा सेशन में तो आंकड़ा बुरी तरह से गिरा. सरकारी स्कूलों में निजी के मुकाबले एडमिशन आधी रह गई. सरकारी स्कूलों में कुल 22146 बच्चों ने प्रवेश लिया तो निजी स्कूलों में प्राइमरी की एनरोलमेंट 46 हजार से अधिक रही. ये आंकड़े क्वालिटी एजुकेशन पर हुई कॉन्फ्रेंस में प्रारंभिक शिक्षा विभाग की तरफ से दिए गए हैं.

शिक्षाविद नंदलाल गुप्ता ने कहा, "प्राइमरी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए कम से कम पांच शिक्षकों का होना जरूरी है. शिक्षा सचिव राकेश कंवर का भी मानना है कि एनरोलमेंट कम हुई है, लेकिन इसके कई कारण हैं. प्राइमरी स्कूलों को और बेहतर करने के प्रयास किए जा रहे हैं".

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के अनुसार विभाग सरकारी स्कूलों में एजुकेशन सिस्टम को सुधारने की दिशा में काम कर रहा है. हिमाचल प्रदेश का शिक्षा के क्षेत्र में रिकॉर्ड अच्छा रहा है, लेकिन कुछ समय से स्थितियां खराब हुई हैं. इन्हें सुधारने का काम किया जा रहा है.

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