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स्कूली बच्चों से जातिगत भेदभाव मामला, HC ने संज्ञान लेते हुए सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

हिमाचल हाईकोर्ट ने मंडी जिला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल किलिंग में स्कूली बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव को लेकर छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.

Kiling School Caste discrimination
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Published : Oct 17, 2019, 9:58 PM IST

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने मंडी जिला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल किलिंग में स्कूली बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव को लेकर छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.

मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के पश्चात मुख्य सचिव सहित डीसी मंडी, निदेशक उच्चतर शिक्षा, उप निदेशक उच्चतर शिक्षा मंडी व स्कूल के प्रधानचार्य को नोटिस जारी कर उनसे 4 सप्ताह के भीतर मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.

यह स्कूल मंडी जिला के गोहर उपमंडल के तहत आता है. स्कूल में पढऩे वाले दलित समुदाय के बच्चों के अभिभावकों ने एडीएम मंडी श्रवण मांटा और एएसपी मंडी पुनीत रघु को लिखित में शिकायत पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग उठाई है.

शिकायत सौंपने वालों में धर्म चंद, हुकम चंद, झाबे राम, टेक चंद, देविंद्र कुमार, पवन कुमार, घनश्याम, यशवंत, चौधरी राम और सुनील कुमार शामिल हैं. शिकायत में कहा गया है कि 9 सितंबर को स्कूल में हो रहे टूर्नामेंट के दौरान वहां कार्यरत कर्मचारियों ने उनके बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव किया.

टूर्नामेंट के दौरान बच्चों को कहा गया कि वह न तो किसी को पानी बांटेंगे और न ही साथ बैठकर खाना खाएंगे. प्रधानाचार्य पर आरोप है कि उन्होंने मामले की गंभीरता को नहीं समझा और इसे दबाने का प्रयास किया व बच्चों पर दबाव बनाया कि इस बात को घर पर न बताया जाए.

बच्चों का कहना है कि ऐसी प्रताड़ना से तो उनका अनपढ़ रहना ही ठीक है. अभिभावकों ने जिला प्रशासन और पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को कठोर सजा देने की मांग उठाई है.

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने मंडी जिला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल किलिंग में स्कूली बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव को लेकर छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.

मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के पश्चात मुख्य सचिव सहित डीसी मंडी, निदेशक उच्चतर शिक्षा, उप निदेशक उच्चतर शिक्षा मंडी व स्कूल के प्रधानचार्य को नोटिस जारी कर उनसे 4 सप्ताह के भीतर मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.

यह स्कूल मंडी जिला के गोहर उपमंडल के तहत आता है. स्कूल में पढऩे वाले दलित समुदाय के बच्चों के अभिभावकों ने एडीएम मंडी श्रवण मांटा और एएसपी मंडी पुनीत रघु को लिखित में शिकायत पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग उठाई है.

शिकायत सौंपने वालों में धर्म चंद, हुकम चंद, झाबे राम, टेक चंद, देविंद्र कुमार, पवन कुमार, घनश्याम, यशवंत, चौधरी राम और सुनील कुमार शामिल हैं. शिकायत में कहा गया है कि 9 सितंबर को स्कूल में हो रहे टूर्नामेंट के दौरान वहां कार्यरत कर्मचारियों ने उनके बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव किया.

टूर्नामेंट के दौरान बच्चों को कहा गया कि वह न तो किसी को पानी बांटेंगे और न ही साथ बैठकर खाना खाएंगे. प्रधानाचार्य पर आरोप है कि उन्होंने मामले की गंभीरता को नहीं समझा और इसे दबाने का प्रयास किया व बच्चों पर दबाव बनाया कि इस बात को घर पर न बताया जाए.

बच्चों का कहना है कि ऐसी प्रताड़ना से तो उनका अनपढ़ रहना ही ठीक है. अभिभावकों ने जिला प्रशासन और पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को कठोर सजा देने की मांग उठाई है.

हाईकोर्ट ने मंडी जिला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल किलिंग में स्कूली बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव को लेकर छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एल. नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के पश्चात मुख्य सचिव सहित डीसी मंडी, निदेशक उच्चतर शिक्षा, उप निदेशक उच्चतर शिक्षा मंडी व स्कूल के प्रधानचार्य को नोटिस जारी कर उनसे 4 सप्ताह के भीतर मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। यह स्कूल मंडी जिला के गोहर उपमंडल के तहत आता है। स्कूल में पढऩे वाले दलित समुदाय के बच्चों के अभिभावकों ने एडीएम मंडी श्रवण मांटा और एएसपी मंडी पुनीत रघु को लिखित में शिकायत पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग उठाई है।
 शिकायत सौंपने वालों में धर्म चंद, हुकम चंद, झाबे राम, टेक चंद, देविंद्र कुमार, पवन कुमार, घनश्याम, यशवंत, चौधरी राम और सुनील कुमार शामिल है। शिकायत में कहा गया है कि 9 सितंबर को स्कूल में हो रहे टूर्नामेंट के दौरान वहां कार्यरत कर्मचारियों ने उनके बच्चों के साथ जातिगत भेदभाव किया। बच्चों को कहा गया कि वह न तो किसी को पानी बांटेंगे और न ही साथ बैठकर खाना खाएंगे। प्रधानाचार्य पर आरोप है कि उन्होंने मामले की गंभीरता को नहीं समझा और इसे दबाने का प्रयास किया व बच्चों पर दबाव बनाया कि इस बात को घर पर न बताया जाए। बच्चों का कहना है कि ऐसी प्रताडऩा से तो उनका अनपढ़ रहना ही ठीक है। अभिभावकों ने जिला प्रशासन और पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर दोषियों को कठोर सजा देने की मांग उठाई है।
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