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गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामला: शिमला की अदालत में तेजी से हो रही सुनवाई, जल्द फैसले के आसार

आसार हैं कि जल्द ही गुड़िया मर्डर केस में शिमला की स्थानीय अदालत से फैसला आएगा. इस मामले की सुनवाई दुष्कर्म, हत्या व पोक्सो एक्ट के तहत हो रही है. आरोपी नीलू चरानी ने अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सीबीआई द्वारा जुटाए गए सांइटिफिक एविडेंस भी नीलू के अपराध की कहानी कह रहे हैं.

gudiya murder case judgement Can come soon
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Published : Nov 25, 2019, 11:07 PM IST

शिमला: हिमाचल को दहला देने वाले कोटखाई की छात्रा से दुष्कर्म व हत्या मामले में शिमला की स्थानीय अदालत ने तेजी से सुनवाई हो रही है. गुड़िया के गुनहगार नीलू चरानी के खिलाफ सीबीआई ने पुख्ता सुबूत जुटाए हैं. इस केस में साठ के करीब गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं. इनमें सीबीआई के अधिकारियों सहित अपराध विज्ञान के विशेषज्ञों सहित अन्य लोग शामिल हैं.

आसार हैं कि जल्द ही शिमला की स्थानीय अदालत से फैसला आएगा. इस मामले की सुनवाई दुष्कर्म, हत्या व पोक्सो एक्ट के तहत हो रही है. आरोपी नीलू चरानी ने अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सीबीआई द्वारा जुटाए गए सांइटिफिक एविडेंस भी नीलू के अपराध की कहानी कह रहे हैं. अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर हैं. दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल की जनता गुड़िया को न्याय मिलने की राह देख रहे हैं.

स्थानीय अदालत में हिमाचल से फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट, डीएनए विशेषज्ञ, आईजीएमसी अस्पताल के विशेषज्ञों सहित सीबीआई के अफसरों की गवाही हुई है. गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच पहले हिमाचल पुलिस ने की.पुलिस की जांच से नाराज हिमाचल की जनता सडक़ों पर उतर आई.भारी जनदबाव के बीच तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी. सीबीआई दिन-रात जांच के बाद अप्रैल 2018 को आरोपी तक पहुंची.

यह केस 22 जुलाई 2017 को दर्ज किया गया था. सीबीआई ने 29 मई 2018 को शिमला की एक अदलत ने चार्जशीट दाखिल की. उल्लेखनीय है कि आरोपी नीलू चरानी के खिलाफ जिला सिरमौर में 2015 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था. नीलू आदतन अपराधी है और महिलाओं पर बुरी नजर रखता था.

जिस समय केस की जांच हिमाचल पुलिस के पास थी, तब पुलिस ने आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू, सुभाष बिष्ट, दीपक, लोकजन उर्फ छोटू व नेपाली मूल के सूरज को पकड़ा. हिमाचल सरकार ने पुलिस के जिस विशेष जांच टीम को केस के जिम्मा दिया था, उसने राजू को मुख्य आरोपित बताया था. बाद में नेपाली मूल के सूरज की कस्टडी में मौत हो गई.

यहीं से मामला पलट गया. खुद पर आंच न आए इसलिए हिमाचल पुलिस ने कस्टडी में हत्या का इल्जाम राजू के सिर डाल दिया था. बाद में सीबीआई जांच में कई खुलासे हुए थे और आईजी रैंक के अधिकारी जहूर जैदी सहित एसपी व डीएसपी रैंक के अफसर गिरफ्तार हुए.

गुड़िया केस की टाइमलाइन

  • 4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र से दसवीं की छात्रा गुड़िया लापता.
  • 5 जुलाई- रिश्तेदारों ने बिटिया की तलाश शुरू की.
  • 6 जुलाई- ऊपरी शिमला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच आरंभ.
  • 7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
  • 10 जुलाई- जनआक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आईजी जहूर जैदी को सौंपा जांच का जिम्मा.
  • 11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
  • 18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या.
  • 19 जुलाई.हाईकोर्ट ने सीबीआइ को दी जांच.
  • 22 जुलाई-सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज.
  • 29 अगस्त-आईजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार.
  • 16 नवंबर-पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने किया गिरफ्तार.
  • 25 नवंबर- सीबीआइ ने की एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल.
  • 25 अप्रैल 2018- सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
  • 5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
  • 18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.

नीलू ने नशे में किया दुष्कर्म और गुड़िया को मार डाला
साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुड़िया का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी.जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास गुड़िया के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं.यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. फिलहाल, सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे.उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुड़िया का गुनहगार एक ही है.

गुड़िया के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान
गुड़िया के सीने पर दांत से काटा गया था.जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि गुड़िया के सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था.बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच का पुष्ट किया.मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी.उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान गुड़िया के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुड़िया के साथ केवल एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, लेकिन वो कौन है, इसका पता लगाना बाकी था.

एहतियात के तौर पर सीबीआई ने लिए 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ.यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था.कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी.इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.

नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग
सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया.इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुड़िया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया.इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है.

लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई.चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है.सीबीआई के अति भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार नीलू के परिवार के लोगों ने भी बता दिया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.

सीबीआई ने राडार पर रखे नीलू के नजदीकी
सीबीआई ने ऐसे लोगों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक व्यक्ति को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम के बारे में पूछताछ की. सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी.जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है.

अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा है. इसके आधार पर सीबीआई चार्जशीट तैयार कर रही है. यहां बता दें कि गुड़िया चार जुलाई 2017 को स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुड़िया का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनाक्रोश भड़क गया था.

आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेड़ख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था.उस मामले में बाद में उसे शिमला हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

शिमला: हिमाचल को दहला देने वाले कोटखाई की छात्रा से दुष्कर्म व हत्या मामले में शिमला की स्थानीय अदालत ने तेजी से सुनवाई हो रही है. गुड़िया के गुनहगार नीलू चरानी के खिलाफ सीबीआई ने पुख्ता सुबूत जुटाए हैं. इस केस में साठ के करीब गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं. इनमें सीबीआई के अधिकारियों सहित अपराध विज्ञान के विशेषज्ञों सहित अन्य लोग शामिल हैं.

आसार हैं कि जल्द ही शिमला की स्थानीय अदालत से फैसला आएगा. इस मामले की सुनवाई दुष्कर्म, हत्या व पोक्सो एक्ट के तहत हो रही है. आरोपी नीलू चरानी ने अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सीबीआई द्वारा जुटाए गए सांइटिफिक एविडेंस भी नीलू के अपराध की कहानी कह रहे हैं. अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर हैं. दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल की जनता गुड़िया को न्याय मिलने की राह देख रहे हैं.

स्थानीय अदालत में हिमाचल से फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट, डीएनए विशेषज्ञ, आईजीएमसी अस्पताल के विशेषज्ञों सहित सीबीआई के अफसरों की गवाही हुई है. गुड़िया दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच पहले हिमाचल पुलिस ने की.पुलिस की जांच से नाराज हिमाचल की जनता सडक़ों पर उतर आई.भारी जनदबाव के बीच तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी. सीबीआई दिन-रात जांच के बाद अप्रैल 2018 को आरोपी तक पहुंची.

यह केस 22 जुलाई 2017 को दर्ज किया गया था. सीबीआई ने 29 मई 2018 को शिमला की एक अदलत ने चार्जशीट दाखिल की. उल्लेखनीय है कि आरोपी नीलू चरानी के खिलाफ जिला सिरमौर में 2015 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था. नीलू आदतन अपराधी है और महिलाओं पर बुरी नजर रखता था.

जिस समय केस की जांच हिमाचल पुलिस के पास थी, तब पुलिस ने आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू, सुभाष बिष्ट, दीपक, लोकजन उर्फ छोटू व नेपाली मूल के सूरज को पकड़ा. हिमाचल सरकार ने पुलिस के जिस विशेष जांच टीम को केस के जिम्मा दिया था, उसने राजू को मुख्य आरोपित बताया था. बाद में नेपाली मूल के सूरज की कस्टडी में मौत हो गई.

यहीं से मामला पलट गया. खुद पर आंच न आए इसलिए हिमाचल पुलिस ने कस्टडी में हत्या का इल्जाम राजू के सिर डाल दिया था. बाद में सीबीआई जांच में कई खुलासे हुए थे और आईजी रैंक के अधिकारी जहूर जैदी सहित एसपी व डीएसपी रैंक के अफसर गिरफ्तार हुए.

गुड़िया केस की टाइमलाइन

  • 4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र से दसवीं की छात्रा गुड़िया लापता.
  • 5 जुलाई- रिश्तेदारों ने बिटिया की तलाश शुरू की.
  • 6 जुलाई- ऊपरी शिमला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच आरंभ.
  • 7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
  • 10 जुलाई- जनआक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आईजी जहूर जैदी को सौंपा जांच का जिम्मा.
  • 11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
  • 18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या.
  • 19 जुलाई.हाईकोर्ट ने सीबीआइ को दी जांच.
  • 22 जुलाई-सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज.
  • 29 अगस्त-आईजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार.
  • 16 नवंबर-पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने किया गिरफ्तार.
  • 25 नवंबर- सीबीआइ ने की एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल.
  • 25 अप्रैल 2018- सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
  • 5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
  • 18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.

नीलू ने नशे में किया दुष्कर्म और गुड़िया को मार डाला
साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुड़िया का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से गुड़िया के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी.जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास गुड़िया के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं.यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. फिलहाल, सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे.उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुड़िया का गुनहगार एक ही है.

गुड़िया के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान
गुड़िया के सीने पर दांत से काटा गया था.जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि गुड़िया के सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था.बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच का पुष्ट किया.मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी.उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान गुड़िया के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुड़िया के साथ केवल एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, लेकिन वो कौन है, इसका पता लगाना बाकी था.

एहतियात के तौर पर सीबीआई ने लिए 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ.यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था.कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी.इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.

नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग
सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया.इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुड़िया के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया.इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है.

लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई.चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है.सीबीआई के अति भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार नीलू के परिवार के लोगों ने भी बता दिया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.

सीबीआई ने राडार पर रखे नीलू के नजदीकी
सीबीआई ने ऐसे लोगों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया. नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक व्यक्ति को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम के बारे में पूछताछ की. सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी.जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है.

अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा है. इसके आधार पर सीबीआई चार्जशीट तैयार कर रही है. यहां बता दें कि गुड़िया चार जुलाई 2017 को स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुड़िया का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनाक्रोश भड़क गया था.

आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेड़ख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था.उस मामले में बाद में उसे शिमला हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो अपराधी मानसिकता वाला हो गया था.

कोटखाई दुष्कर्म व हत्या मामला: शिमला की अदालत में तेजी से हो रही सुनवाई, जल्द फैसले के आसार
शिमला। हिमाचल को दहला देने वाले कोटखाई की छात्रा से दुष्कर्म व हत्या मामले में शिमला की स्थानीय अदालत ने तेजी से सुनवाई हो रही है। गुडिय़ा के गुनहगार नीलू चरानी के खिलाफ सीबीआई ने पुख्ता सुबूत जुटाए हैं। इस केस में साठ के करीब गवाहों के बयान दर्ज हुए हैं। इनमें सीबीआई के अधिकारियों सहित अपराध विज्ञान के विशेषज्ञों सहित अन्य लोग शामिल हैं। आसार हैं कि जल्द ही शिमला की स्थानीय अदालत से फैसला आएगा। इस मामले की सुनवाई दुष्कर्म, हत्या व पोक्सो एक्ट के तहत हो रही है। आरोपी नीलू चरानी ने अदालत में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सीबीआई द्वारा जुटाए गए सांइटिफिक एविडेंस भी नीलू के अपराध की कहानी कह रहे हैं। अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर है। दो साल से भी अधिक समय से हिमाचल की जनता गुडिय़ा को न्याय मिलने की राह देख रहे हैं। स्थानीय अदालत में हिमाचल से फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट, डीएनए विशेषज्ञ, आईजीएमसी अस्पताल के विशेषज्ञों सहित सीबीआई के अफसरों की गवाही हुई है। गुडिय़ा दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच पहले हिमाचल पुलिस ने की। पुलिस की जांच से नाराज हिमाचल की जनता सडक़ों पर उतर आई। भारी जनदबाव के बीच तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार को सीबीआई जांच की सिफारिश करनी पड़ी। सीबीआई दिन-रात जांच के बाद अप्रैल 2018 को आरोपी तक पहुंची। यह केस 22 जुलाई 2017 को दर्ज किया गया था। सीबीआई ने 29 मई 2018 को शिमला की एक अदलत ने चार्जशीट दाखिल की। उल्लेखनीय है कि आरोपी नीलू चरानी के खिलाफ जिला सिरमौर में 2015 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ था। नीलू आदतन अपराधी है और महिलाओं पर बुरी नजर रखता था।
जिस समय केस की जांच हिमाचल पुलिस के पास थी, तब पुलिस ने आशीष चौहान, राजेंद्र सिंह उर्फ राजू, सुभाष बिष्ट, दीपक, लोकजन उर्फ छोटू व नेपाली मूल के सूरज को पकड़ा। हिमाचल सरकार ने पुलिस के जिस विशेष जांच टीम को केस के जिम्मा दिया था, उसने राजू को मुख्य आरोपित बताया था। बाद में नेपाली मूल के सूरज की कस्टडी में मौत हो गई। यहीं से मामला पलट गया। खुद पर आंच न आए इसलिए हिमाचल पुलिस ने कस्टडी में हत्या का इल्जाम राजू के सिर डाल दिया था। बाद में सीबीआई जांच में कई खुलासे हुए थे और आईजी रैंक के अधिकारी जहूर जैदी सहित एसपी व डीएसपी रैंक के अफसर गिरफ्तार हुए।
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गुडिय़ा केस की टाइमलाइन
-4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र से दसवीं की छात्रा गुडिय़ा लापता।
-5 जुलाई- रिश्तेदारों ने बिटिया की तलाश शुरू की।
-6 जुलाई- ऊपरी शिमला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच आरंभ।
-7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई।
-10 जुलाई- जनआक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आईजी जहूर जैदी को सौंपा जांच का जिम्मा।
-11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा।
-18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपित की हत्या।
-19 जुलाई। हाईकोर्ट ने सीबीआइ को दी जांच।
-22 जुलाई-सीबीआइ ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज।
-29 अगस्त-आईजी सहित आठ पुलिस कर्मी गिरफ्तार।
-16 नवंबर-पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने किया गिरफ्तार।
- 25 नवंबर- सीबीआइ ने की एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल।
- 25 अप्रैल 2018- सीबीआइ ने कोर्ट में फाईनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की।
-5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत।
-18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत।
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नीलू ने नशे में किया दुष्कर्म और मार डाला गुडिय़ा को
साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि गुडिय़ा का गुनगहार नीलू ही है। पुलिस ने मौके से गुडिय़ा के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी। जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास गुडिय़ा के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं। यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती। फिलहाल, सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे। उस जांच के बाद ये तय हो गया कि गुडिय़ा का गुनहगार एक ही है।
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गुडिय़ा के सीने पर थे नीलू के दांत के निशान
गुडिय़ा के सीने पर दांत से काटा गया था। जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि गुडिय़ा के सीने से क्लेक्ट किए गए सैंपल का डीएनए व नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था। बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली लैब में इस जांच का पुष्ट किया। मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी। उस बॉटल के ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान गुडिय़ा के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था। इससे ये तो साबित हो गया कि गुडिय़ा के साथ केवल एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया है, लेकिन वो कौन है, इसका पता लगाना बाकी था।
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एहतियात के तौर पर सीबीआई ने लिए 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुडिय़ा के शरीर से कलेक्ट सैंपल के डीएनए से मैच नहीं हुआ। यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा। सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का नहीं था। कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो राडार में थे, लेकिन नीलू गायब था। इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है। नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था। अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए। उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी। इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा।
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नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग
सीबीआई ने कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया। इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुडिय़ा के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया। इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है। लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई। चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है। सीबीआई के अति भरोसेमंत्र सूत्रों के अनुसार नीलू के परिवार के लोगों ने भी बता दिया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है।
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सीबीआई ने राडार पर रखे नीलू के नजदीकी
सीबीआई ने ऐसे लोगो की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे। इन लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था। नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया। नीलू ने इसी बीच हाटकोटी से एक व्यक्ति को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम के बारे में पूछताछ की। सीबीआई ने इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी। जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया। नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया है। अब सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा है। इसके आधार पर सीबीआई चार्जशीट तैयार कर रही है। यहां बता दें कि गुडिय़ा पिछले साल चार जुलाई को स्कूल से घर के लिए रवाना हुई थी। रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी। उस समय नीलू नशे में था। गुडिय़ा का शव छह जुलाई को मिला था। उसके बाद प्रदेश भर में जनाक्रोश भडक़ गया था। आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था। उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था। नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधी मानसिकता वाला हो गया था। 
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