शिमला: वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द करना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है, जिसमें अपील का अधिकार है. यह बात आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत करते हुए कही. उन्होंने कहा है कि संविधान में किसी भी अदालती फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार है और इसकी अवधि के दौरान सजा नहीं दी जा सकती. लेकिन राहुल गांधी द्वारा सजा सुनाए जाने के खिलाफ अदालत में अपील दायर करने से पहले ही उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई.
आनंद शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय पार्टी के पूर्व अध्यक्ष हैं, लेकिन उनके मामले में प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. उन्होंने कहा कि कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने पर राहुल गांधी ने जो मुद्दे उठाए उनका सरकार को जबाव देना चाहिए. कांग्रेस और विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहे हैं, कई मामलों में जेपीसी बनाई गई है. लेकिन क्यों इस मामले की जांच के लिए जेपीसी नहीं बनाई. अगर विपक्ष इस मामले को नहीं उठाएगा और संसद जेपीसी नहीं बैठाएगी तो संसदीय लोकतंत्र प्रणाली का क्या होगा.
राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करना लोगों की आवाज दबाने की कोशिश- मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि राहुल गांधी देश में लोगों की आवाज बनकर उभरे हैं, सरकार ने उनकी सदस्यता रद्द कर लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा कर देश को जोड़ने का काम किया है. इससे उनकी लोकप्रियता बढ़ी है. अगले साल संसद के चुनाव होने हैं, इसको देखकर मोदी सरकार घबरा गई है और इसके चलते ये करवाई की गई है. उन्होंने कहा कि बोलने वालों की आवाज को दबाया जा रहा है. इसलिए इस वक्त सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर आना होगा.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मोदी सरकार राहुल गांधी को सदन के भीतर बोलने से रोक सकती है, लेकिन जनता की अदालत में बोलने से उन्हें नहीं रोका जा सकता. उन्होंने कहा राहुल गांधी को अभी सजा हुई है और सरकार ने 24 घंटे के भीतर सदस्यता खत्म कर दी है. इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने आज यहां ओक ओवर में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से भेंट की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने आनंद शर्मा को हिमाचली टोपी और शॉल भेंट कर सम्मानित किया.
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