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किसानों को ऋण सुविधा देने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करें बैंक: सीएम जयराम ठाकुर

शिमला में नाबार्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में प्राथमिक क्षेत्रों के लिए वर्ष 2021-22 के दौरान नाबार्ड द्वारा 27724.04 करोड़ रुपये की अनुमानित ऋण क्षमता है, जो गत वर्ष 25857.26 करोड़ रुपये की क्षमता में 7.22 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है.

Events organized by NABARD in Shimla
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Published : Dec 15, 2020, 7:11 PM IST

शिमला: बैंकों को प्रदेश के सभी पात्र किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने चाहिए. नाबार्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में प्राथमिक क्षेत्रों के लिए वर्ष 2021-22 के दौरान नाबार्ड द्वारा 27724.04 करोड़ रुपये की अनुमानित ऋण क्षमता है, जो गत वर्ष 25857.26 करोड़ रुपये की क्षमता में 7.22 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि अब बैंकों और हितधारकों को इस राशि का उचित उपयोग करने की आवश्यकता है.नाबार्ड को कृषि के क्षेत्र में ध्यान केन्द्रित करते हुए काम करना चाहिए, ताकि ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सके. यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' विषय पर आयोजित नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2021-22 की अध्यक्षता करते हुए कही.

वीडियो.

राज्य का 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र वर्षा पर निर्भर

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर-2021-22 और 'वेरियस रिफाइनेन्स स्कीमज ऑफ नाबार्ड' पर आधारित पुस्तिका भी जारी की. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लैंड होल्डिंग औसत एक एकड़ है और राज्य में कुल भूमि का 88 प्रतिशत है. जो कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में क्रमशः 1.15 हेक्टेयर और 86.21 प्रतिशत है. राज्य का 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है.

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता और उत्पादन के लिए ये सभी कारक, योजनाकारों और हितधारकों के लिए चुनौतियां हैं. उन्होंने किसान उत्पादकों, नाबार्ड के संगठनों (एफपीओ) के सिद्धांतों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एफपीओ का मुख्य उद्देश्य कृषि उपज का समूहन, मूल्य संवर्द्धन और सामूहिक विपणन करना है, ताकि किसानों को उनके उत्पाद के बेहतर मूल्य मिल सके.

2020 आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित नहीं हुआ

उन्होंने कहा कि प्रदेश को अब तक आरआईडीएफ के तहत 8679.28 करोड़ रुपये की संचयी सहायता स्वीकृत हुई है, जो प्रदेश में बुनियादी ढांचा सृजित करने में महत्वपूर्ण है. जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी के कारण वर्ष 2020 आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि इस महामारी से संभावित विकास को सुनिश्चित करने में राज्य सरकार और नाबार्ड जैसे संस्थानों के सामने चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, क्योंकि राष्ट्र की अधिक आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही है. जय राम ठाकुर ने आशा व्यक्त की कि नाबार्ड और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच व्यवसायिक और व्यक्तिगत सम्बन्धों से प्रदेश के लोग लाभान्वित होंगे.

उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रयास वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने में सहायक सिद्ध होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के तत्वाधान में नाबार्ड और बैंकरों को हर तरह का सहयोग और अनुकूल परिवेश प्रदान करना सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे तय लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके.

शिमला: बैंकों को प्रदेश के सभी पात्र किसानों को उनकी आवश्यकतानुसार ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने चाहिए. नाबार्ड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में प्राथमिक क्षेत्रों के लिए वर्ष 2021-22 के दौरान नाबार्ड द्वारा 27724.04 करोड़ रुपये की अनुमानित ऋण क्षमता है, जो गत वर्ष 25857.26 करोड़ रुपये की क्षमता में 7.22 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि अब बैंकों और हितधारकों को इस राशि का उचित उपयोग करने की आवश्यकता है.नाबार्ड को कृषि के क्षेत्र में ध्यान केन्द्रित करते हुए काम करना चाहिए, ताकि ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सके. यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' विषय पर आयोजित नाबार्ड स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2021-22 की अध्यक्षता करते हुए कही.

वीडियो.

राज्य का 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र वर्षा पर निर्भर

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नाबार्ड स्टेट फोकस पेपर-2021-22 और 'वेरियस रिफाइनेन्स स्कीमज ऑफ नाबार्ड' पर आधारित पुस्तिका भी जारी की. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लैंड होल्डिंग औसत एक एकड़ है और राज्य में कुल भूमि का 88 प्रतिशत है. जो कि राष्ट्रीय औसत की तुलना में क्रमशः 1.15 हेक्टेयर और 86.21 प्रतिशत है. राज्य का 80 प्रतिशत कृषि क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है.

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता और उत्पादन के लिए ये सभी कारक, योजनाकारों और हितधारकों के लिए चुनौतियां हैं. उन्होंने किसान उत्पादकों, नाबार्ड के संगठनों (एफपीओ) के सिद्धांतों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एफपीओ का मुख्य उद्देश्य कृषि उपज का समूहन, मूल्य संवर्द्धन और सामूहिक विपणन करना है, ताकि किसानों को उनके उत्पाद के बेहतर मूल्य मिल सके.

2020 आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित नहीं हुआ

उन्होंने कहा कि प्रदेश को अब तक आरआईडीएफ के तहत 8679.28 करोड़ रुपये की संचयी सहायता स्वीकृत हुई है, जो प्रदेश में बुनियादी ढांचा सृजित करने में महत्वपूर्ण है. जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी के कारण वर्ष 2020 आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि इस महामारी से संभावित विकास को सुनिश्चित करने में राज्य सरकार और नाबार्ड जैसे संस्थानों के सामने चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, क्योंकि राष्ट्र की अधिक आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही है. जय राम ठाकुर ने आशा व्यक्त की कि नाबार्ड और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच व्यवसायिक और व्यक्तिगत सम्बन्धों से प्रदेश के लोग लाभान्वित होंगे.

उन्होंने कहा कि यह संयुक्त प्रयास वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने में सहायक सिद्ध होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के तत्वाधान में नाबार्ड और बैंकरों को हर तरह का सहयोग और अनुकूल परिवेश प्रदान करना सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे तय लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके.

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