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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर: गोविंद सिंह ठाकुर

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि एक बार इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के बाद, प्रतिभागी विद्यार्थी अपनी जीवंत कला शैली को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उस सांस्कृतिक अनुभव एवं मूल्यों पर आधारित जीवन जीएंगे. यह बात शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने समग्र शिक्षा विभाग द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित 'कला उत्सव एक विरासत' कार्यक्रम के दौरान कही. मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है.

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर
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Published : Dec 15, 2020, 4:48 PM IST

शिमला: कला उत्सव केवल एक बार में ही समाप्त हो जाने वाली गतिविधि नहीं है, बल्कि यह कलात्मक अनुभव को पहचानने, खोजने, अभ्यास करने और प्रदर्शन की सम्पूर्ण प्रक्रिया का प्रथम चरण है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Education Minister Govind Singh Thakur) ने कहा कि एक बार इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के बाद, प्रतिभागी विद्यार्थी अपनी जीवंत कला शैली को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उस सांस्कृतिक अनुभव एवं मूल्यों पर आधारित जीवन जीएंगे.

यह बात शिक्षा, भाषा कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने समग्र शिक्षा विभाग द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित 'कला उत्सव एक विरासत' कार्यक्रम के दौरान कही. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. नई शिक्षा नीति के अनुसार 'भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है.

वीडियो.

समृद्ध विरासत को संरक्षित रखने की जरूरत

वैश्विक महत्व की इस समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ सहेज कर संरक्षित रखने की जरूरत है बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर शोध कार्य होने चाहिए, उसे और समृद्ध किया जाना चाहिए और उसमें नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं के बीच विकसित होने वाली आगामी सांस्कृतिक अवधारणा को एक प्रमुख योग्ता एवं गुण के रूप में पहचानती है और कला को इस ज्ञान को प्रदान करने के लिए मुख्य माध्यम के रूप में प्रस्तावित करती है.

मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Minister Govind Singh Thakur) ने कहा कि कला उत्सव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, की वर्ष 2015 से एक ऐसी पहल है. जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना उसे पोषित करना, प्रस्तुत करना और शिक्षा में कला को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में सौंदर्यबोध और कलात्मक अनुभवों की आवश्यकता और इसके द्वारा विद्यार्थियों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के ज्ञान प्रदान करने को मान्यता देता रहा है.

'यह उत्सव संस्कृति का प्रचार/प्रसार करता है'

उन्होंने कहा कि कला उत्सव भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में शुरु किया है. स्कूलों में कलाओं के उत्सव की वह पहल है जो प्रत्येक वर्ष आयोजित हो रही है. जिला/राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर कला उत्सव की संरचना इस प्रकार की गई है. जिसमें कला प्रस्तुतियां एवं प्रदर्शनियां सम्मिलित हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि यह उत्सव विद्यार्थियों में भारत की जिला/राज्य/राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत और उसकी जीवंत विविधता के प्रति जागरूकता लाने एवं उत्सव मनाने का मंच प्रदान करता है. यह उत्सव न केवल विद्यार्थियों में बल्कि उनसे जुड़े सभी व्यक्तियों में भी संस्कृति का प्रचार/प्रसार करता है.

मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि भविष्य में यह उत्सव शिल्पकारों, कलाकारों और संस्थाओं को विद्यालयों के साथ जोड़ने में सहायता प्रदान करेगा. उन्होंने कहा किबकला उत्सव की परिकल्पना एक समन्वित मंच उपलब्ध कराने का प्रयास है. जहां सामान्य विद्यार्थी और विशेष आवश्यकता समूह वाले विद्यार्थी (भिन्न क्षमताओं और विभिन्न आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थी) एक साथ अपनी क्षमताओं का उत्सव मना सकें.

शिमला: कला उत्सव केवल एक बार में ही समाप्त हो जाने वाली गतिविधि नहीं है, बल्कि यह कलात्मक अनुभव को पहचानने, खोजने, अभ्यास करने और प्रदर्शन की सम्पूर्ण प्रक्रिया का प्रथम चरण है. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Education Minister Govind Singh Thakur) ने कहा कि एक बार इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के बाद, प्रतिभागी विद्यार्थी अपनी जीवंत कला शैली को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उस सांस्कृतिक अनुभव एवं मूल्यों पर आधारित जीवन जीएंगे.

यह बात शिक्षा, भाषा कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने समग्र शिक्षा विभाग द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित 'कला उत्सव एक विरासत' कार्यक्रम के दौरान कही. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. नई शिक्षा नीति के अनुसार 'भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है.

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समृद्ध विरासत को संरक्षित रखने की जरूरत

वैश्विक महत्व की इस समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ सहेज कर संरक्षित रखने की जरूरत है बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर शोध कार्य होने चाहिए, उसे और समृद्ध किया जाना चाहिए और उसमें नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं के बीच विकसित होने वाली आगामी सांस्कृतिक अवधारणा को एक प्रमुख योग्ता एवं गुण के रूप में पहचानती है और कला को इस ज्ञान को प्रदान करने के लिए मुख्य माध्यम के रूप में प्रस्तावित करती है.

मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर (Minister Govind Singh Thakur) ने कहा कि कला उत्सव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, की वर्ष 2015 से एक ऐसी पहल है. जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना उसे पोषित करना, प्रस्तुत करना और शिक्षा में कला को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में सौंदर्यबोध और कलात्मक अनुभवों की आवश्यकता और इसके द्वारा विद्यार्थियों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता के ज्ञान प्रदान करने को मान्यता देता रहा है.

'यह उत्सव संस्कृति का प्रचार/प्रसार करता है'

उन्होंने कहा कि कला उत्सव भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 में शुरु किया है. स्कूलों में कलाओं के उत्सव की वह पहल है जो प्रत्येक वर्ष आयोजित हो रही है. जिला/राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर कला उत्सव की संरचना इस प्रकार की गई है. जिसमें कला प्रस्तुतियां एवं प्रदर्शनियां सम्मिलित हैं. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि यह उत्सव विद्यार्थियों में भारत की जिला/राज्य/राष्ट्रीय सांस्कृतिक विरासत और उसकी जीवंत विविधता के प्रति जागरूकता लाने एवं उत्सव मनाने का मंच प्रदान करता है. यह उत्सव न केवल विद्यार्थियों में बल्कि उनसे जुड़े सभी व्यक्तियों में भी संस्कृति का प्रचार/प्रसार करता है.

मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि भविष्य में यह उत्सव शिल्पकारों, कलाकारों और संस्थाओं को विद्यालयों के साथ जोड़ने में सहायता प्रदान करेगा. उन्होंने कहा किबकला उत्सव की परिकल्पना एक समन्वित मंच उपलब्ध कराने का प्रयास है. जहां सामान्य विद्यार्थी और विशेष आवश्यकता समूह वाले विद्यार्थी (भिन्न क्षमताओं और विभिन्न आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थी) एक साथ अपनी क्षमताओं का उत्सव मना सकें.

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