शिमला: बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारियां धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत की गई हैं. मामले में एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप के पार्टनर राजदीप जोसन और कृष्ण कुमार, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट पंडोगा के उपाध्यक्ष हितेश गांधी और प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय की छात्रवृत्ति शाखा के तत्कालीन अधिकारी अरविंद राजटा को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों को विशेष न्यायालय शिमला के समक्ष पेश कर. पांच दिनों की ईडी हिरासत में लिया है.
मामले में ईडी ने CBI शिमला की ओर से दर्ज की गई FIR के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि राज्य शिक्षा विभाग, निजी संस्थान और बैंक अधिकारी 200 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति निधि के वितरण में बड़े पैमाने पर गलत विनियोजन में शामिल थे. ईडी की जांच से पता चला कि राजदीप जोसन और कृष्ण कुमार ने मेसर्स एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप एंड स्किल डेवलपमेंट सोसाइटी के माध्यम से फर्जी दस्तावेज पेश करके एससी/एसटी/ओबीसी विद्यार्थियों के लिए पोस्ट-मैट्रिक योजना के तहत छात्रवृत्ति का दावा किया. इसी तरह, हितेश गांधी की अध्यक्षता वाले केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटस पंडोगा ने छात्रवृत्ति के लिए फर्जी दावे किए, जिन्हें अरविंद राजटा ने सत्यापित किया. हितेश गांधी ने विद्यार्थियों के बैंक खाते में वितरित छात्रवृत्ति को केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटस के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया.
यह मामला 2017 का है, जब शिक्षा विभाग के एक अधिकारी को 2013 से 2017 के बीच स्कॉलरशिप के फर्जीवाड़े का शक हुआ था. उसके बाद शिक्षा विभाग की शिकायत पर ही यह FIR पुलिस में करवाई गई थी, लेकिन फिर मामला CBI को दे दिया गया. सीबीआई ने 7 मई 2019 को इसकी FIR दर्ज की. यह पूरा फर्जीवाड़ा करीब 250 करोड़ का है और इसमें अब तक हुई जांच में पता चला है कि 13 से ज्यादा संस्थाओं ने 2000 से ज्यादा फर्जी छात्रों की स्कॉलरशिप हड़प ली गई. सीबीआई जांच के दायरे में 266 प्राइवेट संस्थान लिए गए थे जिनमें से 28 इस फर्जीवाड़े में शामिल मिले. इस खुलासे के बाद ही मनी लांड्रिंग के तहत कार्रवाई के लिए ईडी को मामला भेजा गया.