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अलविदा 2019: हर साल हिमाचल में बढ़ रहा है नशा कारोबार, हकीकत बयां कर रहे हैं इस साल के आंकड़े

शांत राज्य कहा जाने वाला हिमाचल नशे की आग में सुलग रहा है और आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं. हिमाचल के उज्ज्वल भविष्य के सितारे नशे की गर्त में डूबते जा रहे हैं. नशे का दानव शहरों कस्बों से होता गांवों तक पहुंच गया है. जानिए साल 2019 में प्रदेश में नशा व्यापार के आंकड़े...

drug addiction among youth
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Published : Dec 31, 2019, 5:27 PM IST

शिमला: देश की रक्षा के लिए सैनिक तैयार करने वाले प्रदेश की जवान जड़ों को चिट्टा, चरस और कैमिकल नशा खोखला कर रहा है. लाहौल स्पीति को छोड़कर प्रदेश का हर जिला संवेदनशील हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में नशा तस्करी के 3,360 मामले सामने आए हैं और 10 सालों में नशा तस्करी या एनडीपीएस के तहत दर्ज मामलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.

10 सालों में दर्ज हुए NDPS के मामले

साल 2009 में NDPS एक्ट के तहत कुल 473 मामले दर्ज किये गए थे, जो 2010 में बढ़कर 596 हो गए थे. साल 2011 में 570, 2012 में 513, साल 2013 में 530, साल 2014 में 644, साल 2015 में 622, साल 2016 में 929, साल 2017 में 1010, साल 2018 में ये आंकड़ा 1342 और साल 2019 में 1282 तक पहुंच चुका है.

वीडियो.

2019 की सुर्खियां : विवादों के बावजूद असम में NRC आया

इन जिलों में हो रहा सबसे ज्यादा तस्करी

प्रदेश के चार जिलों में नशे का काला कारोबार ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है ...ये जिले हैं- कांगड़ा, ऊना, शिमला और कुल्लू. ऊना और कांगड़ा पंजाब बॉर्डर के साथ लगते हैं. यहां बाहरी नशा माफिया के हौसले ज्यादा बुलंद हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा जिला ऊना पर अगर नजर डालें तो यहां पर चिट्टे का चलन ज्यादा है. सिर्फ चिट्टा तस्करी के मामलों पर ध्यान दें तो जनवरी 2018 से लेकर जून 2019 तक पुलिस में 54 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, कांगड़ा जिला में 2018 में नशा तस्करी के 270 मामले रजिस्टर हुए जिसमें 42 महिलाओं समेत 311 लोगों को जेल हुई, इसमें 285 हिमाचली तो 26 लोग बाहरी राज्यों के थे.

चरस के लिए दुनिया भर में कुख्यात कुल्लू जिला की बात करें तो 2018 में यहां पर 62 मामलों में 67 किलो से ज्यादा चरस पकड़ी गई थी और वहीं 2019 में 30 मई तक ही 65 मामलों में 39 किलोग्राम चरस पकड़ी गई. वहीं, साल 2018 और 2019 में पुलिस द्वारा बरामद नशे की मात्रा पर नजर दौड़ाई जाए, तो आंकड़े साफ तौर पर इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष प्रदेश में नशे के व्यापार ज्यादा हुआ है.

ईयर इंडर 2019: हिमाचल की राजनीति में पूरी तरह से रहा BJP का नाम, कांग्रेस चारों खाने चित्त

2019 में पकड़ी गई नशीले पदार्थों की मात्रा

चरस 213.511 किलो, ओपियम 15.783 किलो, पॉपी हसक 1287.823 किलो, पॉपी प्लांट 26927 पौधे, स्मैक 149.114 ग्राम, हेरोइन 6.499 किलो.

2018 में पकड़ी गई नशीले पदार्थों की मात्रा

चरस 470.600 किलो, ओपियम 7.151किलो, पॉपी हसक 564.620, पॉपी प्लांट 13423 पौधे, स्मैक 315.291 ग्राम, हेरोइन 7.707 किलो ब्राउन शुगर 3 ग्राम.

एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में पिछले दो सालों में ही नशे का कारोबार दोगुना हो चुका है. अब स्कूली छात्र- छात्राएं भी नशे की चपेट में आ रहे हैं. प्रदेश में चरस, चिट्टे के अलावा गांजा, अफीम, नशीले कैप्सूल्स, कफ सीरप, कोकेन, शराब जैसे नशे लगातार अपना पैर पसारते जा रहे हैं. हालांकि पुलिस की मुस्तैदी से नशे का कारोबार करने वाले पकड़े भी गए हैं. प्रदेश पुलिस पड़ोसी राज्यों से सप्लाई होने वाली नशे की खेप पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. इसके लिए बाकायदा पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी अभियान भी चलाया गया है.

बावजूद इसके देवभूमि में नशे का चलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. युवा फिर भी इस दलदल में धंसते जा रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले साल में हिमाचल पुलिस देवभूमि को नशे के जंजाल से बचाने में कामयाब होगी.

शिमला: देश की रक्षा के लिए सैनिक तैयार करने वाले प्रदेश की जवान जड़ों को चिट्टा, चरस और कैमिकल नशा खोखला कर रहा है. लाहौल स्पीति को छोड़कर प्रदेश का हर जिला संवेदनशील हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में नशा तस्करी के 3,360 मामले सामने आए हैं और 10 सालों में नशा तस्करी या एनडीपीएस के तहत दर्ज मामलों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.

10 सालों में दर्ज हुए NDPS के मामले

साल 2009 में NDPS एक्ट के तहत कुल 473 मामले दर्ज किये गए थे, जो 2010 में बढ़कर 596 हो गए थे. साल 2011 में 570, 2012 में 513, साल 2013 में 530, साल 2014 में 644, साल 2015 में 622, साल 2016 में 929, साल 2017 में 1010, साल 2018 में ये आंकड़ा 1342 और साल 2019 में 1282 तक पहुंच चुका है.

वीडियो.

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इन जिलों में हो रहा सबसे ज्यादा तस्करी

प्रदेश के चार जिलों में नशे का काला कारोबार ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है ...ये जिले हैं- कांगड़ा, ऊना, शिमला और कुल्लू. ऊना और कांगड़ा पंजाब बॉर्डर के साथ लगते हैं. यहां बाहरी नशा माफिया के हौसले ज्यादा बुलंद हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से छोटा जिला ऊना पर अगर नजर डालें तो यहां पर चिट्टे का चलन ज्यादा है. सिर्फ चिट्टा तस्करी के मामलों पर ध्यान दें तो जनवरी 2018 से लेकर जून 2019 तक पुलिस में 54 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, कांगड़ा जिला में 2018 में नशा तस्करी के 270 मामले रजिस्टर हुए जिसमें 42 महिलाओं समेत 311 लोगों को जेल हुई, इसमें 285 हिमाचली तो 26 लोग बाहरी राज्यों के थे.

चरस के लिए दुनिया भर में कुख्यात कुल्लू जिला की बात करें तो 2018 में यहां पर 62 मामलों में 67 किलो से ज्यादा चरस पकड़ी गई थी और वहीं 2019 में 30 मई तक ही 65 मामलों में 39 किलोग्राम चरस पकड़ी गई. वहीं, साल 2018 और 2019 में पुलिस द्वारा बरामद नशे की मात्रा पर नजर दौड़ाई जाए, तो आंकड़े साफ तौर पर इस बात की गवाही देते हैं कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष प्रदेश में नशे के व्यापार ज्यादा हुआ है.

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2019 में पकड़ी गई नशीले पदार्थों की मात्रा

चरस 213.511 किलो, ओपियम 15.783 किलो, पॉपी हसक 1287.823 किलो, पॉपी प्लांट 26927 पौधे, स्मैक 149.114 ग्राम, हेरोइन 6.499 किलो.

2018 में पकड़ी गई नशीले पदार्थों की मात्रा

चरस 470.600 किलो, ओपियम 7.151किलो, पॉपी हसक 564.620, पॉपी प्लांट 13423 पौधे, स्मैक 315.291 ग्राम, हेरोइन 7.707 किलो ब्राउन शुगर 3 ग्राम.

एक अनुमान के मुताबिक पूरे प्रदेश में पिछले दो सालों में ही नशे का कारोबार दोगुना हो चुका है. अब स्कूली छात्र- छात्राएं भी नशे की चपेट में आ रहे हैं. प्रदेश में चरस, चिट्टे के अलावा गांजा, अफीम, नशीले कैप्सूल्स, कफ सीरप, कोकेन, शराब जैसे नशे लगातार अपना पैर पसारते जा रहे हैं. हालांकि पुलिस की मुस्तैदी से नशे का कारोबार करने वाले पकड़े भी गए हैं. प्रदेश पुलिस पड़ोसी राज्यों से सप्लाई होने वाली नशे की खेप पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. इसके लिए बाकायदा पड़ोसी राज्यों के साथ मिलकर प्रदेशव्यापी अभियान भी चलाया गया है.

बावजूद इसके देवभूमि में नशे का चलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. युवा फिर भी इस दलदल में धंसते जा रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले साल में हिमाचल पुलिस देवभूमि को नशे के जंजाल से बचाने में कामयाब होगी.

Intro:
साल गुजरता रहा, खून बहता रहा, आबरू लूटती रही

हत्या, बलात्कार, अपहरण से दहल उठी देवभूमि

प्रदेश में 11 माह में मर्डर 62 , 327 बलात्कार, 430 अपहरण

साल भर चोरों ने भी खूब दौड़ाया खाकी को

418 चोरियां, 433 सेंधमारी, 12 लूटपाट की घटनाएं







शिमला।

शांत कहलाए जाने वाली देवभूमि में भी अब महानगरों की तर्ज पर अपराधिक वारदातें होने लगी हैं। हत्या, बलात्कार, अपहरण चोरी व मादक पदार्थ के मामलों में पुलिस
प्रशासन वर्ष 2019 में भी विराम नहीं लगा सका है। साल भर खून बहता रहा और आबरू लूटती रही। या यूं कहे कि हर तीसरे दिन हत्या
व हर दूसरे दिन महिलाओं का अपहरण व बलात्कार की घटनाएं पेश आती रही। साल 2019 में देवभूमि में 62 कत्ल और 327 बलात्कार, 430 अपहरण, 433 चोरियों, 418 सेंधमारी, 12 लूटपाट की घटनाए और 50 जान लेने की कोशिश करने के मामले पेश में आए।
Body:
शांत कहे जाने वाले प्रदेश में डकैती व लूटपाट की

घटनाएं भी दस्तक देने लगी है। वर्ष भर में डकैती का एक ही मामला प्रकाश में आया है। जबकि लूटपाट की घटनाएं 12 तक जा पहुंची। लूटपाट की दृष्टि से भी हिमाचल पीछे नहीं रहा। सेंधमारी की घटनाएं भी वर्ष 2019 में कम नहीं रही। सालभर शातिर चोरों ने पुलिस को खूब दौड़ाकर रखा।

फिर भी कमी कमी नहीं आई है। हर वर्ष की तरह कांगड़ा अपराधिक वारदातों में नंबर वन रहा। साल 2019 के 11 माह में पूरे हिमाचल में कत्ल के 62 मामले दर्ज किए गए। देवभूमि में खून की कालिख पोथने में इस बार कांगड़ा नवंबर वन व चम्बा दूसरे स्थान पर रहा। इस वर्ष कत्ल के मामले कांगड़ा में 12 , शिमला में 8 , चंबा 9 ,
कुल्लू 4 , मंडी में 4 , सोलन में 3 , सिरमौर 3, बिलासपुर में 3 , ऊना में 4 , , हमीरपुर में 3 , किन्नौर में 3 मामला पेश आया। लाहौल स्पीति ही एक ऐसा जिला है जहां पर साल भर कोई कत्ल नहीं हुआ है। यही नहीं शांत कहे जाने वाले प्रदेश में डकैती व लूटपाट की

घटनाएं भी दस्तक देने लगी है। वर्ष भर में डकैती का एक ही मामला प्रकाश में आया है। जबकि लूटपाट की घटनाएं 12 तक जा पहुंची। लूटपाट की दृष्टि से भी हिमाचल पीछे नहीं रहा। पुलिस ने ऐसे 12 मामले दर्ज किए हैं जिनमें शिमला व कुल्लू में कोई नहीं , सिरमौर में 1 सोलन में 2 व बीबीएन में 4 मामला दर्ज किया गया है।
Conclusion:
भोले-भाले हिमाचल में बलात्कार की घटनाएं भी कम नहीं हुई हैं। कांगड़ा में 36 , मंडी में 42 , शिमला में 57 , कुल्लू में 28 , सिरमौर 38 , सोलन 3 1, ऊना में 17 , बिलासपुर में 19 , पुलिस जिला बद्दी में 18 , चंबा में 14 ,
हमीरपुर में 16 , किन्नौर में 11 मामले दर्ज किए गए हैं।

बच्चे महिला व अन्य अपहरण की घटनाओं ने भी प्रदेशवासियों को काफी चिंतित किया। अपहरण की वारदातों में श्मिला नंबर वन, मंडी दूसरे स्थान पर रहा।शिमला में 85 ,मंडी में 73 कांगड़ा में 66 , , चंबा 17 व सिरमौर में 34 , कुल्लू 28 , जिला बद्दी में 18 , सोलन में 32 , ऊना में 19 , हमीरपुर में 22 , बिलासपुर में 30 , किन्नोर में पांच, लाहौल स्पिति में 1 मामले प्रकाश में आए है। कुल मिलाकर पुलिस ने वर्ष भर में 430 अपहरण के मामले दर्ज किए जो गत वर्ष की तुलना में
कहीं अधिक है।

सेंधमारी की घटनाएं भी वर्ष 2019 में कम नहीं रही। सालभर शातिर चोरों ने पुलिस को ाूब दौड़ाकर रखा।
प्रदेश में सेंधमारी के कुल 418 , चोरी के 433 मामले दर्ज किए गए। शिमला में 62 , कांगड़ा में 53 , सोलन में 55 , मंडी में 36 , कुल्लू में 30 , पुलिस जिला बद्दी 59 , सिरमौर में 50 , ऊना में 23 , बिलासपुर में 23 , हमीरपुर में 15 , चंबा में 17 मामले दर्ज किए गए।

इसी
तरह सेंधमारी के मामले कांगड़ा में 74 , शिमला में 94 , कुल्लू 24 , सिरमौर में 45 , सोलन में 23 , मंडी में 45 , पुलिस जिला बदद्ी में 35 और बिलासपुर 13 , ऊना 32 , हमीरपुर में 20 , चंबा में 11 , किन्नौर में 2 , लाहौल स्पीति में 0 मामला दर्ज किया गया।



महिलाओ के प्रति अपराध भी थमते नहीं नजर आए। प्रदेश में 218 मामले महिलाओ से छेड़छाड़ के दर्ज हुए है। जिसमे बद्दी में 11 ,बिलासपुर में 17 ,चम्बा में 7 ,हमीरपुर में 18 ,कांगड़ा में 28 ,किन्नौर में 3 ,कुल्लू में 8, लाहौल स्पीति में 1 ,मंडी में 43 ,शिमला में 13 ,सिरमौर में 26 ,सोलन 10 ,ऊना 33 मामले दर्ज हुए है।









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