शिमला: आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ. रजनीश पठानिया को आईजीएमसी के नए सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक चमियाना का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया है. मंगलवार को विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. डॉ रजनीश पठानिया 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे थे, मगर अब उन्हें नया कार्यभार सौंप दिया गया है.
एक दिन पहले ही सरकार ने चमियाना ब्लॉक के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष की थी. जिसके तहत अब डॉ. रजनीश पठानिया वहां पर कार्यभार संभालेंगे. डॉ. रजनीश पठानिया जाने माने हार्ट सर्जन हैं. उन्होंने 99 फीसदी हार्ट के ऑपरेशन सफल किए हैं. डॉ रजनीश पठानिया के नेतृत्व में ओपन हार्ट सर्जरी डिपार्टमेंट ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं.
ऑपरेशन की सफलता दर 98 फीसदी
इस दौरान अपेक्षाकृत कम संसाधनों और कम मैन पवर के भी डिपार्टमेंट ने 1600 ऑपरेशन किए हैं. सबसे सुखद बात यह है कि ऑपरेशन की सफलता दर 98 फीसदी रही है. वीरभद्र सिंह सरकार के समय ही 12 दिसंबर 2005 को आईजीएमसी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी शुरू करने के लिए कार्डियोथोरेसिकएंड वस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) डिपार्टमेंट स्थापित किया गया.
डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. रजनीश पठानिया रहे . शुरू में एम्स से डॉ. एम वेणुगोपाल के नेतृत्व में आई टीम से आपरेशन किए. कुछ ऑपरेशन फोर्टिस अस्पताल मोहाली के मशहूर सर्जन डॉ. टीएस महंत ने भी किए. बाद में सारी कमान डॉ. रजनीश पठानिया ने संभाली और इस मिशन के लगातार सफलता के मुकाम तक पहुंचाया.
अब हिमाचल में ही तैयार हो रहे हार्ट सर्जन
डॉ. रजनीश पठानिया के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश में सीटीवीएस डिपार्टमेंट में एमसीएच की डिग्री शुरू हुई है. एमसीएच यानी मास्टर ऑफ चेरीचुरी. इस डिग्री के बाद डॉक्टर विशेषज्ञ हार्ट सर्जन बनता है. इससे प्रदेश को अब हार्ट सर्जन के लिए बाहरी राज्यों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा.
इस सुविधा के बाद आईजीएमसी अस्पताल नॉर्थ इंडिया का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल बन गया है, जहां एक साथ हार्ट सर्जरी और एमसीएच की डिग्री का कोर्स चलाया जा रहा है. टांडा मेडिकल कॉलेज में भी हार्ट सर्जरी के शुरू करने डॉ. पठानिया का बड़ा योगदान रहा है. डॉ पठानिया टांडा और आईजीएमसी में दोनों जगह बारी-बारी से हार्ट की सर्जरी करते थे.
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