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Eco Friendly Diwali: गाय के गोबर से बने दीयों से रोशन होगी दिवाली, 10 हजार दीये हो रहे तैयार

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Published : Oct 27, 2020, 7:41 PM IST

हिमाचल में इस बार एक अलग ही तरह के दीये दिवाली के इस खास पर्व के लिए तैयार किए जा रहे हैं जो ना तो मिट्टी के बने हैं ना ही चाइना मेड हैं बल्कि यह दीये गाय के गोबर से तैयार हो रहे हैं. जिनका इस्तेमाल इस दीवाली पर आप अपने घरों को रोशन करने के लिए कर सकते हैं. आगे...

diwali will be celebrated with lamps made from cow dung in shimla
डिजाइन फोटो.

शिमला: दीपों का पर्व दीपावली पर घरों को दीयों की रोशन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले जहां इसके लिए मिट्टी के बने दीये इस्तेमाल किए जाते थे. वहीं, अब बदलते समय में अब मिट्टी के दीयों का स्थान आर्कषक दिखने वाले चाइनीज दीयों ने ले लिया है, लेकिन इस बार एक अलग ही तरह के दीये दिवाली के इस खास पर्व के लिए तैयार किए जा रहे हैं जो ना तो मिट्टी के बने हैं ना ही चाइना मेड हैं बल्कि यह दीये गाय के गोबर से तैयार हो रहे हैं. जिनका इस्तेमाल इस दीवाली पर आप अपने घरों को रोशन करने के लिए कर सकते हैं.

  • लोकल फॉर वोकल

स्वदेशी को अपनाया जा सके और इसकी महत्ता को लोग समझ सके इसी को देखते हुए इस बार यह अलग और अनोखी पहल की जा रही है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से शुरू की गई इस पहल में शिमला के टूटू स्थित श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति भी शामिल हुई है और यहां समिति के सदस्यों की ओर से 10 हजार गोबर के दीये तैयार किए जा रहे हैं.

गौशाला के यह सदस्य अपने हाथों से इन दीयों को आकर्षक डिजाइन में तैयार कर रहे हैं, ताकि लोगों के घर इस बार इन दीयों की रोशनी हो सके. इस काम में महिलायें भी उन्हें सहयोग कर रही हैं जिससे कि जो लक्ष्य 10 हजार दीयों को तैयार करने का रखा गया है वह पूरा हो सके.

वीडियो रिपोर्ट.
  • ये है दीयों की खास बात

इन दीयों की खास बात यह है कि यह दिवाली पर घरों को ना केवल रोशन करने का ही काम करेंगे बल्कि इन दीयों के जलने से सही मायनों में घर पर लक्ष्मी जी का वास होगा और सकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवाहित होगी. इसके पीछे की वजह है गाय के गोबर में विद्यमान वह गुण जिससे कि घरों पर इन दीयों के जलाने मात्र से ही इसका प्रभाव देखा जा सकता है.

  • बेहद ही कम लागत

बेहद ही कम लागत पर इन दीयों को लोगों को श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति की ओर से मुहैया करवाया जाएगा. 10 रुपए की कीमत का एक दीया तैयार किया जा रहा है जिसे जला कर दीपावली का पर्व मनाया जा सकता है. इन दीयों को तैयार करने में जुटे श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति के सदस्य रंजन ने कहा कि इन दीयों को बनाने के लिए गाय के गोबर के साथ बुरादा, चावल का आटा और मुल्तानी मिट्टी यानी चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

diwali will be celebrated with lamps made from cow dung in shimla
फोटो.

इन सभी को एक साथ मिलाकर गाय के गोबर को सुखा कर फिर उसका पाउडर बना कर सभी आइटम्स को एक साथ मिलाकर गोबर के यह दीये तैयार किए जा रहे हैं. 60 के करीब गाय यहां गौशाला में हैं. उनके गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. दिवाली से पहले 10 हजार दीयों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए ज्यादा लोगों की आवश्यकता है ऐसे में जो भी महिलाएं इस कार्य को करना चाहती हैं और गौशाला की ट्रस्ट के जो सदस्य हैं उनके घरों की महिलाएं भी इस कार्य में सहयोग कर रही हैं.

  • गाय के गोबर में होता है मां लक्ष्मी का वास

उन्होंने बताया कि गाय के गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है और यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. ऐसे में घर में अगर गाय के गोबर से बने दीये को जलाया जाता है तो मां लक्ष्मी का वास घर में होने के साथ ही पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह भी घरों पर होगा.

वहीं, समिति के अन्य सदस्य आरके पराशर ने बताया कि यह दीये घरों में जलाने से किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है. यह दिये भले ही गोबर से बने हैं, लेकिन इसमें चावल का आटा, मुल्तानी मिट्टी भी शामिल है तो ऐसे में दीये आग नहीं पकड़ेंगे और जो दीया जलने के बाद बच जाएगा उसका इस्तेमाल खाद के रूप में भी लोग कर सकते हैं.

diwali will be celebrated with lamps made from cow dung in shimla
फोटो.

राजभवन और ओक ओवर में भी गोबर से बने दीये रोशन करेंगे. दिवाली कामनापूर्णी समिति की ओर से तैयार किए जा रहे गोबर के यह दीये मुख्यमंत्री आवास और राजभवन भी भेजें जाएंगे. जिससे दिवाली पर इन दोनों ही आवासों पर प्रकाश इन्हीं दीयों का जगमगाए.

  • चाइना मेड दीयों का ना करें इस्तेमाल

चीन और भारत के बीच चल रहे विवाद की वजह से देखा जा रहा है कि लोग चाइनीज वस्तुओं का काफी ज्यादा बहिष्कार कर रहे हैं. इस बार दिपावली के लिए ना तो लोग चाइनीज दीये खरीदने में रूचि दिखा रहे हैं और ना ही चाइनीज लाइट घरों को रोशन करने के लिए खरीद रहे हैं.

ऐसे में गोबर से बने इन दीयों से बेहतर चीज दिवाली के इस खास पर्व को और खास बनाएंगे. इसी को देखते हुए यह अलग और नई पहली गई है जिससे कि दिवाली पर घरों के रौनक ओर ज्यादा बढ़ सके.

शिमला: दीपों का पर्व दीपावली पर घरों को दीयों की रोशन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पहले जहां इसके लिए मिट्टी के बने दीये इस्तेमाल किए जाते थे. वहीं, अब बदलते समय में अब मिट्टी के दीयों का स्थान आर्कषक दिखने वाले चाइनीज दीयों ने ले लिया है, लेकिन इस बार एक अलग ही तरह के दीये दिवाली के इस खास पर्व के लिए तैयार किए जा रहे हैं जो ना तो मिट्टी के बने हैं ना ही चाइना मेड हैं बल्कि यह दीये गाय के गोबर से तैयार हो रहे हैं. जिनका इस्तेमाल इस दीवाली पर आप अपने घरों को रोशन करने के लिए कर सकते हैं.

  • लोकल फॉर वोकल

स्वदेशी को अपनाया जा सके और इसकी महत्ता को लोग समझ सके इसी को देखते हुए इस बार यह अलग और अनोखी पहल की जा रही है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग की ओर से शुरू की गई इस पहल में शिमला के टूटू स्थित श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति भी शामिल हुई है और यहां समिति के सदस्यों की ओर से 10 हजार गोबर के दीये तैयार किए जा रहे हैं.

गौशाला के यह सदस्य अपने हाथों से इन दीयों को आकर्षक डिजाइन में तैयार कर रहे हैं, ताकि लोगों के घर इस बार इन दीयों की रोशनी हो सके. इस काम में महिलायें भी उन्हें सहयोग कर रही हैं जिससे कि जो लक्ष्य 10 हजार दीयों को तैयार करने का रखा गया है वह पूरा हो सके.

वीडियो रिपोर्ट.
  • ये है दीयों की खास बात

इन दीयों की खास बात यह है कि यह दिवाली पर घरों को ना केवल रोशन करने का ही काम करेंगे बल्कि इन दीयों के जलने से सही मायनों में घर पर लक्ष्मी जी का वास होगा और सकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवाहित होगी. इसके पीछे की वजह है गाय के गोबर में विद्यमान वह गुण जिससे कि घरों पर इन दीयों के जलाने मात्र से ही इसका प्रभाव देखा जा सकता है.

  • बेहद ही कम लागत

बेहद ही कम लागत पर इन दीयों को लोगों को श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति की ओर से मुहैया करवाया जाएगा. 10 रुपए की कीमत का एक दीया तैयार किया जा रहा है जिसे जला कर दीपावली का पर्व मनाया जा सकता है. इन दीयों को तैयार करने में जुटे श्री कामनापूर्णि गौशाला समिति के सदस्य रंजन ने कहा कि इन दीयों को बनाने के लिए गाय के गोबर के साथ बुरादा, चावल का आटा और मुल्तानी मिट्टी यानी चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

diwali will be celebrated with lamps made from cow dung in shimla
फोटो.

इन सभी को एक साथ मिलाकर गाय के गोबर को सुखा कर फिर उसका पाउडर बना कर सभी आइटम्स को एक साथ मिलाकर गोबर के यह दीये तैयार किए जा रहे हैं. 60 के करीब गाय यहां गौशाला में हैं. उनके गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है. दिवाली से पहले 10 हजार दीयों को बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए ज्यादा लोगों की आवश्यकता है ऐसे में जो भी महिलाएं इस कार्य को करना चाहती हैं और गौशाला की ट्रस्ट के जो सदस्य हैं उनके घरों की महिलाएं भी इस कार्य में सहयोग कर रही हैं.

  • गाय के गोबर में होता है मां लक्ष्मी का वास

उन्होंने बताया कि गाय के गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है और यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. ऐसे में घर में अगर गाय के गोबर से बने दीये को जलाया जाता है तो मां लक्ष्मी का वास घर में होने के साथ ही पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह भी घरों पर होगा.

वहीं, समिति के अन्य सदस्य आरके पराशर ने बताया कि यह दीये घरों में जलाने से किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं है. यह दिये भले ही गोबर से बने हैं, लेकिन इसमें चावल का आटा, मुल्तानी मिट्टी भी शामिल है तो ऐसे में दीये आग नहीं पकड़ेंगे और जो दीया जलने के बाद बच जाएगा उसका इस्तेमाल खाद के रूप में भी लोग कर सकते हैं.

diwali will be celebrated with lamps made from cow dung in shimla
फोटो.

राजभवन और ओक ओवर में भी गोबर से बने दीये रोशन करेंगे. दिवाली कामनापूर्णी समिति की ओर से तैयार किए जा रहे गोबर के यह दीये मुख्यमंत्री आवास और राजभवन भी भेजें जाएंगे. जिससे दिवाली पर इन दोनों ही आवासों पर प्रकाश इन्हीं दीयों का जगमगाए.

  • चाइना मेड दीयों का ना करें इस्तेमाल

चीन और भारत के बीच चल रहे विवाद की वजह से देखा जा रहा है कि लोग चाइनीज वस्तुओं का काफी ज्यादा बहिष्कार कर रहे हैं. इस बार दिपावली के लिए ना तो लोग चाइनीज दीये खरीदने में रूचि दिखा रहे हैं और ना ही चाइनीज लाइट घरों को रोशन करने के लिए खरीद रहे हैं.

ऐसे में गोबर से बने इन दीयों से बेहतर चीज दिवाली के इस खास पर्व को और खास बनाएंगे. इसी को देखते हुए यह अलग और नई पहली गई है जिससे कि दिवाली पर घरों के रौनक ओर ज्यादा बढ़ सके.

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