शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में पैट-सीटी स्कैन मशीन का शिलान्यास किया. लंबे समय से इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में इस मशीन की मांग उठाई जा रही थी. सरकार ने इस पुरजोर मांग को पूरा करने की दिशा में पहला कदम उठा दिया है. यह मशीन मरीज के शरीर में कैंसर का पता लगाने में मदद करती है. हिमाचल प्रदेश में पहले यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इसके लिए मरीजों को चंडीगढ़ टेस्ट के लिए जाना पड़ता था और 15 से 20 हजार रुपए खर्च करने पड़ते थे.
इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार पांच फ्लैगशिप कार्यक्रम को लेकर आगे बढ़ रही है. शिक्षा के बाद स्वास्थ्य हिमाचल प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए बदलाव की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मंत्रिमंडल ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर का आपातकाल विभाग स्थापित करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में 175 बेड वाले इमरजेंसी डिपार्टमेंट की स्थापना होगी. इसके लिए खर्च होने वाले 11 करोड़ रुपए को भी स्वीकृति दे दी गई है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अस्पताल में आईसीयू में हर बेड पर एक नर्स की सुविधा होगी, जबकि कैजुअल्टी विभाग में तीन बेड पर एक नर्स होगी. इसके अलावा 10 बेड पर एक डॉक्टर उपलब्ध रहेगा, जो सिर्फ 8 घंटे की ड्यूटी देगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य सुविधाओं में 10 से 15 साल पीछे चल रहा है. हिमाचल प्रदेश को स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने बताया कि हमीरपुर में 400 करोड़ की लागत से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कैंसर केयर बनाया जा रहा है. इस अस्पताल में हिमाचल प्रदेश के मरीजों को वर्ल्ड क्लास सुविधा उपलब्ध होगी.
इसलिए करवाया जाता है पैट स्कैन का टेस्ट- पैट स्केन कैंसर, हृदय रोग और मस्तिष्क विकारों सहित विभिन्न स्थितियों की पहचान करने में मदद करने के लिए पैट स्केन किया जाता है. पैट स्कैन के दौरान मरीजों को एक मेज पर लेटा दिया जाता है. एक्स-रे ट्यूब आपके अंदरूनी अंगों की बहुत सारी तस्वीरें लेता है. इसके लिए स्थिर रहना जरूरी है. यदि मरीज को बंद जगह में घबराहट होती है तो शायद आपको टेस्ट के दौरान थोड़ी परेशानी हो सकती है. स्कैन के दौरान आप टेक्नोलॉजिस्ट से बात कर पाएंगे. स्कैनर रेडियोधर्मी अनुरेखक का पता लगाएगा और शरीर में इसके वितरण को रिकॉर्ड करेगा.
पैट स्केन के नुकसान- पैट स्केन शरीर के भीतर रासायनिक संतुलन सामान्य नहीं है तो पीईटी स्कैनिंग गलत परिणाम दे सकती है . विशेष रूप से मधुमेह के रोगियों या उन रोगियों के परीक्षण के परिणाम जो परीक्षा से कुछ घंटे पहले खा चुके हैं, परिवर्तित रक्त शर्करा या रक्त इंसुलिन के स्तर के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
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