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राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को लेकर जरूरत पड़ने पर दोबारा करूंगा पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में हुए भारी नुकसान को देखते हुए केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है. वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ने पर दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे. (Himachal Politics)

sukhu govt demands center to declare disaster
मुख्यमंत्री सुक्खू ने केंद्र सरकार से की राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 4, 2023, 8:26 PM IST

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान

शिमला: प्रदेश में इस बार भारी बारिश के बाद आई आपदा से हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है. सड़कें पुल और पानी व बिजली की परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं. भारी नुकसान को देखते हुए सरकार ने हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की वजह से तबाही हुई है. राज्य सरकार अब भी केंद्र सरकार से मांग कर रही है कि इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि केंद्र से इस बारे में बात की गई है और जरूरत पड़ने पर दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे.

'फिर से केंद्र सरकार से से करेंगे आग्रह': दरअसल, मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की दूसरी टीम ने अभी रिपोर्ट जमा करवानी है, लेकिन राज्य सरकार अपने संसाधनों से प्रदेश में सड़कें और अन्य सुविधाओं को बहाल कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसान और बागवान के फलों और फसलों को मार्केट तक पहुंचाया जाए, इसके बाद फिर से केंद्र सरकार से राहत राशि को लेकर आग्रह करेंगे.

'प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का काम कर रही सरकार': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार आम जनता और प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी की तरह चुनाव के मद्देनजर नजर कोई काम नहीं करती. सरकार का ध्येय सिर्फ प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का है. उन्होंने कहा कि साल 2024 के चुनाव आने वाले हैं और भाजपा चुनाव के मद्देनजर कई शगूफे छोड़ते हुई नजर आएगी.

'हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपये का था कर्ज': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब उन्होंने प्रदेश की सत्ता संभाली थी, तब हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था. इसके अलावा कर्मचारियों की भी 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी थी. इसके बावजूद सरकार ने अपना वादा निभाते हुए कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बातों पर अडिग है और चार साल में हिमाचल को अपने पैर पर खड़ा करेंगे. इस दिशा में सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के सभी विभागों में चरणबद्ध तरीके से व्यवस्था परिवर्तन किया जा रहा है और वह हिमाचल प्रदेश में को 10 साल में नंबर वन राज्य बना कर दिखाएंगे.

मुख्यमंत्री ने मंडी के पटेल विश्वविद्यालय का दायरा घटाने को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनाव में फायदा लेने के लिए एक कॉलेज के भवन में यूनिवर्सिटी शुरू कर दी. अब भी वहां कॉलेज ही है, मगर चुनाव में फायदा लेने के लिए उसे यूनिवर्सिटी का नाम दे दिया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह जयराम सरकार ने छह माह पहले बिना शिक्षकों के स्कूल खेल दिए थे उसी तरह पटेल यूनिवर्सिटी में भी न तो शिक्षक थे और न ही सुविधाएं थी. उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले वक्त में मंडी विश्वविद्यालय में बेहतरी के लिए कदम उठाएगी और इसका काम चुनावी फायदे के लिए नहीं बल्कि जनहित में किया जाएगा. सरकार यहां पहले सुविधाएं जुटाएगी और उसके बाद देखेगी कि कौन कौन से कोर्स यहां शुरू किए जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: ये आपदा से निपटने का दौर, जयराम खबरों से अपनी ओर ध्यान करवाना चाहते हैं आकर्षित: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान

शिमला: प्रदेश में इस बार भारी बारिश के बाद आई आपदा से हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है. सड़कें पुल और पानी व बिजली की परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं. भारी नुकसान को देखते हुए सरकार ने हिमाचल में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की वजह से तबाही हुई है. राज्य सरकार अब भी केंद्र सरकार से मांग कर रही है कि इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि केंद्र से इस बारे में बात की गई है और जरूरत पड़ने पर दोबारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात करेंगे.

'फिर से केंद्र सरकार से से करेंगे आग्रह': दरअसल, मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की दूसरी टीम ने अभी रिपोर्ट जमा करवानी है, लेकिन राज्य सरकार अपने संसाधनों से प्रदेश में सड़कें और अन्य सुविधाओं को बहाल कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसान और बागवान के फलों और फसलों को मार्केट तक पहुंचाया जाए, इसके बाद फिर से केंद्र सरकार से राहत राशि को लेकर आग्रह करेंगे.

'प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का काम कर रही सरकार': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार आम जनता और प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी की तरह चुनाव के मद्देनजर नजर कोई काम नहीं करती. सरकार का ध्येय सिर्फ प्रभावितों तक राहत पहुंचाने का है. उन्होंने कहा कि साल 2024 के चुनाव आने वाले हैं और भाजपा चुनाव के मद्देनजर कई शगूफे छोड़ते हुई नजर आएगी.

'हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपये का था कर्ज': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जब उन्होंने प्रदेश की सत्ता संभाली थी, तब हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था. इसके अलावा कर्मचारियों की भी 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी थी. इसके बावजूद सरकार ने अपना वादा निभाते हुए कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बातों पर अडिग है और चार साल में हिमाचल को अपने पैर पर खड़ा करेंगे. इस दिशा में सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के सभी विभागों में चरणबद्ध तरीके से व्यवस्था परिवर्तन किया जा रहा है और वह हिमाचल प्रदेश में को 10 साल में नंबर वन राज्य बना कर दिखाएंगे.

मुख्यमंत्री ने मंडी के पटेल विश्वविद्यालय का दायरा घटाने को लेकर विपक्ष के आरोपों पर कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनाव में फायदा लेने के लिए एक कॉलेज के भवन में यूनिवर्सिटी शुरू कर दी. अब भी वहां कॉलेज ही है, मगर चुनाव में फायदा लेने के लिए उसे यूनिवर्सिटी का नाम दे दिया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह जयराम सरकार ने छह माह पहले बिना शिक्षकों के स्कूल खेल दिए थे उसी तरह पटेल यूनिवर्सिटी में भी न तो शिक्षक थे और न ही सुविधाएं थी. उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले वक्त में मंडी विश्वविद्यालय में बेहतरी के लिए कदम उठाएगी और इसका काम चुनावी फायदे के लिए नहीं बल्कि जनहित में किया जाएगा. सरकार यहां पहले सुविधाएं जुटाएगी और उसके बाद देखेगी कि कौन कौन से कोर्स यहां शुरू किए जा सकते हैं.

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