शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी से 34 सुरक्षाकर्मियों को नौकरी से निकालने के खिलाफ सीटू ने रविवार को डीसी ऑफिस के बाहर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और यूनियन अध्यक्ष देवराज बबलू ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का फैसला गैर कानूनी है. अगर समय से नियुक्ति नहीं हुई तो आईजीएमसी में हड़ताल की जाएगी.
दरअसल, सीटू यूनियन ने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षाकर्मियों की मानसिक प्रताड़ना की जा रही है. ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है. यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते और औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है. यूनियन ने कहा कि आईजीएमसी प्रबन्धन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम कानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है. बीते कई सालों से कार्यरत सुरक्षाकर्मियों की पुनर्नियुक्ति में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है. यूनियन ने कहा कि नई आउटसोर्स कंपनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षाकर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है.
बता दें, आईजीएमसी में सुरक्षाकर्मियों और प्रशासन के बीच का विवाद काफी लंबे समय से चल रहा था. सुरक्षा कर्मियों को समय पर वेतन न मिलने के कारण वह अपनी मांग समय-समय पर उठते रहते थे. वहीं, अन्य शोषण के खिलाफ भी सुरक्षा गार्ड्स ने आवाज उठाई थी इसी दौरान कंपनी का नया टेंडर हो गया और नई कंपनी ने 34 गार्ड को निकाल दिया, जो कि पिछले 15 सालों से कंपनी में सेवाएं दे रहे थे. इसके विरोध में सभी सुरक्षा गार्ड खड़े हुए और और प्रशासन का जमकर विरोध किया. यही नहीं आने वाले समय में भी एक बड़ा आंदोलन एजेंसी में चलने की चेतावनी दी गई है