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प्रदेश के स्कूलों में करवाए जाएंगे बाल साहित्य से जुड़े प्रोग्राम, पहाड़ी बोलियों से भी रूबरू होंगे छात्र - कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी

प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को बाल साहित्य और पहाड़ी बोलियों से रूबरू करवाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करवाए जाएंगे. इन आयोजनों में स्कूली छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में ही गीत, नाटकों और नृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे.

अकादमी के सचिव कर्म सिंह
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Published : May 30, 2019, 4:38 PM IST

शिमला: प्रदेश में बोली जाने वाली बोलियों को सहेजने की दिशा में कार्य कर रही कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी अब भावी पीढ़ी को भी इस कार्य में लगाएगी. इसके लिए प्रदेश के स्कूलों में बाल साहित्य से जुड़े आयोजन अकादमी की ओर से किए जाएंगे.

इन आयोजनों में स्कूली छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में ही गीत, नाटकों और नृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे. यहां तक कि भाषण और वाद-विवाद से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी आम बोलचाल की भाषा में ही करवाई जाएंगी.

ये आयोजन साहित्य अकादमी दिल्ली के सहयोग से प्रदेश भर में चार जगहों पर करने जा रहा है. इन आयोजनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का ही चयन किया जाएगा और पहला आयोजन जिला सोलन में अकादमी की ओर से करवाया जा रहा है. इन आयोजनों को करवाने का उद्देश्य ये है कि शहरों में जहां बच्चे अपनी ग्रामीण बोलियों से दूर हो चुके हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी ये चलन शुरू जो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चे अपनी बोली में बात ना कर हिंदी में ही बात करते हैं. ऐसे में अब अकादमी की ओर से की जा रही ये पहल इन्हें अपनी स्थानीय बोलियों और साहित्य से रूबरू करवाने में मददगार साबित होगी.

अकादमी के सचिव कर्म सिंह

अकादमी के सचिव कर्म सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार की ये प्राथमिकता है कि पहाड़ी भाषा समृद्ध हो और उसे एक नई पहचान मिले. प्रदेश की भावी पीढ़ी भी उस संस्कृति को अपने साथ संजोए, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. अभी हाल ही में साहित्य अकादमी दिल्ली के साथ इस दिशा में स्कूलों में कार्यक्रम अकादमी करने जा रही है. युवा पीढ़ी को भी इस संस्कृति से जोड़ने की पहल ग्रामीण क्षेत्रों से ही की जा रही है.

ये भी पढ़ें - अभी अनुराग का नाम तय नहीं, विक्रमादित्य ने एडवांस में दे दी बधाई

शिमला: प्रदेश में बोली जाने वाली बोलियों को सहेजने की दिशा में कार्य कर रही कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी अब भावी पीढ़ी को भी इस कार्य में लगाएगी. इसके लिए प्रदेश के स्कूलों में बाल साहित्य से जुड़े आयोजन अकादमी की ओर से किए जाएंगे.

इन आयोजनों में स्कूली छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में ही गीत, नाटकों और नृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे. यहां तक कि भाषण और वाद-विवाद से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी आम बोलचाल की भाषा में ही करवाई जाएंगी.

ये आयोजन साहित्य अकादमी दिल्ली के सहयोग से प्रदेश भर में चार जगहों पर करने जा रहा है. इन आयोजनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का ही चयन किया जाएगा और पहला आयोजन जिला सोलन में अकादमी की ओर से करवाया जा रहा है. इन आयोजनों को करवाने का उद्देश्य ये है कि शहरों में जहां बच्चे अपनी ग्रामीण बोलियों से दूर हो चुके हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी ये चलन शुरू जो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चे अपनी बोली में बात ना कर हिंदी में ही बात करते हैं. ऐसे में अब अकादमी की ओर से की जा रही ये पहल इन्हें अपनी स्थानीय बोलियों और साहित्य से रूबरू करवाने में मददगार साबित होगी.

अकादमी के सचिव कर्म सिंह

अकादमी के सचिव कर्म सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार की ये प्राथमिकता है कि पहाड़ी भाषा समृद्ध हो और उसे एक नई पहचान मिले. प्रदेश की भावी पीढ़ी भी उस संस्कृति को अपने साथ संजोए, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. अभी हाल ही में साहित्य अकादमी दिल्ली के साथ इस दिशा में स्कूलों में कार्यक्रम अकादमी करने जा रही है. युवा पीढ़ी को भी इस संस्कृति से जोड़ने की पहल ग्रामीण क्षेत्रों से ही की जा रही है.

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Intro:प्रदेश में बोली जाने वाली बोलियों को सहेजने की दिशा में कार्य कर रही कला,संस्कृति एवं भाषा अकादमी अब भावी पीढ़ी को भी इस कार्य मे लगाएगी। इसके लिए प्रदेश के स्कूलों में बाल साहित्य से जुड़े आयोजन अकादमी की ओर से किए जाएंगे। इन आयोजनों में स्कूली छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में ही गीत,नाटकों ओर नृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे। यहां तक कि भाषण ओर वाद-विवाद से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी आम बोलचाल की भाषा में ही करवाई जाएंगी। इस कार्य को करने के लिए अकादमी की ओर से स्कूलों में बाल साहित्य से जुड़े आयोजन करवाए जाएंगे।


Body:यह आयोजन साहित्य अकादमी दिल्ली के सहयोग से अकादमी प्रदेश भर में चार जगहों पर करने जा रहा है। इन आयोजनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का ही चयन किया जाएगा और पहला आयोजन जिला सोलन में अकादमी की ओर से करवाया जा रहा हैं । इन आयोजनों को करवाने का उद्देश्य यह है कि शहरों में जहां बच्चें अपनी ग्रामीण बोलियों से दूर हो चुके है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह चलन शुरू जो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चें अपनी बोली में बात ना कर हिंदी में ही बात करते है ऐसे में अब अकादमी की ओर से की जा रही यह पहल इन्हें अपनी स्थानीय बोलियों ओर साहित्य से रूबरू करवाने में मददगार साबित होगी।


Conclusion:अकादमी के सचिव डॉ.कर्म सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार की यह प्राथमिकता है कि पहाड़ी भाषा समृद्ध हो उसे एक नई पहचान मिले और प्रदेश की भावी पीढ़ी है वो भी उस संस्कृति को अपने साथ संजोए इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। अभी हाल ही में साहित्य अकादमी दिल्ली के साथ इस दिशा में स्कूलों में कार्यक्रम अकादमी करने जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आयोजन करवाएं जाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जो ग्रामीण बच्चे है वो अपनी भाषाओं में लोकनाटको,संस्कार गीतों को प्रस्तुत करें यह इस तरह के आयोजनों से ही संभव हो पाएगा। उन्होंने कहा कि भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी आम बोलचाल की भाषा में ही बात करते है ऐसे में युवा पीढ़ी को भी इस संस्कृति से जोड़ने की पहल ग्रामीण क्षेत्रों से ही कि जा रही है।
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