शिमला: प्रदेश में बोली जाने वाली बोलियों को सहेजने की दिशा में कार्य कर रही कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी अब भावी पीढ़ी को भी इस कार्य में लगाएगी. इसके लिए प्रदेश के स्कूलों में बाल साहित्य से जुड़े आयोजन अकादमी की ओर से किए जाएंगे.
इन आयोजनों में स्कूली छात्र अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में ही गीत, नाटकों और नृत्यों की प्रस्तुतियां देंगे. यहां तक कि भाषण और वाद-विवाद से जुड़ी प्रतियोगिताएं भी आम बोलचाल की भाषा में ही करवाई जाएंगी.
ये आयोजन साहित्य अकादमी दिल्ली के सहयोग से प्रदेश भर में चार जगहों पर करने जा रहा है. इन आयोजनों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का ही चयन किया जाएगा और पहला आयोजन जिला सोलन में अकादमी की ओर से करवाया जा रहा है. इन आयोजनों को करवाने का उद्देश्य ये है कि शहरों में जहां बच्चे अपनी ग्रामीण बोलियों से दूर हो चुके हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी ये चलन शुरू जो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी बच्चे अपनी बोली में बात ना कर हिंदी में ही बात करते हैं. ऐसे में अब अकादमी की ओर से की जा रही ये पहल इन्हें अपनी स्थानीय बोलियों और साहित्य से रूबरू करवाने में मददगार साबित होगी.
अकादमी के सचिव कर्म सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार की ये प्राथमिकता है कि पहाड़ी भाषा समृद्ध हो और उसे एक नई पहचान मिले. प्रदेश की भावी पीढ़ी भी उस संस्कृति को अपने साथ संजोए, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. अभी हाल ही में साहित्य अकादमी दिल्ली के साथ इस दिशा में स्कूलों में कार्यक्रम अकादमी करने जा रही है. युवा पीढ़ी को भी इस संस्कृति से जोड़ने की पहल ग्रामीण क्षेत्रों से ही की जा रही है.
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