शिमला: जी-20 सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात के बाद अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क घटाने को लेकर अटकलें जारी हैं. कांग्रेस नेता और यहां तक प्रियंका गांधी कह रहीं हैं कि अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क को मौजूदा 50 फीसदी से कम करने को लेकर पीएम मोदी और जो बाइडेन के बीच सहमति बनी है. कांग्रेस के मुताबिक इस फैसले के बाद अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 15 फीसदी किया गया है.
सेब पर 50% इंपोर्ट ड्यूटी जारी: हालांकि केंद्र सरकार की ओर से इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है. कांग्रेस नेताओं के इन बयानों के बाद बीजेपी नेता भी आयात शुल्क कम करने के बयान को झूठ करार दे रहे हैं. इस बीच केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से बयान आया है कि अमेरिका के सेब पर अभी 50 फीसदी आयात शुल्क लगा है, इसमें कोई कटौती नहीं की गई है.
2019 में बढ़ाया था आयात शुल्क: भारत सरकार की ओर से 2019 में अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़ाकर 70 फीसदी किया गया था. दरअसल 2018 में अमेरिका ने भारत सहित अन्य देशों से आने वाले इस्पात और एल्युमीनियम पर टैक्स लगा दिया था. अमेरिका के इस कदम का मकसद अपने इस्पात और एल्युमीनियम उद्योग को संरक्षण प्रदान करना था. इसके जवाब में भारत की ओर से भी अमेरिका से आने वाले सेब आयात शुल्क 50 से 70 फीसदी कर दिया था. इसके अलावा कुछ अन्य चीजों पर भी भारत ने आयात शुल्क बढ़ा दिया था.
समझौते के बाद 50% इंपोर्ट ड्यूटी: हालांकि कुछ समय पहले अमेरिका और भारत के बीच समझौता हुआ है, इसके बाद अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम के लिए उठाए गए संरक्षणवादी कदम को वापस लिया है. इसके बाद भारत ने भी अमेरिका के सेब पर लगाया 20 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क वापस ले लिया है. इस तरह अब अमेरिका से आने वाले सेब पर 50 फीसदी शुल्क है.
अमेरिका से घटा था सेब का आयात: भारत द्वारा अतिरिक्त शुल्क लगाने से अमेरिका से सेब का आयात कम हो गया था. साल 2017-18 में जब अमेरिका के वाशिंगटन एप्पल पर आयात शुल्क 50 फीसदा था, तब वॉशिंगटन सेब का भारत के लिए 1,27,908 मीट्रिक टन आयात किया गया. साल 2019 में अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाकर 70 फीसदी किया गया. इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 में वाशिंगटन से सेब का आयात घटकर मात्र 4,486 टन रह गया था.
अन्य देशों से बढ़ा था सेब का आयात: केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक इस अवधि में अन्य देशों से सेब का आयात बढ़ गया था. 2018 में अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों से सेब आयात 160 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 290 मिलियन डॉलर हो गया था. तुर्की, इटली, चीन, ईरान और न्यूजीलैंड प्रमुख आयातक के रूप में उभरे. इसके बाद अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद दोनों देशों ने इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने का फैसला लिया. इस तरह भारत ने जून माह में अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 20 फीसदी कम कर इसे 50 फीसदी करने का फैसला लिया था. इसी तरह सार्क देशों को छोड़कर बाकी सभी देशों से आने वाले सेब पर 50 फीसदी आयात है.
50 रुपए KG से कम सेब आयात पर रोक: केंद्र सरकार से विदेशों से सस्ते सेब आयात को रोकने के लिए कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार ने 50 रुपए किलो से कम के सेब के आयात पर रोक लगा रखी है. केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की ओर से इसकी नोटिफिकेशन बीते मई महीने में जारी की गई थी. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक 50 रुपए प्रति किलो या इससे कम के सेब के आयात (कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट) पर पाबंदी रहेगी. इस रोक से केवल भूटान बाहर रखा गया है. बाकी अमेरिका सहित किसी भी देश से इससे सस्ता सेब देश में नहीं आएगा.
50% से कम नहीं किया आयात शुल्क: हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक एवं प्रगतिशील बागवान हरीश चौहान का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से अमेरिका पर अभी 50 फीसदी आयात शुल्क सेब पर लगाया जा रहा है. इसको कम करने के कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि जून महीने में मोदी सरकार ने अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क 70 से 50 फीसदी कम करने का फैसला लिया था. इस तरह अभी 50 फीसदी आयात शुल्क अमेरिकी सेब पर है.
विदेशी सेब पर 100% इंपोर्ट ड्यूटी की मांग: हरीश चौहान ने कहा कि हो सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम मोदी के बीच अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क कम करने को लेकर कोई बातचीत हुई हो, लेकिन जब तक इस बारे में कोई लिखित फैसला नहीं होता तब तक यह नहीं कहा जा सकता है कि अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से कम किया गया है. हालांकि उन्होंने अमेरिका सहित सभी देशों से आने वाले सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क करने की मांग की, ताकि देश के सेब बागवानों को बाहर से आने वाले सेब से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना न करना पड़े. विदेशों से आने वाले सेब से देश की मंडियां भर रही हैं, जिससे हिमाचल सहित अन्य राज्यों के बागवानों को नुकसान हो रहा है.
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