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कोरोना कर्फ्यू के दूसरे दिन बसों का इंतजार करते दिखे लोग, झेलनी पड़ी परेशानी

कोरोना कर्फ्यू के दूसरे दिन शिमला में बस नहीं मिलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. निजी बसें न चलने के कारण पहले ही अधिकतर रूट बंद हैं. प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन का कहना है कि उन्हें खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

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Published : May 9, 2021, 2:14 PM IST

शिमला: प्रदेश में निजी बस ऑपरेटर की हड़ताल व कोरोना कर्फ्यू के चलते शहर में निगम की कम बसें चल रही है. जिस के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शनिवार को शहर के कई बस अड्डों पर लोग घंटों खड़े रहे लेकिन बस नहीं आई. यात्रियों का कहना था कि एक लॉन्ग रूट की बस आई, लेकिन उसमें 50 फीसदी सवारी पहले से ही थी जिस कारण स्वारियां उसमें भी नहीं बैठ पाई.

अब कई रूटों पर बस सेवा ठप

निजी बसें न चलने के कारण पहले ही अधिकतर रूट बंद हैं. प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन का कहना है कि उन्हें खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. क्योंकि 50 फीसदी सवारियों को बसों में बैठाने से न तो डीजल का खर्च पूरा हो रहा है और न ही किसी तरह की कोई कमाई हो रही है. कई रूट तो निगम के ऐसे हैं, जहां पर एक हजार रुपये का डीजल लग रहा है. जबकि किराया महज 300 रुपये ही मिल रहा है. सरकार न तो वर्किंग कैपिटल घोषित कर रही और न ही टैक्स माफ कर रही है. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के सिवाए कोई रास्ता नहीं है.

वीडियो

लॉन्ग रूट पर जाने वाली बसाें की स्थिति

एचआरटीसी के करीब 400 रूट हैं, इनमें लगभग 180 से अधिक रूटों पर बसें नहीं चलेंगी. जिस रूट पर एक बस जाती है वह चलेती रहेगी, जबकि जिस रूट पर दो या तीन बसें जाती हैं, अब वहां एक बस भी बड़ी मुश्किल से जा रही है. सबसे ज्यादा दिक्कत लॉन्ग रूट पर हो रही है. लॉन्ग रूट पर एचआरटीसी को सवारियां ही नहीं मिल रही हैं. रोहड़ू, रामपुर, चौपाल और नारकंडा से दिल्ली, चंडीगढ़, धर्मशाला और कुल्लू मनाली के लिए हर आधे घंटें के बाद रूट हैं. अब इन लॉन्ग रूटों पर कम ही बसें चलेगी.

ये भी पढ़ें:- केंद्र सरकार का वैक्सीन बजट ₹35 हजार करोड़, खर्च मात्र ₹4,744 करोड़

शिमला: प्रदेश में निजी बस ऑपरेटर की हड़ताल व कोरोना कर्फ्यू के चलते शहर में निगम की कम बसें चल रही है. जिस के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शनिवार को शहर के कई बस अड्डों पर लोग घंटों खड़े रहे लेकिन बस नहीं आई. यात्रियों का कहना था कि एक लॉन्ग रूट की बस आई, लेकिन उसमें 50 फीसदी सवारी पहले से ही थी जिस कारण स्वारियां उसमें भी नहीं बैठ पाई.

अब कई रूटों पर बस सेवा ठप

निजी बसें न चलने के कारण पहले ही अधिकतर रूट बंद हैं. प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन का कहना है कि उन्हें खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. क्योंकि 50 फीसदी सवारियों को बसों में बैठाने से न तो डीजल का खर्च पूरा हो रहा है और न ही किसी तरह की कोई कमाई हो रही है. कई रूट तो निगम के ऐसे हैं, जहां पर एक हजार रुपये का डीजल लग रहा है. जबकि किराया महज 300 रुपये ही मिल रहा है. सरकार न तो वर्किंग कैपिटल घोषित कर रही और न ही टैक्स माफ कर रही है. ऐसे में उनके पास हड़ताल पर जाने के सिवाए कोई रास्ता नहीं है.

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लॉन्ग रूट पर जाने वाली बसाें की स्थिति

एचआरटीसी के करीब 400 रूट हैं, इनमें लगभग 180 से अधिक रूटों पर बसें नहीं चलेंगी. जिस रूट पर एक बस जाती है वह चलेती रहेगी, जबकि जिस रूट पर दो या तीन बसें जाती हैं, अब वहां एक बस भी बड़ी मुश्किल से जा रही है. सबसे ज्यादा दिक्कत लॉन्ग रूट पर हो रही है. लॉन्ग रूट पर एचआरटीसी को सवारियां ही नहीं मिल रही हैं. रोहड़ू, रामपुर, चौपाल और नारकंडा से दिल्ली, चंडीगढ़, धर्मशाला और कुल्लू मनाली के लिए हर आधे घंटें के बाद रूट हैं. अब इन लॉन्ग रूटों पर कम ही बसें चलेगी.

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