ETV Bharat / state

डबल इंजन सरकार में भी हल नहीं हो पाया सेब आयात का मसला, संकट में हिमाचल की सेब आर्थिकी

author img

By

Published : Dec 2, 2022, 3:40 PM IST

विदेशों से लगातार आयात हो रहे सस्ते सेब से भारत की मार्केट भर रही है. इससे हिमाचल के सेब की मांग घट रही है. हिमाचल के बागवान लगातार सरकार से सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मसले पर बागवानों को कोई राहत नहीं मिली है. पढ़ें पूरी खबर...(Apple import issue in Himachal) (Apple production in Himachal)

Apple production in Himachal
Apple import issue in Himachal

शिमला: हिमाचल और केंद्र में भाजपा की सरकारें, यानी डबल इंजन की सरकार है. बावजूद इसके सेब आयात का मसला हल नहीं हो पाया है. विदेशों से लगातार आयात हो रहे सस्ते सेब से भारत की मार्केट भर रही है. इससे हिमाचल के सेब की मांग घट रही है. हिमाचल के बागवान लगातार सरकार से सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मसले पर बागवानों को कोई राहत नहीं मिली है. यह तब है जबकि प्रधानमंत्री खुद सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वादा हिमाचल के बागवानों से कर गए थे, मगर सेब पर आयात शुल्क नहीं बढ़ा. (Apple import issue in Himachal) (Apple production in Himachal)

सार्क देशों को छोड़कर विदेशी सेब पर 50 फीसदी आयात शुल्क: मौजूदा समय में अमेरिका से आने वाले सेब पर अधिकतम 70 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया है, जबकि सार्क राष्ट्रों को छोड़कर अन्य देशों पर 50 फीसदी आयात शुल्क है. सार्क देशों पर कोई आयात शुल्क नहीं है. कम आयात शुल्क लगने से विदेशों में भी बड़ी मात्रा में सेब भारत पहुंच रहा है जिसका सीधा नुकसान जम्मू-कश्मीर और उतराखंड के साथ-साथ हिमाचल के सेब बागवानों को हो रहा है. विदेशों से आने वाले सेब से हिमाचली सेब की डिमांड कम हो रही है, जिससे इसके रेट गिर रहे हैं.

तुर्की, ईरान, चिल्ली, इटली से आ रहा सबसे ज्यादा सेब: हालांकि भारत में दुनिया के करीब 44 देशों से सेब का आयात हो रहा है. मगर इसमें भी सबसे ज्यादा सेब तुर्की, ईरान, चिल्ली और इटली से देश में आ रहा है. साल 2021 में देश में कुल 4.48 लाख टन सेब आयात विदेशों से किया गया. इन देशों में से अधिकतर सेब चिल्ली, तुर्की और ईरान से हिमाचल आ रहा है. देश में आने वाले सेब में सबसे ज्यादा 26 फीसदी तुर्की से, 23 फीसदी ईरान, 18 फीसदी चिल्ली और 14 फीसदी ईटली से आ रहा है. इन देशों का सेब भारत में सस्ता बिक रहा है.

अमेरिका ने ईरान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. इस वजह से ईरान सस्ते दाम पर सेब देने को तैयार है, जिसकी मार प्रदेश के बागवानों पर पड़ रही है. आमतौर पर जनवरी और फरवरी में प्रदेश के बागवानों का सेब 200 रुपए प्रति किलो तक बिकता है, लेकिन विदेशों से 70-80 रूपए किलो सेब मिलने से हिमाचली सेब के दाम भी गिर रहे हैं. इससे हिमचाल के सेब बागवानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे है. ऐसी हालात में सेब की खेती अब घाटे का सौदा साबित होने लगी है.

अफगानिस्तान के रास्ते अवैध ढंग से लाया जा रहा सेब: अफगानिस्तान के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है इसलिए वहां से आने वाले सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लिया जाता. लेकिन इसका फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं. ये देश अफगानिस्तान के रास्ते सेब भारत में भेज रहे हैं. आयातित सेब की वजह से हिमाचल के बागवान सीए स्टोर का सेब नहीं बेच पाते. इससे बागवानों पर तो मार पड़ ही रही है, साथ में सरकार को राजस्व हानि हो रही है. सीए स्टोर में एक पेटी रखने का खर्च ही 200 रुपए तक आ जाता है. कुल हिसाब लगाएं तो बागीचे से मार्केट तक 25 किलो सेब की पेटी पहुंचाने की लागत 1400 रुपए तक पहुंचती है. इसके कारण हिमाचल का सेब विदेश से आयात हुए सस्ते सेब का मुकाबला नहीं कर सकता. इन देशों से सेब आयात होने पर मार्केट में वह सस्ता बिकता है और हिमाचल का सेब उपेक्षित हो जाता है. विदेशों से सेब अगस्त के दूसरे पखवाड़े से आयात शुरू होता है मार्च तक चलता रहता है.

प्रधानमंत्री का सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वादा अधूरा: हिमाचल के सेब बागवानों की चिंता से वाकिफ होते हुए प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले विदेशों से आ रहे सेब के आयात पर शुल्क बढ़ाकर 100 फीसदी करने का वादा हिमाचल के बागवानों से किया था. इसके अलावा शीतल पेय में एप्पल कंस्ट्रेट का इस्तेमाल करने के लिए भी कदम उठाने की बात कही गई थी. लेकिन इन पर कोई अमल नहीं हुआ. (Apple import issue in Himachal) (Apple production in Himachal)

हिमाचल में सेब की आर्थिकी है 4500 करोड़ की: हिमाचल प्रदेश में उद्योग समित है ऐसे में यहां की अधिकांश जनता खेती-बागवानी पर निर्भर है. किसान-बागवानों की मेहनत से हिमाचल ने सेब राज्य के रूप में अपना नाम कमाया भी है. प्रदेश में अधिकांश जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हालांकि हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में धूम है. (Himachal apple economy)

हिमाचल में 4 लाख बागवान परिवार सेब की खेती पर निर्भर: हिमाचल प्रदेश में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं हैं, लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती बागवानी में ही संभव हैं. हिमाचल के युवाओं को बागवानी सेक्टर में स्वरोजगार बेहतर तरीके से मिलता रहे इसके लिए बागवानी से जुड़े मसलों को गंभीरता से लेना होगा. सेब का आयात शुल्क ऐसा ही मसला है.

अबकी बार सीजन में बुरी तरह गिरे सेब के दाम: हिमाचल में अबकी बार सेब की बंपर फसल हुई है.इस साल अब तक करीब 3.59 करोड़ सेब की पेटियां मार्केट तक पहुंच चुकी हैं. इसके अलावा सीए स्टोर में भी सेब स्टोर किया गया है, जिसकी आंकड़ा अभी जुटाया जा रहा है. इस कुल मिलाकर इस साल सेब उत्पादन करीब 4.50 करोड़ पेटियां होने की संभावना है. इस बार का उत्पादन पिछले 12 सालों में सबसे अधिक होगा. इससे पहले 2010 में हिमाचल में सेब की 5.11 पेटियां हुई थीं. लेकिन बागवानों को सेब के दाम नहीं मिल पाए. हालात यह रही निजी कंपनियां मनमाने तरीके से कभी सीए स्टोर खोलती तो कभी बंद करती. बागवानों का सेब कई दिनों तक गाड़ियों में पड़ा रहा.

साल उत्पादन
2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.84 करोड़
2021 3.43 करोड़
2022 3.59 करोड़ (सीए-कोल्ड स्टोर छोड़कर)


आयात शुल्क 70 फीसदी करने से अमेरिका से आने वाले सेब में आई कमी: अन्यों देशों पर भी बढ़ाए आयात शुल्क संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि हिमाचल के सेब का बचाने के लिए विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क 70 फीसदी किया गया तो इसका असर भी दिखने लगा है. पहले जहां भारत में आयातित विदेशी सेब में अमेरिका की 20 फीसदी थी, अब आयात शुल्क बढ़ाने से यह 3 फीसदी रह गई है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आयात की खुली छूट दे रखी है. इससे हिमाचल लाखों बागवान परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. ऐसे में बागवानों की मांग पर सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी है.

ये भी पढ़ें: किन्नौर में रंग और साइज के हिसाब से सेब की होगी ग्रेडिंग पैकिंग, PM मोदी कर चुके इस मशीन की सराहना

शिमला: हिमाचल और केंद्र में भाजपा की सरकारें, यानी डबल इंजन की सरकार है. बावजूद इसके सेब आयात का मसला हल नहीं हो पाया है. विदेशों से लगातार आयात हो रहे सस्ते सेब से भारत की मार्केट भर रही है. इससे हिमाचल के सेब की मांग घट रही है. हिमाचल के बागवान लगातार सरकार से सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मसले पर बागवानों को कोई राहत नहीं मिली है. यह तब है जबकि प्रधानमंत्री खुद सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वादा हिमाचल के बागवानों से कर गए थे, मगर सेब पर आयात शुल्क नहीं बढ़ा. (Apple import issue in Himachal) (Apple production in Himachal)

सार्क देशों को छोड़कर विदेशी सेब पर 50 फीसदी आयात शुल्क: मौजूदा समय में अमेरिका से आने वाले सेब पर अधिकतम 70 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया है, जबकि सार्क राष्ट्रों को छोड़कर अन्य देशों पर 50 फीसदी आयात शुल्क है. सार्क देशों पर कोई आयात शुल्क नहीं है. कम आयात शुल्क लगने से विदेशों में भी बड़ी मात्रा में सेब भारत पहुंच रहा है जिसका सीधा नुकसान जम्मू-कश्मीर और उतराखंड के साथ-साथ हिमाचल के सेब बागवानों को हो रहा है. विदेशों से आने वाले सेब से हिमाचली सेब की डिमांड कम हो रही है, जिससे इसके रेट गिर रहे हैं.

तुर्की, ईरान, चिल्ली, इटली से आ रहा सबसे ज्यादा सेब: हालांकि भारत में दुनिया के करीब 44 देशों से सेब का आयात हो रहा है. मगर इसमें भी सबसे ज्यादा सेब तुर्की, ईरान, चिल्ली और इटली से देश में आ रहा है. साल 2021 में देश में कुल 4.48 लाख टन सेब आयात विदेशों से किया गया. इन देशों में से अधिकतर सेब चिल्ली, तुर्की और ईरान से हिमाचल आ रहा है. देश में आने वाले सेब में सबसे ज्यादा 26 फीसदी तुर्की से, 23 फीसदी ईरान, 18 फीसदी चिल्ली और 14 फीसदी ईटली से आ रहा है. इन देशों का सेब भारत में सस्ता बिक रहा है.

अमेरिका ने ईरान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. इस वजह से ईरान सस्ते दाम पर सेब देने को तैयार है, जिसकी मार प्रदेश के बागवानों पर पड़ रही है. आमतौर पर जनवरी और फरवरी में प्रदेश के बागवानों का सेब 200 रुपए प्रति किलो तक बिकता है, लेकिन विदेशों से 70-80 रूपए किलो सेब मिलने से हिमाचली सेब के दाम भी गिर रहे हैं. इससे हिमचाल के सेब बागवानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे है. ऐसी हालात में सेब की खेती अब घाटे का सौदा साबित होने लगी है.

अफगानिस्तान के रास्ते अवैध ढंग से लाया जा रहा सेब: अफगानिस्तान के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है इसलिए वहां से आने वाले सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लिया जाता. लेकिन इसका फायदा दूसरे देश उठा रहे हैं. ये देश अफगानिस्तान के रास्ते सेब भारत में भेज रहे हैं. आयातित सेब की वजह से हिमाचल के बागवान सीए स्टोर का सेब नहीं बेच पाते. इससे बागवानों पर तो मार पड़ ही रही है, साथ में सरकार को राजस्व हानि हो रही है. सीए स्टोर में एक पेटी रखने का खर्च ही 200 रुपए तक आ जाता है. कुल हिसाब लगाएं तो बागीचे से मार्केट तक 25 किलो सेब की पेटी पहुंचाने की लागत 1400 रुपए तक पहुंचती है. इसके कारण हिमाचल का सेब विदेश से आयात हुए सस्ते सेब का मुकाबला नहीं कर सकता. इन देशों से सेब आयात होने पर मार्केट में वह सस्ता बिकता है और हिमाचल का सेब उपेक्षित हो जाता है. विदेशों से सेब अगस्त के दूसरे पखवाड़े से आयात शुरू होता है मार्च तक चलता रहता है.

प्रधानमंत्री का सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का वादा अधूरा: हिमाचल के सेब बागवानों की चिंता से वाकिफ होते हुए प्रधानमंत्री ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले विदेशों से आ रहे सेब के आयात पर शुल्क बढ़ाकर 100 फीसदी करने का वादा हिमाचल के बागवानों से किया था. इसके अलावा शीतल पेय में एप्पल कंस्ट्रेट का इस्तेमाल करने के लिए भी कदम उठाने की बात कही गई थी. लेकिन इन पर कोई अमल नहीं हुआ. (Apple import issue in Himachal) (Apple production in Himachal)

हिमाचल में सेब की आर्थिकी है 4500 करोड़ की: हिमाचल प्रदेश में उद्योग समित है ऐसे में यहां की अधिकांश जनता खेती-बागवानी पर निर्भर है. किसान-बागवानों की मेहनत से हिमाचल ने सेब राज्य के रूप में अपना नाम कमाया भी है. प्रदेश में अधिकांश जिलों में सेब पैदा किया जाता है. हालांकि हिमाचल के कुल सेब उत्पादन का 80 फीसदी शिमला जिले में होता है. हिमाचल में सालाना तीन से चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन होता है. हिमाचल के अलावा दूसरा सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू-कश्मीर है. उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में भी सेब उत्पादन होता है, लेकिन हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सेब कारोबार की देश भर में धूम है. (Himachal apple economy)

हिमाचल में 4 लाख बागवान परिवार सेब की खेती पर निर्भर: हिमाचल प्रदेश में कुल 4 लाख बागवान परिवार हैं. हिमाचल में आजीविका का बड़ा साधन सरकारी नौकरी है. प्रदेश में 2.25 लाख सरकार कर्मचारी हैं. निजी सेक्टर में भी रोजगार की संभावनाएं हैं, लेकिन सबसे अधिक आर्थिक गतिविधियां खेती बागवानी में ही संभव हैं. हिमाचल के युवाओं को बागवानी सेक्टर में स्वरोजगार बेहतर तरीके से मिलता रहे इसके लिए बागवानी से जुड़े मसलों को गंभीरता से लेना होगा. सेब का आयात शुल्क ऐसा ही मसला है.

अबकी बार सीजन में बुरी तरह गिरे सेब के दाम: हिमाचल में अबकी बार सेब की बंपर फसल हुई है.इस साल अब तक करीब 3.59 करोड़ सेब की पेटियां मार्केट तक पहुंच चुकी हैं. इसके अलावा सीए स्टोर में भी सेब स्टोर किया गया है, जिसकी आंकड़ा अभी जुटाया जा रहा है. इस कुल मिलाकर इस साल सेब उत्पादन करीब 4.50 करोड़ पेटियां होने की संभावना है. इस बार का उत्पादन पिछले 12 सालों में सबसे अधिक होगा. इससे पहले 2010 में हिमाचल में सेब की 5.11 पेटियां हुई थीं. लेकिन बागवानों को सेब के दाम नहीं मिल पाए. हालात यह रही निजी कंपनियां मनमाने तरीके से कभी सीए स्टोर खोलती तो कभी बंद करती. बागवानों का सेब कई दिनों तक गाड़ियों में पड़ा रहा.

साल उत्पादन
2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.84 करोड़
2021 3.43 करोड़
2022 3.59 करोड़ (सीए-कोल्ड स्टोर छोड़कर)


आयात शुल्क 70 फीसदी करने से अमेरिका से आने वाले सेब में आई कमी: अन्यों देशों पर भी बढ़ाए आयात शुल्क संयुक्त संघर्ष समिति के सह संयोजक संजय चौहान ने कहा है कि हिमाचल के सेब का बचाने के लिए विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका से आने वाले सेब पर आयात शुल्क 70 फीसदी किया गया तो इसका असर भी दिखने लगा है. पहले जहां भारत में आयातित विदेशी सेब में अमेरिका की 20 फीसदी थी, अब आयात शुल्क बढ़ाने से यह 3 फीसदी रह गई है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आयात की खुली छूट दे रखी है. इससे हिमाचल लाखों बागवान परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. ऐसे में बागवानों की मांग पर सेब पर आयात शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी है.

ये भी पढ़ें: किन्नौर में रंग और साइज के हिसाब से सेब की होगी ग्रेडिंग पैकिंग, PM मोदी कर चुके इस मशीन की सराहना

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.