शिमला: लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिलने वाले पोषक सामग्री की सप्लाई पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं दिखा. कोरोना की वजह से आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद रखा गया था, लेकिन आंगनबाड़ी के तहत आने वाले सभी 5 साल तक के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक पोषाहार उनके घरों तक आंगनबाड़ी वर्कर पहुंचा रही हैं.
कोरोना महामारी के दौरान न तो विभाग से आंगनबाड़ी केंद्रों को दी जाने वाली सप्लाई बाधित हुई है और न ही बच्चों तक इस सप्लाई को पहुंचाने में कोविड की वजह से कोई बाधा आई है. 6 महीने की उम्र के बच्चों को मूंग दाल, दलिया और पंजीरी दी जा रही है. तो वहीं, 3 से 5 साल तक के बच्चों को चना दाल, राजमाह के साथ ही सोया बड़ी, दलिया, सीजनल सब्जी , मिल्क पाउडर, मसाले, फोर्टीफाइड बिस्किट और तेल दिया जा रहा है.
साल 2018 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट
देश के कुछ एक राज्यों में सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को अंडे और दूध भी दिया जाता है लेकिन प्रदेश में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसा नहीं है कि सरकार ने इसकी पहल नहीं की. साल 2018 में प्रदेश की आंगनबाड़ी में बच्चों को अंडे देने की शुरुआत की गई थी, लेकिन अधिकतर बच्चे ऐसे थे जो अंडे नहीं खाते थे, जिसके बाद सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया और उसकी जगह पर अन्य पोषक तत्व वाली सामग्री बच्चों को दी जाने लगी.
घर-घर पहुंचाई जा रही थी पोषण सामग्री
प्रदेश में कोविड के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बीच सभी शिक्षण संस्थानों को बंद करने के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद कर दिया गया था. सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद थे और बच्चे भी आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं आ रहे थे, बावजूद इसके अभिभावकों को बच्चों का राशन लेने के लिए केंद्रों पर बुलाया जा रहा था. छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए आंगनबाड़ी वर्कर खुद घरों में जा कर पोषक सामग्री उपलब्ध करवा रही थी.
सप्लाई में नहीं आ रही कोई बाधा
आंगनबाड़ी वर्कर्स का कहना है कि भले ही कोविड के दौरान बच्चे आंगनबाड़ी में नहीं आ पा रहे हैं लेकिन उनके सर्वांगीण विकास के लिए जिन भी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. उससे जुड़ी खाद्य सामग्री उन्हें लगातार दी जा रही है. कुछ अभिभावक केंद्र पर आ कर सामान ले जाते हैं और जो केंद में नहीं आ पाते उन्हें सामग्री घर तक पहुंचाई जाती है. सप्लाई में किसी तरह की बाधा नहीं आ रही है.
नहीं उठानी पड़ती कोई परेशानी
आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचने वाले अभिभावकों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र उनके घरों के नजदीक है. इसलिए वो खुद ही महीने में एक बार समान लेने के लिए आ जाते हैं. उन्हें यहां सभी पोषण सामग्री मिल जाती है. उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है.
मुहैया कराए जा रहे न्यूट्रिशन
महिला बाल विकास विभाग की निदेशक कृतिका कुलहरि ने बताती हैं कि कोविड के बीच टेक होम राशन की सप्लाई की जा रही थी. इसमें छोटे बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं, नई माताओं और 3 से 5 साल तक के बच्चों के लिए जो भी आवश्यक न्यूट्रिशन चाहिए उससे जुड़ा सभी तरह का राशन उन्हें मुहैया करवाया जा रहा है.
प्रदेश में 8925 आंगनबाड़ी केंद्र
बता दें कि प्रदेश में 8 हजार 9 सौ 25 आंगनबाड़ी केंद्र महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत आते हैं. इन आंगनबाड़ी केंद्रों के तहत छोटे बच्चे गर्भवती महिलाएं और 3 से 5 साल तक के बच्चे आते हैं, जिनकी पढ़ाई के साथ ही उनके विकास के लिए आवश्यक सभी तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं.