शिमला: आईजीएमसी शिमला में डॉक्टरों पर कोरोना महामारी के दौर में लापरवाही बरतने का आरोप लगा है. राजधानी के राम बाजार से सांस की परेशानी से जूझ रहे एक बुजुर्ग व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई. मृतक के पोते ने डॉक्टरों पर इलाज के दौरान लापरवाही के आरोप लगाए हैं. ऐसे में अस्पताल प्रशासन और परिजनों के बीच जमकर हंगामा भी हुआ.
दरअसल बुजुर्ग शख्स को 27 मार्च को आईजीएमसी में इलाज के लिए लाए थे. इससे पहले भी बुजुर्ग को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें आइसोलेशन में रखा गया था. इसके अलावा बुजुर्ग का कोरोना टेस्ट भी किया गया था जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी.
27 मार्च को दोबारा तबीयत खराब होने पर उन्हें इमरजेंसी में लाया गया और आइसोलेशन में रखा गया. अब मृतक के पोते का आरोप है कि जब 27 को वे अस्पताल आए तो डॉक्टरों ने उनके दादा का इलाज नहीं किया. इमरजेंसी से उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया गया.
उनके दादा का आईजीएमसी से सांस के रोग का इलाज 3 सालों से चला हुआ था. इलाज से संबंधित पुरानी फाइल जिसमें पुरानी पर्चियां, दवाइयों व रिपोर्ट की डिटेल थी, वह साथ लेकर आए थे. हमने मौजूदा स्टाफ को पर्चियां देखने और आगामी इलाज करने के लिए आग्रह किया, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया.
रात को ढाई बजे उनकी तबीयत अधिक बिगड़ने लगी, हम डॉक्टर व नर्सों को दोबारा बुलाते रहे, लेकिन कोई नहीं आया. इसी बीच उनकी मौत हो गई. इसके बाद उन्होंने सदर थाना में आईजीएमसी के स्टाफ के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है.
उन्होंने आग्रह किया है कि अस्पताल में मरीज ठीक होने की आशा से पहुंचता है, लेकिन डॉक्टरों की ऐसी लापरवाही से लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उन्होंने पुलिस से आग्रह किया है कि इस मामले की जांच की जाए. एएसपी शिमला प्रमोद शुक्ला ने कहा कि परिजनों ने शिकायत दी है. पोस्टमाटर्म रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
वहीं, इस मामले पर आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉक्टर मुकंद लाल का कहना है कि मरीज को पूरा इलाज किया गया है. ये मामला ध्यान में है, इस मामले में पोस्टमार्टम भी करवा दिया है. कोरोना रिपोर्ट निगटिव आई थी, अस्पताल की ओर से मरीज को पूरा इलाज दिया गया था.