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कलाम जयंती: 15 साल पहले शिमला के सरोग गांव आकर अभिभूत हुए थे कलाम, सुने थे लोकगीत

कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया.

15 साल पहले शिमला के छोटे से गांव सरोग आकर अभिभूत हुए थे कलाम
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Published : Oct 15, 2019, 5:03 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 5:27 PM IST

शिमला: महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 15 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में आकर अभिभूत हो गए थे.अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वे हिमाचल का कोई ऐसा गांव देखे, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों. उनकी इच्छा शिमला के सरोग गांव में पूरी हुई. तब हिमाचल में भाजपा की सरकार थी. कलाम के सरोग गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था.

कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया.

किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया. बाद में राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी. उन्होंने चोल्टू नृत्य व ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था.

कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था. कलाम के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापस शिमला लौटे. कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया था.

ये भी पढ़ें: सही समय आने पर बौद्ध धर्म की दीक्षा लूंगी: मायावती

सरोग गांव शिमला से ठियोग जाने वाले रास्ते पर पड़ता है. ठियोग कस्बे से पहले ही सरोग गली से इस गांव के लिए रास्ता मुड़ता है. कलाम ने नवंबर की उस शाम हरे रंग की हिमाचली टोवी व मफलर ओढ़ा था. वे सबसे पहले बच्चों से मिले थे और खूब बातें की थीं. कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड भी दुरुस्त हुआ था.

कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग रहे पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ने हिमाचल की लोक संस्कृति में गहरी रूचि ली थी. उन्होंने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं. खासकर लोक संस्कृति को लेकर. इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे. वे कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं. उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया था.

ये भी पढ़ें: पच्छाद उपचुनाव : 113 पोलिंग बूथों में से 13 संवेदनशील, जाने कौन से हैं ये बूथ

शिमला: महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 15 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में आकर अभिभूत हो गए थे.अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वे हिमाचल का कोई ऐसा गांव देखे, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों. उनकी इच्छा शिमला के सरोग गांव में पूरी हुई. तब हिमाचल में भाजपा की सरकार थी. कलाम के सरोग गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था.

कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया.

किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया. बाद में राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी. उन्होंने चोल्टू नृत्य व ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था.

कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था. कलाम के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापस शिमला लौटे. कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया था.

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सरोग गांव शिमला से ठियोग जाने वाले रास्ते पर पड़ता है. ठियोग कस्बे से पहले ही सरोग गली से इस गांव के लिए रास्ता मुड़ता है. कलाम ने नवंबर की उस शाम हरे रंग की हिमाचली टोवी व मफलर ओढ़ा था. वे सबसे पहले बच्चों से मिले थे और खूब बातें की थीं. कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड भी दुरुस्त हुआ था.

कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग रहे पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति ने हिमाचल की लोक संस्कृति में गहरी रूचि ली थी. उन्होंने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं. खासकर लोक संस्कृति को लेकर. इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे. वे कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं. उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया था.

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15 साल पहले शिमला के छोटे से गांव सरोग आकर अभिभूत हुए थे कलाम, सुने थे लोकगीत
शिमला। महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
15 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में
आकर अभिभूत हो गए थे। अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वे हिमाचल का कोई ऐसा
गांव देखें, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों। उनकी इच्छा शिमला के
सरोग गांव में पूरी हुई। तब  हिमाचल में भाजपा की सरकार थी। कलाम के सरोग
गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था। कलाम जिस समय
गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी। कलाम को हिमाचल की लोक
संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया। चोल्टू नृत्य पेश किया
गया।
उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया। किशन वर्मा
ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं
आइंदू, गाया। उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की
थी। कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी
मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया। बाद में
राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी। उन्होंने
चोल्टू नृत्य व ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था।
कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल लंबे समय तक रात घिरने तक वहां
मौजूद रहे थे। सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था। कलाम
के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापिस
शिमला लौटे। कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया
था। सरोग गांव शिमला से ठियोग जाने वाले रास्ते पर पड़ता है। ठियोग कस्बे
से पहले ही सरोग गली से इस गांव के लिए रास्ता मुड़ता है। कलाम ने नवंबर
की उस शाम हरे रंग की हिमाचली टोवी व मफलर ओढ़ा था। वे सबसे पहले बच्चों
से मिले थे और खूब बातें की थीं। कलाम की उस यात्रा का लाभ ये हुआ कि
सरोग गांव की पेयजल की समस्या दूर हुई और रोड़ भी दुरुस्त हुआ था।
कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग रहे पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा
के अनुसार राष्ट्रपति ने हिमाचल की लोक संस्कृति में गहरी रूचि ली थी।
उन्होंने उत्सुकता के साथ हिमाचल के संदर्भ में अनेक बातें पूछीं। खासकर
लोक संस्कृति को लेकर। इसके अलावा भी कलाम कई दफा हिमाचल आए थे। वे
कांगड़ा में चौधरी सरवण कुमार कृृषि विश्वविद्यालय सहित सोलन स्थित
शूलिनी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने विधानसभा के विशेष सत्र को भी संबोधित किया था।

Last Updated : Oct 15, 2019, 5:27 PM IST
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