शिमला: नौतोड़ भूमि आवंटन को लेकर राज्यपाल शिव प्रताव शुक्ल और राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि राजभवन किसी के चुनावी वादे पूरे करने के लिए नहीं है. वहीं, अब राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने राज्यपाल के बयान पर पलटवार किया है.
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, "उन्होंने राजभवन का अपमान नहीं किया है. राज्यपाल की ओर से मामलों में 'फेक' शब्द का इस्तेमाल किया गया, यह भी सही नहीं है. नौतोड़ के 12 हजार 742 मामले पेंडिंग हैं. इस मामले में राज्यपाल छंटनी नहीं कर सकते. इसके लिए अधिकारी हैं. राज्यपाल का काम सिर्फ एफसीए को सस्पेंड करना है. राज्यपाल का काम पात्रता देखना भी नहीं है".
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राजभवन से दो साल की छूट मांगी है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल जनजातीय क्षेत्र के संरक्षक भी हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि वह जनजातीय क्षेत्र के लोगों की इस मांग को पूरा करेंगे. अब राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के इस बयान पर राज्यपाल से प्रताप शुक्ल की प्रतिक्रिया का इंतजार है.
जगत सिंह नेगी ने कहा कि नौतोड़ आवंटन मामले को वह खुद व्यक्तिगत तौर पर पांच बार राज्यपाल से प्रताप शुक्ल से मिल चुके हैं. वह छठी बार राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए जाएंगे. जनजातीय क्षेत्र में रोजगार की कमी है. ऐसे में वहां पलायन रोकने बेहद जरूरी है. राज्य सरकार ने राजभवन की ओर से पूछे गए सभी सवालों का जवाब दे दिया है.
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चुनी हुई सरकार है और सरकार का दायित्व है कि वह अपने वादों को पूरा करें. अगर बात संविधान की शपथ की करें, तो सभी ने शपथ ली है और इसमें निष्पक्षता की बात भी शामिल है. हम लोकतांत्रिक मूल्य पर चलकर भी अपनी बात मनवाने की कोशिश करेंगे. भाजपा नेता लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं.
जगत नेगी ने कहा कि नौतोड़ के तहत उन सभी परिवारों को जमीन आवंटन की व्यवस्था है, जिनके पास 20 बीघा से कम जमीन है. साल 1968 में यह नियम बनाया गया था. बाद में जब साल 1980 फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट- FCA लागू हुआ, तो इसमें बदलाव हुए और गैर जनजातीय क्षेत्र के लिए प्रावधान बंद हो गया. अब भी यह प्रावधान जनजातीय क्षेत्र के लिए लागू है.
उन्होंने कहा कि पूर्व में रहे सभी राज्यपालों ने एफसीए को सस्पेंड किया है. साल 2020 में जब ठाकुर जयराम मुख्यमंत्री थे, तब सिर्फ एक ही मामले को मंजूरी दी गई थी. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में तो व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी.