शिमलाः हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल कहे जाने वाला आईजीएमसी एक बार फिर सवालों के घेरे में है. इस बार आईजीएमसी में कोरोना से महिला के मौत के बाद मृतक महिला के पति ने आईजीएमसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और पत्नी की मौत के लिए ट्राइज वॉर्ड के स्टाफ की लापरवाही को कारण बताया है.
पति का आरोप- अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से गयी जान
मंगलवार को शिमला में मृतक महिला के पति संजोग भूषण ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि उनकी पत्नी को आईजीएमसी में पहले कोरोना निगेटिव बताया और मौत के बाद उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी का 14 अक्टूबर को चंडीगढ़ में आंख का ऑपरेशन हुआ था और वे 30 अक्टूबर को वापस आए.
वापस आने पर उनकी पत्नी को सांस लेने में समसया हुई तो वह आईजीएमसी गए. वहां उनकी पत्नी को मेडिसिन वार्ड में चेक करवाया गया और ट्रेवल हिस्ट्री की वजह से कोरोना टेस्ट करने के लिए कहा गया. उसके बाद उनका कोरोना टेस्ट हुआ जो नेगेटिव आया. उसके बाद भी उन्हें ट्राइज वॉर्ड में रखा गया.
रातभर तड़पती रही महिला, किसी ने नहीं ली सुध
मृतक महिला के पति संजोग भूषण ने आरोप लगाया है कि उनकी पत्नी रातभर तड़पती रही पर अस्पताल से कोई उन्हें कोई पूछने नहीं आया. 31 अक्टूबर को 2 बजे उनकी पत्नी की मौत हो गई. संजोग भूषण ने कहा कि जब उनकी पत्नी की मौत हुई तो वह घर पर थे.
उन्हें अस्प्ताल ने फोन से पत्नी की मौत की सूचना दी और उन्हें वह कोरोना पॉजिटिव बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सकों ने उन्हें कोई रिपोर्ट नहीं दी और यदि चिकित्सकों ने समय पर उनका इलाज किया होता तो कि पत्नी की जान बच जाती.
चिकित्सकों पर एफआईआर हो दर्ज
मृतक महिला के पति ने अस्पताल प्रशासन को 4 दिन का अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि यदि वह 4 दिन के अंदर ड्यूटी के दौरान चिकित्सकों पर एफआईआर दर्ज नहीं की तो सोमवार को वह एमएस ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ जाएंगे.
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