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हिमाचल के ये 10 गांव बनेंगे इको विलेज, योजना के तहत हर गांव में खर्च होंगे 50 लाख

पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए हिमाचल में इको विलेज बनाए जाएंगे. पहले चरण में दस गांव को इस योजना में शामिल किया गया है. चयनित गांवों में जैविक खेती, एग्रीकल्चर, जीरो बजट खेती पर काम किया जाएगा.

फाइल फोटो
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Published : Jul 18, 2019, 7:50 PM IST

शिमला: पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिए अब हिमाचल में इको विलेज बनाए जाएंगे. पहले चरण में दस गावं को इस योजना में शामिल किया गया है, जिसमें जैविक खेती, एग्रीकल्चर, जीरो बजट खेती पर काम किया जाएगा.

गांव में पानी के प्राकृतिक जल स्त्रोत खत्म होने की कगार पर हैं. इन स्त्रोतों को बचाने के लिए सीएम ने अपने बजट भाषण में राशि का प्रावधान करने का ऐलान किया था. इको विलेज के लिए कांगड़ा के क्यारी गांव, शिमला में बगली, सोलन में माहोग, ऊना में चंगर, कुल्लू में शार्लिन, चम्बा में भजराड़ू, किन्नौर में कांगरु,बिलासपुर में टेपरा, सिरमौर में दियोथल, मंडी में जंजैहली गांवों को शामिल किया गया है.

डीसी राणा पर्यावरण विज्ञान निदेशक

इन सभी गावों के लिए विभाग ने बजट का प्रावधान कर दिया है. पर्यावरण विभाग एक गावं को 30 लाख रुपये देगा जबकि मनरेगा के तहत 20 लाख का प्रावधान किया जाएगा. पर्यावरण विज्ञान के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि इस योजना के तहत कुछ गांवों का इको विलेज योजना के तहत विकास किया जाएगा.

इको विलेज स्मार्ट सिटी की तरह ही स्मार्ट इको विलेजिस होंगे, जिसमे गांवों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन गांवों में सोलर एनर्जी को लेकर कार्य किया जाएगा. गांव की अर्थव्यवस्था को पर्यटन व्यवसाय से कैसे जोड़ा जाए इस पर भी कार्य किया जाएगा.

शुरुआती तौर पर 10 चयनित गांवों पर कार्य होगा, जिसके बाद इसी साल पांच और नए गांवों का चयन किया जाएगा. बता दें कि पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिए ग्रामीण स्तर पर अलग अलग तरीके से कार्य करना होगा. गांव में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, जल संरक्षण, पौधारोपण, सोलर एनर्जी जैसे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिए जाने वाले कार्यों पर काम किया जाएगा. इसके लिए विभाग लोगों की सहभागिता को भी बढ़ाएगा.

प्रदेश में बनाए जा रहे इको विलेजिस के लिए विभाग ने पांच साल की योजना तैयार कर ली है. वहीं, प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया है. कमेटी चयनित गांव में जागरूकता शिविर लगाई जाएगी, जिसमें लोगों को इको विलेज के कॉन्सेप्ट के लिए जागरूक किया जाएगा.

योजना के तहत गांव के लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. वहीं, सिंचाई के लिए पानी के संरक्षण के तौर तरीकों को अपनाने की जानकारी प्रदान की जाएगी. सिंचाई के लिए स्टोरेज टैंकों का निर्माण करना आदि कई कार्य इसके तहत किए जाएंगे.

शिमला: पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिए अब हिमाचल में इको विलेज बनाए जाएंगे. पहले चरण में दस गावं को इस योजना में शामिल किया गया है, जिसमें जैविक खेती, एग्रीकल्चर, जीरो बजट खेती पर काम किया जाएगा.

गांव में पानी के प्राकृतिक जल स्त्रोत खत्म होने की कगार पर हैं. इन स्त्रोतों को बचाने के लिए सीएम ने अपने बजट भाषण में राशि का प्रावधान करने का ऐलान किया था. इको विलेज के लिए कांगड़ा के क्यारी गांव, शिमला में बगली, सोलन में माहोग, ऊना में चंगर, कुल्लू में शार्लिन, चम्बा में भजराड़ू, किन्नौर में कांगरु,बिलासपुर में टेपरा, सिरमौर में दियोथल, मंडी में जंजैहली गांवों को शामिल किया गया है.

डीसी राणा पर्यावरण विज्ञान निदेशक

इन सभी गावों के लिए विभाग ने बजट का प्रावधान कर दिया है. पर्यावरण विभाग एक गावं को 30 लाख रुपये देगा जबकि मनरेगा के तहत 20 लाख का प्रावधान किया जाएगा. पर्यावरण विज्ञान के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि इस योजना के तहत कुछ गांवों का इको विलेज योजना के तहत विकास किया जाएगा.

इको विलेज स्मार्ट सिटी की तरह ही स्मार्ट इको विलेजिस होंगे, जिसमे गांवों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन गांवों में सोलर एनर्जी को लेकर कार्य किया जाएगा. गांव की अर्थव्यवस्था को पर्यटन व्यवसाय से कैसे जोड़ा जाए इस पर भी कार्य किया जाएगा.

शुरुआती तौर पर 10 चयनित गांवों पर कार्य होगा, जिसके बाद इसी साल पांच और नए गांवों का चयन किया जाएगा. बता दें कि पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिए ग्रामीण स्तर पर अलग अलग तरीके से कार्य करना होगा. गांव में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, जल संरक्षण, पौधारोपण, सोलर एनर्जी जैसे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिए जाने वाले कार्यों पर काम किया जाएगा. इसके लिए विभाग लोगों की सहभागिता को भी बढ़ाएगा.

प्रदेश में बनाए जा रहे इको विलेजिस के लिए विभाग ने पांच साल की योजना तैयार कर ली है. वहीं, प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया है. कमेटी चयनित गांव में जागरूकता शिविर लगाई जाएगी, जिसमें लोगों को इको विलेज के कॉन्सेप्ट के लिए जागरूक किया जाएगा.

योजना के तहत गांव के लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. वहीं, सिंचाई के लिए पानी के संरक्षण के तौर तरीकों को अपनाने की जानकारी प्रदान की जाएगी. सिंचाई के लिए स्टोरेज टैंकों का निर्माण करना आदि कई कार्य इसके तहत किए जाएंगे.

Intro: पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिए अब हिमाचल में इको विलेज बनाए जायेगे ! पहले चरण में दस गावं को इस योजना में शामिल किया गया है ! जिसमे,जैविक खेती, एग्रीकल्चर,जीरो बजट खेतीबाड़ी पर काम किया जाएगा और इन गावं में जो पानी के प्राकृतिक जल स्त्रोत है जो खत्म होने की कंगार पर है उन्हें दोबारा कैसे प्रयोग में लाया जाए उस पर कार्य किया जाएगा। ईको विलेज के लिए मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में राशि का प्रावधान भी किया था वही अब पर्यावरण विभाग ने प्रदेश के दस जिलो के दस गावं का चयन किया गया है जिसमे कांगड़ा में क्यारी गाँव, शिमला में बगली,सोलन में माहोग,ऊना में चंगर,कुल्लू में शार्लिन,चम्बा में भजराड़ू,किन्नौर में कांगरु,बिलासपुर में टेपरा, सिरमौर में दियोथल, मंडी में जंजैहली इन सब गांवों को शामिल किया गया है। इन गावं के लिए विभाग ने बजट का प्राबधान भी कर दिया है ! पर्यावरण विभाग एक गावं को 30 लाख रुपे देंगा जबकि मनरेगा के तहत 20 लाख का प्राबधान किया जायेगा !
Body:पर्यावरण विज्ञान के निदेशक डी सी राणा ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत कुछ गांवों का इको विलेज योजना के तहत विकास किया जाएगा।उन्होंने कहा कि इको विलेज स्मार्ट सिटी की तरह ही स्मार्ट इको विलेजिस होंगे।जिसमे गांवों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उन गांवों में सोलर एनर्जी को लेकर कार्य किया जाएगा।गांवो की अर्थ व्यवस्था को पर्यटन व्यवसाय से कैसे जोड़ा जाए इस पर भी कार्य किया जाएगा अभी तक इसमे 10 गांवो को जोड़ा गया है।उन्होंने बताया कि इसके बाद इस साल 5 ओर नए गांवों को इको विलेजिस को जोड़ा जाएगा और इन गांवों का विकास किया जाएगा।उन्होंने बताया कि आजकल हो रहे पर्यावरण परिवर्तन से निपटने के लिये हमें ग्रामीण स्तर पर अलग अलग तरीके से कार्य करना होगा। इन गांव में सोलेड वेस्ट मैनेजमेंट, जल संरक्षण, पौधारोपण, सोलर एनर्जी जैसे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिए जाने वाले कार्यों पर काम किया जाएगा। इसके लिए विभाग लोगों की सहभागिता को भी बढ़ाएगा।

Conclusion:पांच साल के लिए तैयार की गई योजना

प्इरदेश में बनाए जा रहे ईको विलेज के लिए विभाग द्वारा पांच साल की योजना तैयार की है और योजना पर काम करने के लिए गांव में एक कमेटी का भी गठन किया जाएगा। इसमें लोगों को काम करने की जिम्मेवारी सौंपी जाएगी। उन्हें काम करने के तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। जागरूकता शिविर लगाएं जाएंगे ताकि लोगों को काम के प्रति प्रेरित किया जा सके। उन्हें ऑर्गेनिक खेती की ओर प्रेरित किया जाएगा। सिंचाई के लिए पानी के संरक्षण के तौर तरीकों को अपनाने की जानकारी प्रदान की जाएगी। सिंचाई के लिए स्टोरेज टैंकों का निर्माण करना आदि कई कार्य इसके तहत किए जाएंगे।
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