मंडी: उपमंडल सुंदरनगर की शोझा पंचायत में चुनाव परिणाम के चार महीने बाद ही जनप्रतिनिधियों में आपसी फूट का मामला सामने आया है. यहां उपप्रधान सहित तीन वार्ड सदस्यों ने प्रधान और सचिव पर पंचायत के कार्य में मनमानी करने का आरोप लगाया है. जिसकी शिकायत 9 मई को बीडीओ सुंदरनगर और डीसी मंडी को भी की गई है. इस पर अभी कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है.
प्रधान-सचिव पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप
बीडीओ सहित डीसी से की गई शिकायत में प्रधान और सचिव पर मनमाने ढंग से और तानाशाही पूर्वक पंचायत में कार्य करने का आरोप लगाया गया है. पंचायत की बैठक में उप-प्रधान और तीन वार्ड सदस्यों को विश्वास में नहीं लिया जाता है. इन सभी को मात्र हस्ताक्षर करने तक के लिए सीमित रखा गया है.
'वार्डों में पूछे बिना चल रहे काम'
उपप्रधान सहित तीन वार्ड सदस्यों की मानें तो गत ग्राम सभा की बैठक का प्रस्ताव बिना उनसे चर्चा किए डाला जाता है. जिसका विरोध दर्ज करने पर भी उनकी सुनी नहीं जाती. इसके अतिरिक्त वार्डों में जो कार्य चल रहे हैं, वे सब उनसे पूछे बिना और हस्ताक्षर लिए बिना ही लगाए गए हैं. जिस पर इन चारों जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है. अगर ऐसा नहीं होता है तो मजबूरन न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.
'प्रधान और सचिव का तानाशाही रवैया'
उप प्रधान मोहनलाल ने बताया कि ग्राम पंचायत शोझा में ग्राम सभा की जो बैठक होती है. उसमें प्रधान और सचिव उनसे कोई भी चर्चा नहीं करते हैं. उपप्रधान और अन्य तीन वार्ड सदस्यों के हस्ताक्षर उपस्थिति मात्र को ही लिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि बैठक में प्रस्ताव को भी तानाशाही रवैये से लिखा जा रहा है. इसकी शिकायत 9 मई को बीडीओ सुंदरनगर और डीसी मंडी को की गई है. जिस पर अभी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.
प्रधान ने आरोपों को गलत बताया
शोझा पंचायत के प्रधान लीलाधर का कहना है कि आरोप बिल्कुल गलत है. सभी चुने हुए प्रतिनिधि एक ही परिवार के सदस्य हैं. इसलिए किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद ही प्रस्ताव डाले जाते हैं. अगर कोई समस्या है तो मीटिंग के दिन ही क्यों नहीं ऑब्जेक्शन लगाया गया. वहीं, बीडीओ सुंदरनगर सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि जनप्रतिनिधियों में कुछ गलतफहमी हो गई है.
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