शिमला: हिमाचल प्रदेश में बड़े उद्योगों के न होने के कारण पहाड़ के युवाओं को बाहरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता है. हिमाचल प्रदेश में पहले से ही गिने चुने उद्योग हैं. हिमाचल में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कुछ रियायतें भी दी जाती हैं. आज दो से तीन दशक पहले तक हिमाचल में कुछ गिनी चुनी औद्योगिक इकाइयां ही थी, लेकिन हिमाचल में धीरे धीरे कई बड़ी ओद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं. विशेषकर फार्मा के क्षेत्र में हिमाचल एशिया का सबसे बड़ा हब बनकर उभरा है.
डेढ़ साल में कितने नए उद्योग शुरू हुए ?
बीते दिनों हुए हिमाचल विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान बीजेपी विधायक जनकराज और जीतराम कटवाल ने सरकार से सवाल पूछा था कि, '1 जनवरी 2023 से जून 2024 तक हिमाचल में कितने नए उद्योग शुरू हुए ? प्रदेश से कितनी इकाइयों का पलायन दूसरे राज्यों में हुआ है. उद्योगों के पलायन को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?' सरकार ने अपने जवाब में कहा कि, '1 जनवरी 2023 से 30 जून 2024 तक 5293 नए उद्योग शुरू हुए हैं.
कितने उद्योगों ने किया पलायन ?
इस सवाल के जवाब में सरकार ने जानकारी दी है कि हिमाचल प्रदेश से केवल एक औद्योगिक इकाई ने हिमाचल से पलायन किया है. सरकार के मुताबिक सिर्फ एक इकाई मैसर्ज के. किरण पी. इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने हरियाणा का रुख कर लिया था.
उद्योगों के पलायन का कारण और सरकार के उठाए कदम
बीजेपी विधायकों की ओर से सदन में उद्योगों के पलायन और इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी मांगी गई. जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि उद्योगों का पलायन करना या बन्द होना सरकार के नियन्त्रण में नहीं होता है. सरकार अपनी उद्योग नीति के अन्तर्गत निवेश के लिए अनुकूल माहौल देती है. औद्योगिक नीति 2019 के अन्तर्गत प्रदेश सरकार की ओर से जो प्रोत्साहन नई इकाईयों को दिए जाते हैं वही, प्रोत्साहन 25 प्रतिशत से अधिक पर्याप्त विस्तार करने वाली इकाईयों को भी दिए जाते हैं, ताकि उद्योग बाहर पलायन न कर सकें. औद्योगिक इकाईयों का बंद होना और एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानान्तरित होना सामान्य घटना है, जिससे सरकार के नियंत्रण से इतर भी कई कारण होते हैं. जिनमें प्रमुख है बाजार के उत्पादन की बिक्री का कम होना, अन्य समान औद्योगिक इकाईयों के साथ प्रतिस्पर्धा, निवेशकों की आपसी अनबन, प्रौद्योगिकी उन्नति इत्यादि. वास्तव में उद्योगों की व्यवहार्यता काफी हद तक बाजार की ताकतों पर निर्धारित करती है.'
बड़े उद्योगों को दी जाने वाली एक रुपए की बिजली सब्सिडी खत्म
राज्य सरकार ने बड़े उद्योगों को दी जाने वाली एक रुपए की बिजली सब्सिडी खत्म कर दी है. राज्य में छोटे उद्योग निरंतर काम कर पाएं, इसके लिए सरकार ने उन पर बोझ नहीं डाला है. कुल 22 केवी बिजली उपयोग करने वाले स्माल यूनिट्स की एक रुपए वाली सब्सिडी जारी रहेगी. यही नहीं, छोटे उद्योगों को सहारा देने के लिए सरकार ने इन पर लागू इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को भी 16.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. यानी सीधे साढ़े छह प्रतिशत की कमी की गई है. हिमाचल में बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता उद्योग ही हैं. बीबीएन सहित अन्य इंडस्ट्रियल एरिया में बिजली की खपत कुल राज्य की खपत की 70 फीसदी है. इन सभी उद्योगों को सस्ती बिजली के लिए राज्य सरकार सब्सिडी देती है. इस पर सालाना 900 करोड़ रुपए तक का खर्च होता है. ये खर्च राज्य सरकार उठाती है. अब बड़े उद्योगों को एक रुपए सब्सिडी खत्म करने से खजाने में कम से कम 600 करोड़ रुपए सालाना आएंगे. हिमाचल सरकार के ऊर्जा सचिव राकेश कंवर ने इस सब्सिडी को वापस लेने की पुष्टि की है.