मंडी: जिला मंडी का सबसे बड़ा अस्पताल नर्सों की कमी से जूझ रहा है. वैसे तो जोनल अस्पताल मंडी में स्वीकृत पदों के अनुसार केवल दो ही पद खाली हैं बावजूद इसके नर्सों की भारी कमी है. दरअसल अस्पताल में स्वीकृत नर्सों के पदों के हिसाब से जिले की आबादी बहुत बढ़ गई है. रोजाना अस्पताल में हजारों की तादाद में मरीज़ पहुंचते हैं और नर्सों की कमी का खामियाज़ा मरीजों को भी भुगतना पड़ता है.
आलम यह है कि अस्पताल के नौ सेक्शन चलाने के लिए अस्पताल प्रबंधन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. जोनल अस्पताल मंडी में कई दशकों से नर्सों के स्वीकृत पद 43 हैं जबकि आबादी पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ चुकी है. ऐसे में जोनल अस्पताल मंडी में रोगियों का दबाव भी बढ़ा है लेकिन स्वीकृत पदों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. जिसके चलते मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
वर्तमान स्थिति में जोनल अस्पताल मंडी में कम से कम 60 नर्सों की जरूरत है. जिलाभर में परिवार नियोजन शिविर समेत अन्य कैंप होने पर जोनल अस्पताल मंडी से नर्सें भेजी जाती हैं. ऐसे में अस्पताल में नर्सों की और कमी हो जाती है जो मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनती है. इसके अलावा रोटेशन के अनुसार कुछ नर्स साप्ताहिक अवकाश पर भी होती हैं. वर्तमान में जोनल अस्पताल मंडी में रोजाना ओपीडी एक हजार से अधिक रहती है. जबकि आईपीडी का दवाब भी अधिक रहता है.
स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि जिला मुख्यालय स्थित जोनल अस्पताल में सभी प्रकार की सेवाएं सुचारू रखी जाएं ताकि किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े. वहीं इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी मंडी डॉक्टर जीवानंद चौहान ने बताया कि अस्पताल में नर्सों की कमी है और नर्सों के स्वीकृत 43 पद अब आबादी के अनुसार कम आंके जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जोनल अस्पताल मंडी में नर्सों के पद बढ़ाने के लिए उच्च अधिकारियों को चिट्ठी लिखी गई है.
बता दें कि जोनल अस्पताल मंडी में जिलाभर से उपचार के लिए रोगी पहुंचते हैं. ऐसे में यहां ओपीडी व आईपीडी दोनों ही अधिक रहती है. स्वीकृत पदों के अनुसार नर्सें होने के बावजूद रोगियों की बढ़ती संख्या के अनुसार सेवाएं मुहैया करवाना अब अस्पताल प्रबंधन के लिए चुनौती बनता जा रहा है .
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