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करसोग में महाशिवरात्रि की धूम, दिनभर भोलेनाथ के जयकारों से गूंजते रहे मंदिर - करसोग में शिवरात्रि

करसोग में महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया गया. भक्तों ने अपने आराध्य देव का दूध सहित बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक किया. महाशिवरात्रि के पर्व पर दिनभर मंदिर ओम् नमः शिवाय के उच्चारणों से गूंजते रहे.

MAHASHIVRATRI CELEBRATION IN KARSOG
करसोग में महाशिवरात्रि की धूम
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Published : Mar 11, 2021, 7:31 PM IST

करसोग: करसोग में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. सभी प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिली. सभी प्रमुख मंदिरों ममलेश्वर महादेव मंदिर ममेल, शिवधाम देहरी, पंचवर्कर अलयाड़, सोमेश्वर महादेव मंदिर सोमकोटी, तेबणी महादेव मंदिर व अषणी सहित अन्य मंदिरों में शिवभक्तों की भारी भीड़ रही. महाशिवरात्रि के पर्व पर दिनभर मंदिर ओम् नमः शिवाय के उच्चारणों से गूंजते रहे.

पढ़ेंः- ...जब माकपा विधायक राकेश सिंघा को हाथ जोड़कर मांगनी पड़ी मंत्री सरवीण चौधरी से माफी

आराध्य शिव का किया अभिषेक

भक्तों ने अपने आराध्य देव का दूध सहित बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक किया. बेलपत्र और भगवान शिव का पुराना नाता है. बेलपत्र शिव का प्रिय है. ज्यादातर बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं. माना जाता है कि यह पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक हैं. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव के त्रिनेत्र हैं. सभी शिव मंदिरों में पहले ही बेलपत्र की व्यवस्था की गई थी.

वीडियो.

बेलपत्र चढ़ाने की कहानी

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विष पान किया, तो उनके गले में जलन हो रही थी. बेलपत्र में विष निवारक गुण होते हैं. इसलिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया, ताक‍ि जहर का असर कम हो. मान्‍यता है क‍ि तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

एक अन्‍य कथा के अनुसार, बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं. यानी शिव का ही रूप है, इसलिए बेलपत्र को अत्‍यंत पवित्र माना जाता है. इसके अतिरिक्त शिवलिंग पर फल भी चढ़ाए गए. सभी मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन भी चलते रहे.

ये भी पढ़ें- सीएम जयराम ने दी महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं

करसोग: करसोग में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. सभी प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिली. सभी प्रमुख मंदिरों ममलेश्वर महादेव मंदिर ममेल, शिवधाम देहरी, पंचवर्कर अलयाड़, सोमेश्वर महादेव मंदिर सोमकोटी, तेबणी महादेव मंदिर व अषणी सहित अन्य मंदिरों में शिवभक्तों की भारी भीड़ रही. महाशिवरात्रि के पर्व पर दिनभर मंदिर ओम् नमः शिवाय के उच्चारणों से गूंजते रहे.

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आराध्य शिव का किया अभिषेक

भक्तों ने अपने आराध्य देव का दूध सहित बेलपत्र चढ़ाकर अभिषेक किया. बेलपत्र और भगवान शिव का पुराना नाता है. बेलपत्र शिव का प्रिय है. ज्यादातर बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं. माना जाता है कि यह पत्तियां ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक हैं. वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव के त्रिनेत्र हैं. सभी शिव मंदिरों में पहले ही बेलपत्र की व्यवस्था की गई थी.

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बेलपत्र चढ़ाने की कहानी

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जब विष पान किया, तो उनके गले में जलन हो रही थी. बेलपत्र में विष निवारक गुण होते हैं. इसलिए उन्हें बेलपत्र चढ़ाया गया, ताक‍ि जहर का असर कम हो. मान्‍यता है क‍ि तभी से भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

एक अन्‍य कथा के अनुसार, बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक हैं. यानी शिव का ही रूप है, इसलिए बेलपत्र को अत्‍यंत पवित्र माना जाता है. इसके अतिरिक्त शिवलिंग पर फल भी चढ़ाए गए. सभी मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन भी चलते रहे.

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