करसोग: तत्तापानी में मकर सक्रांति पर बनी वर्ल्ड रिकॉर्ड खिचड़ी की महक भले ही सुर्खियां बटोर रही है, लेकिन प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल में प्रशासन की लाचर व्यवस्था प्रदेश सरकार की विश्व भर में बनी साख पर बट्टा लगा रही है.
विश्व के मानचित्र में पर्यटन की दृष्टि से तत्तापानी को नई पहचान मिले इसके लिए सरकार भले ही प्रयास कर रही है, लेकिन यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है. तत्तापानी क्षेत्र में रोजाना घरों और दुकानों ने निकलने वाले कूड़े को ठिकाने लगाने के लिए प्रशासन के पास कोई इंतजाम ही नहीं है.
ऐसे में मजबूरन लोग सतलुज नदी के किनारे कूड़ा फेंकने को मजबूर हैं. जिस कारण इस पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल में ही सतलुज नदी दूषित हो रही है. जिस गर्म पानी के दम पर सरकार तत्तापानी में पर्यटन को और अधिक विकसित करने का सोच रही है, वही स्नानागार प्रशासन की सुस्ती के कारण बदहाली के आंसू बहा रहे हैं.
स्नानागर तक बनी सड़क के साथ पानी की निकासी के लिए नालियों की हालत खस्ता है. सार्वजनिक शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है. ऐसे में लोगों ने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
जिला परिषद वार्ड 18 बगशाड की सदस्य निर्मला चौहान ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए मुख्यमंत्री को खिचड़ी में ही उलझाए रखा, जबकि लोगों की समस्यायों को सरकार के सामने रखने का मौका ही नहीं दिया गया.
जिस जगह पर हुई थी आरती, वहीं 25 मीटर की दूरी पर कूड़े के ढेर
मकर सक्रांति की संध्या को नदी के किनारे जिस जगह पर सतलुज आरती का आयोजन रखा गया था, उसी स्थान से करीब 25 मीटर की दूरी पर फैली गंदगी से पवित्र सतलुज नदी दूषित हो रही है. ऐसे में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत की मुहिम पर भी प्रशासन के लापरवाही छींटे पड़ने लगे है.
जिला परिषद सदस्य बगशाड निर्मला चौहान का कहना है कि इतने बड़े तीर्थस्थल में न सही ढंग से स्नानागार का निमार्ण किया गया और ना यहां पर महिलाओं के लिए उचित स्नानागार का निर्माण किया गया है. यहां पर सार्वजनिक शौचालय तक कि सही सुविधा नहीं है.
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