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IIT मंडी ने बनाई लक्ष्मणरेखा एप, होम आइसोलेटिड और क्वारंटाइन कोविड मरीजों को करेगी ट्रैक

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Published : Feb 4, 2021, 7:51 PM IST

आईआईटी मंडी ने बायोमेट्रिक सुविधा वाली होम क्वारंटाइन मैनेजमेंट एप्लीकेशन लक्ष्मणरेखा ऐप तैयार की है. जिससे प्रशासन होम आइसोलेटिड और क्वारंटाइन कोरोना मरीजों पर नजर रख सकेगा.

IIT Mandi LaxmanRekha App
होम आइसोलेशन और क्वारंटाइन कोरोना मरीजों की ट्रैकिंग के लिए IIT मंडी ने बनाई लक्ष्मणरेखा ऐप

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने लक्ष्मणरेखा ऐप को अपग्रेड किया है. लक्ष्मणरेखा ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बायोमेट्रिक सुविधा वाली होम क्वारंटाइन मैनेजमेंट एप्लीकेशन (एचक्यूएमए) है, जो खास कर कोरोना मरीजों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है.

एप्लीकेशन बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, जियोफेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तालमेल से क्वारंटाइन में मरीज पर लगातार निगरानी रखने और सटीक पहचान करने में सक्षम है. क्वारंटाइन मैनेजमेंट के अलावा यह एप्लीकेशन कर्फ्यू या किसी राष्ट्रीय आपदा के दौरान सामान्य (गैर-कोविड) मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक ऐसे मोबाइल फोन प्लेटफॉर्म का काम करेगा जिससे उल्लंघन करने वालों या कानून तोड़ने वालों की पहचान हो जाएगी.

ऐप के फंक्शन, स्केलेबलीटी और उपयोगिता बढ़ाने पर हो रहा काम

लक्ष्मणरेखा ऐप के बारे में जानकारी देते हुए आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदित्य निगम ने कहा किे लक्ष्मणरेखा मोबाइल एप्लीकेशन का पायलट वर्जन बनाया है और इसका छोटे डेटासेट पर परीक्षण किया है. इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं और अब हम इसके फंक्शन, ‘स्केलेबलीटी’ और उपयोगिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं ताकि इसे व्यवहार में लाया जा सके.

वर्तमान में उपलब्ध क्वारंटाइन मैनेजमेंट मोबाइल एप्लीकेशन के तहत सेल्फ-आइसोलेशन में लोगों को जीयोफेंसिंग के जरिए नियमित रूप से अपनी तात्कालिक स्थिति शेयर करना होता है या उन्हें हर घंटे या दिन में दस बार चेहरे की सेल्फी को अपलोड करना होता है, लेकिन ये जियोफेंसिंग एप्लीकेशन हर समय उपयोगकर्ता की पहचान सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं क्योंकि लोग सेल फोन आइसोलेशन जोन में छोड़ कर अंदर-बाहर कर सकते हैं, जो सेल्फ-आइसोलेशन के नियमों का उल्लंघन है.

इन फीचर्स पर हो रहा है काम

इसी तरह हर घंटे उस व्यक्ति के चेहरे की सेल्फी अपलोड कर देने से यह सुनिश्चित नहीं होता कि वह जीयोफेसिंग एरिया में है क्योंकि वे अपने रजिस्टर्ड चेहरे की तस्वीर का उपयोग कर सिस्टम की आंखों में धूल झोंक सकते हैं.

इन खतरों को कम करने के लिए लक्ष्मणरेखा किसी व्यक्ति के क्वारंटाइन के स्थान से उसके बायोमेट्रिक डेटा अपलोड करने के स्थान का मिलान करती है. साथ ही, एआई का उपयोग करते हुए यह एप्लीकेशन लगातार एक ऑथेंटिकेशन स्कोर की गणना करता है, जिससे सुनिश्चिता के साथ यह माप होगी कि क्वारंटाइन उपयोगकर्ता ही मोबाइल उपयोग कर रहा है.

कोरोन संक्रमितों पर नजर रखने में प्रशासन को होगी आसानी

यदि एप्लीकेशन उपयोगकर्ता की पहचान बदलने का संकेत देता है, तो सीधे अधिकारियों को यह सूचना पहुंच जाती है ताकि वह उचित कदम उठाए. इस तरह कोरोना के लक्षणों वाले लोगों पर निरंतर नजर रखने और ट्रैक करने की आवश्यकता देखते हुए घर पर क्वारंटाइन मैनेजमेंट सिस्टम में लक्ष्मणरेखा की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

आईईईई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैगजीन में प्रकाशित इस शोध कार्य को वित्तीयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने किया है. इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आदित्य निगम, सहायक प्रोफेसर, कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी शोध पत्र के लेखक हैं.

शोध के डॉ. अर्नव भवसर, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के साथ आईआईटी मंडी के रिसर्च स्कॉलर दक्ष थापर और पीयूष गोयल शोध के सह-परीक्षक हैं. इसमें आईआईटी दिल्ली के डॉ. गौरव जसवाल और बीआईटीएस पिलानी, राजस्थान के डॉ. कमलेश तिवारी और श्री रोहित भारद्वाज का भी सहयोग रहा है.

पढ़ें: किन्नौर में भारी बर्फबारी जारी, माइनस 7 डिग्री तक पहुंचा तापमान

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने लक्ष्मणरेखा ऐप को अपग्रेड किया है. लक्ष्मणरेखा ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए बायोमेट्रिक सुविधा वाली होम क्वारंटाइन मैनेजमेंट एप्लीकेशन (एचक्यूएमए) है, जो खास कर कोरोना मरीजों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है.

एप्लीकेशन बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन, जियोफेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तालमेल से क्वारंटाइन में मरीज पर लगातार निगरानी रखने और सटीक पहचान करने में सक्षम है. क्वारंटाइन मैनेजमेंट के अलावा यह एप्लीकेशन कर्फ्यू या किसी राष्ट्रीय आपदा के दौरान सामान्य (गैर-कोविड) मोबाइल उपयोगकर्ताओं के लिए एक ऐसे मोबाइल फोन प्लेटफॉर्म का काम करेगा जिससे उल्लंघन करने वालों या कानून तोड़ने वालों की पहचान हो जाएगी.

ऐप के फंक्शन, स्केलेबलीटी और उपयोगिता बढ़ाने पर हो रहा काम

लक्ष्मणरेखा ऐप के बारे में जानकारी देते हुए आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदित्य निगम ने कहा किे लक्ष्मणरेखा मोबाइल एप्लीकेशन का पायलट वर्जन बनाया है और इसका छोटे डेटासेट पर परीक्षण किया है. इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं और अब हम इसके फंक्शन, ‘स्केलेबलीटी’ और उपयोगिता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं ताकि इसे व्यवहार में लाया जा सके.

वर्तमान में उपलब्ध क्वारंटाइन मैनेजमेंट मोबाइल एप्लीकेशन के तहत सेल्फ-आइसोलेशन में लोगों को जीयोफेंसिंग के जरिए नियमित रूप से अपनी तात्कालिक स्थिति शेयर करना होता है या उन्हें हर घंटे या दिन में दस बार चेहरे की सेल्फी को अपलोड करना होता है, लेकिन ये जियोफेंसिंग एप्लीकेशन हर समय उपयोगकर्ता की पहचान सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं क्योंकि लोग सेल फोन आइसोलेशन जोन में छोड़ कर अंदर-बाहर कर सकते हैं, जो सेल्फ-आइसोलेशन के नियमों का उल्लंघन है.

इन फीचर्स पर हो रहा है काम

इसी तरह हर घंटे उस व्यक्ति के चेहरे की सेल्फी अपलोड कर देने से यह सुनिश्चित नहीं होता कि वह जीयोफेसिंग एरिया में है क्योंकि वे अपने रजिस्टर्ड चेहरे की तस्वीर का उपयोग कर सिस्टम की आंखों में धूल झोंक सकते हैं.

इन खतरों को कम करने के लिए लक्ष्मणरेखा किसी व्यक्ति के क्वारंटाइन के स्थान से उसके बायोमेट्रिक डेटा अपलोड करने के स्थान का मिलान करती है. साथ ही, एआई का उपयोग करते हुए यह एप्लीकेशन लगातार एक ऑथेंटिकेशन स्कोर की गणना करता है, जिससे सुनिश्चिता के साथ यह माप होगी कि क्वारंटाइन उपयोगकर्ता ही मोबाइल उपयोग कर रहा है.

कोरोन संक्रमितों पर नजर रखने में प्रशासन को होगी आसानी

यदि एप्लीकेशन उपयोगकर्ता की पहचान बदलने का संकेत देता है, तो सीधे अधिकारियों को यह सूचना पहुंच जाती है ताकि वह उचित कदम उठाए. इस तरह कोरोना के लक्षणों वाले लोगों पर निरंतर नजर रखने और ट्रैक करने की आवश्यकता देखते हुए घर पर क्वारंटाइन मैनेजमेंट सिस्टम में लक्ष्मणरेखा की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

आईईईई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैगजीन में प्रकाशित इस शोध कार्य को वित्तीयन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने किया है. इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आदित्य निगम, सहायक प्रोफेसर, कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी शोध पत्र के लेखक हैं.

शोध के डॉ. अर्नव भवसर, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के साथ आईआईटी मंडी के रिसर्च स्कॉलर दक्ष थापर और पीयूष गोयल शोध के सह-परीक्षक हैं. इसमें आईआईटी दिल्ली के डॉ. गौरव जसवाल और बीआईटीएस पिलानी, राजस्थान के डॉ. कमलेश तिवारी और श्री रोहित भारद्वाज का भी सहयोग रहा है.

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