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हिमाचल में बने सामान की तमिलनाडु में मांग, कोरोना काल में आत्मनिर्भर बनीं महिलाएं

कोरोना काल में हिमाचल प्रदेश में महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिला कुल्लू की स्वयं सहायता समूह टिल्डा ने ऐसा ही उदाहरण पेश किया है. एक वर्ष में प्रदेश ही नहीं दूसरे राज्य तमिलनाडु से भी ऑर्डर आ रहे हैं. स्वयं सहायता समूह की आठ महिलाएं रोजाना काम करती हैं. एक महिला औसतन माह में 10 से 20 डिजाइन तैयार करती हैं.

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Published : May 27, 2021, 2:10 PM IST

कुल्लू: कोरोना काल महिलाएं लगातार आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. ऐसा ही कार्य जिला कुल्लू की स्वयं सहायता समूह टिल्डा कर रही हैं. टिल्डा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बैग, फूल के गुच्छे, होम डिजायन के लिए सजावट का समान बना रही हैं.

समूह की महिलाएं हर माह लगभग दो हजार रुपये से अधिक कमाती हैं. समूह की प्रधान की जागरूकता की राह ने गांव की अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया और अब महिलाएं अच्छी आमदानी कमा रही हैं. महिलाएं खेतीबाड़ी व परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ हजारों रुपये कमा रही हैं.

कोरोना काल में आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

समूह की प्रधान मीना देवी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में इसका गठन किया था. इसके बाद गांव की महिलाओं को बैग बनाना, फूल के गुच्छे, होम डिजायन, विभिन्न प्रकार के डिजाइन के नए-नए तरीके सिखाएं. इसमें घरों में बेस्ट, कांच की बोतलों, धागों और व्यर्थ के सामान इकट्ठा कर उनसे कई प्रकार के डिजाइन तैयार करते हैं. जो घरों, होटलों, दुकानों की साज सजावट में काम आते हैं. इसके बाद इन्हें बाजार में बेचते हैं.

बाहरी राज्यों से भी आ रहे ऑर्डर

एक वर्ष में प्रदेश ही नहीं ब्लकि दूसरे राज्य तमिलनाडु से भी ऑर्डर आ रहे हैं. स्वयं सहायता समूह की आठ महिलाएं रोजाना काम करती हैं. एक महिला औसतन माह में 10 से 20 डिजाइन तैयार करती हैं. महिलाओं का कहना है कि पिछले साल से जब कोरोना शुरू हुआ तो महिलाएं घरों से बाहर नहीं जा सकती थी. ऐसे में महिलाओं ने घरों में बैठ कर स्वयं सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया और आज सिलाई, कढ़ाई और फूलों के गुच्छों को बनाकर आत्म निर्भर बन रही हैं.


ये भी पढ़ें: कोरोना से मिले जख्मों पर मरहम, अनाथ बच्चों को पांच लाख व विधवाओं के नाम दो लाख की एफडी करेगी सरकार

कुल्लू: कोरोना काल महिलाएं लगातार आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. ऐसा ही कार्य जिला कुल्लू की स्वयं सहायता समूह टिल्डा कर रही हैं. टिल्डा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बैग, फूल के गुच्छे, होम डिजायन के लिए सजावट का समान बना रही हैं.

समूह की महिलाएं हर माह लगभग दो हजार रुपये से अधिक कमाती हैं. समूह की प्रधान की जागरूकता की राह ने गांव की अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया और अब महिलाएं अच्छी आमदानी कमा रही हैं. महिलाएं खेतीबाड़ी व परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ हजारों रुपये कमा रही हैं.

कोरोना काल में आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

समूह की प्रधान मीना देवी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2020 में इसका गठन किया था. इसके बाद गांव की महिलाओं को बैग बनाना, फूल के गुच्छे, होम डिजायन, विभिन्न प्रकार के डिजाइन के नए-नए तरीके सिखाएं. इसमें घरों में बेस्ट, कांच की बोतलों, धागों और व्यर्थ के सामान इकट्ठा कर उनसे कई प्रकार के डिजाइन तैयार करते हैं. जो घरों, होटलों, दुकानों की साज सजावट में काम आते हैं. इसके बाद इन्हें बाजार में बेचते हैं.

बाहरी राज्यों से भी आ रहे ऑर्डर

एक वर्ष में प्रदेश ही नहीं ब्लकि दूसरे राज्य तमिलनाडु से भी ऑर्डर आ रहे हैं. स्वयं सहायता समूह की आठ महिलाएं रोजाना काम करती हैं. एक महिला औसतन माह में 10 से 20 डिजाइन तैयार करती हैं. महिलाओं का कहना है कि पिछले साल से जब कोरोना शुरू हुआ तो महिलाएं घरों से बाहर नहीं जा सकती थी. ऐसे में महिलाओं ने घरों में बैठ कर स्वयं सहायता समूह बनाने का निर्णय लिया और आज सिलाई, कढ़ाई और फूलों के गुच्छों को बनाकर आत्म निर्भर बन रही हैं.


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