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रक्षाबंधन स्पेशल: अनोखी है यहां की परंपरा, राखी पर रहती है साली की नजर - Rakhi celebrated in unique tradition

राखी का त्योहार कुल्लू में भाई-बहन के प्यार के अलावा जीजा-साली और भाभी-देवर के अनूठे मजाक से भी जुड़ा हुआ है. यहां पलक झपकते ही हाथ से राखी छीन ली जाती है. हालांकि इसे बुरा नहीं माना जाता है क्योंकि यह परंपरा का हिस्सा है.

rakshabandhan festival
अद्भुत परंपरा
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Published : Aug 2, 2020, 7:08 PM IST

कुल्लू: रक्षाबंधन यानी रक्षा की कामना के लिए बहन की ओर से बांधा जाने वाला एक बंधन. यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं. भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में एक दूसरे के साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं.

वहीं, कुल्लू के प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली के कुछ गांव में रक्षाबंधन से लेकर दशहरा तक राखी को लेकर जीजा साली के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है. यहां साली और भाभी को राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है. ताकि भाभी अपने देवर और साली अपने जीजा की कलाई पर बांधी गई राखी को तोड़ सकें.

वीडियो रिपोर्ट

इसमें अगर साली ने अपने जीजा की राखी को दशहरे से पहले तोड़ दिया तो साली की जीत हो जाती है. अगर साली राखी को नहीं तोड़ पाई तो ऐसे में यह जीत जीजा की मानी जाती है और इस जीत को लेकर घर में जश्न भी मनाया जाता है.

कई दशकों से चली आ रही जीजा साली की राखी तोड़ने की अनूठी परंपरा यहां निरंतर जारी है. स्थानीय लोगों के अनुसार मनाली क्षेत्र में करीब दो दशक पहले केवल पुरोहित ही लोगों को राखी बांधते थे, लेकिन अब बहनें अपने भाई को राखी बांधने के लिए उनके घर जाती हैं और वह इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं.

उझी घाटी के स्थानीय लोगों ने बताया कि बहन की ओर से जो भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है उस डोर को दशहरे तक संभाल कर रखना होता है. अगर इससे पहले उनकी भाभी या साली ने राखी तोड़ दी तो पुरुष की हार मानी जाती है.

ग्रामीणों का इस अनूठी परंपरा के पीछे एक तर्क यह भी है कि पुरुष को रक्षा के सारे सूत्र आने चाहिए. अगर पुरुष अपने राखी को दशहरे तक बचाने में कामयाब होता है. तो वह अपनी बहन व समाज की रक्षा करने में भी सक्षम है और ऐसे में हंसी मजाक के बीच इस अनूठी परंपरा का आज भी उझी घाटी के ग्रामीण इलाकों में निर्वहन किया जाता है.

ये भी पढ़ें: बागा सराहन मैदान में बसी हैं मां झराणी, मुराद पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं लोहा

कुल्लू: रक्षाबंधन यानी रक्षा की कामना के लिए बहन की ओर से बांधा जाने वाला एक बंधन. यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं. भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख-दुख में एक दूसरे के साथ रहने का विश्वास दिलाते हैं.

वहीं, कुल्लू के प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली के कुछ गांव में रक्षाबंधन से लेकर दशहरा तक राखी को लेकर जीजा साली के बीच एक अनोखी प्रतियोगिता शुरू हो जाती है. यहां साली और भाभी को राखी का बेसब्री से इंतजार रहता है. ताकि भाभी अपने देवर और साली अपने जीजा की कलाई पर बांधी गई राखी को तोड़ सकें.

वीडियो रिपोर्ट

इसमें अगर साली ने अपने जीजा की राखी को दशहरे से पहले तोड़ दिया तो साली की जीत हो जाती है. अगर साली राखी को नहीं तोड़ पाई तो ऐसे में यह जीत जीजा की मानी जाती है और इस जीत को लेकर घर में जश्न भी मनाया जाता है.

कई दशकों से चली आ रही जीजा साली की राखी तोड़ने की अनूठी परंपरा यहां निरंतर जारी है. स्थानीय लोगों के अनुसार मनाली क्षेत्र में करीब दो दशक पहले केवल पुरोहित ही लोगों को राखी बांधते थे, लेकिन अब बहनें अपने भाई को राखी बांधने के लिए उनके घर जाती हैं और वह इस त्योहार का पूरे साल इंतजार करती हैं.

उझी घाटी के स्थानीय लोगों ने बताया कि बहन की ओर से जो भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है उस डोर को दशहरे तक संभाल कर रखना होता है. अगर इससे पहले उनकी भाभी या साली ने राखी तोड़ दी तो पुरुष की हार मानी जाती है.

ग्रामीणों का इस अनूठी परंपरा के पीछे एक तर्क यह भी है कि पुरुष को रक्षा के सारे सूत्र आने चाहिए. अगर पुरुष अपने राखी को दशहरे तक बचाने में कामयाब होता है. तो वह अपनी बहन व समाज की रक्षा करने में भी सक्षम है और ऐसे में हंसी मजाक के बीच इस अनूठी परंपरा का आज भी उझी घाटी के ग्रामीण इलाकों में निर्वहन किया जाता है.

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