कुल्लू: कोरोना संक्रमण के चलते ढालपुर में मनाए जाने वाले राज्य स्तरीय पीपल जातर उत्सव को लगातार दूसरी साल स्थगित करना पड़ा है. मेले में इस बार सिर्फ देव परंपराओं को ही निभाया गया है. वही, नगर परिषद के पार्षदों में भी देवता के समक्ष हाजिरी भरी.
देवता गौहरी के ढालपुर में आगमन के साथ ही प्रतीकात्मक तौर पर मेले का आगाज हो गया है, लेकिन इस साल मेले में न तो दुकानें लगाई गई हैं न ही लालचंद प्रार्थी कलाकेंद्र में लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठा सकेंगे. कोरोना के चलते मेला स्थगित होने से शहरवासियों में निराशा है. इसके साथ नगर परिषद को भी लाखों की क्षति उठानी पड़ी है.
मेला ना होने से नगर परिषद की घाटा
नगर परिषद कुल्लू को पीपल जातर मेले से लाखों की कमाई होती है. बाहरी राज्यों से व्यापारी यहां प्लॉट खरीदकर करीब एक महीने तक अस्थायी मार्केट लगाकर कारोबार करते थे, लेकिन इस बार यह संभव नहीं हो पाएगा. बुधवार को देवता गौहरी अपने देवालय से ढोल नगाड़ों की थाप पर प्रदर्शनी मैदान के लिए निकले. प्रदर्शनी मैदान में पहुंचने के बाद देवता की ओर यहां देव खेल भी की गई.
3 दिन तक निभाई जाएंगी देव परंपराएं
इसके बाद देवता ढालपुर स्थित अपने मन्दिर में विराजमान हो गए. वही, 3 दिन तक देव परंपरा निभाने के बाद देवता अपने देवालय लौट जाएंगे. नगर परिषद कुल्लू के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण महंत ने कहा कि नगर परिषद कुल्लू ने कोरोना के मामले बढ़ने के बाद पीपल मेले को सूक्ष्म रूप से निभाने का निर्णय लिया और देव परंपराओं को ही निभाया गया. कोरोना के बढ़ते मामलों को देख कर नगर परिषद कुल्लू शहर को सेनेटाइज करने में जुटी हुई है. गौर है कि बीते साल भी कोरोना संक्रमण के चलते पीपल मेला नहीं हो पाया था तो इस साल में सिर्फ देव परंपराओं का निर्वहन किया गया.
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