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कुल्लू बस हादसा: सरकार देती ध्यान, बच जाती 44 लोगों की जान

कुल्लू के बंजार में हुए बस हादसे में 44 लोगों की जान चली गई है. इस हादसे से प्रदेश के 35 गांव में मातम छाया हुआ है.

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Published : Jun 21, 2019, 10:02 AM IST

डिजाइन फोटो

शिमला: कुल्लू बस हादसे में 44 लोगों की जान चली गई है. गुरुवार को हुए इस हादसे से कई घरों में मातम पसर गया है. बंजार से गाड़ागुशैणी जा रही निजी बस बहोट मोड़ के पास गहरी खाई में जा गिरी. इस हादसे में कॉलेज के स्टूडेंट्स समेत 44 लोगों की मौत हो गई.

kullu bus accident
कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

कठिन भोगौलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल में ये पहला हादसा नहीं है. इससे पहले भी सड़क हादसों में हजारों लोग काल का ग्रास बने हैं. बताया जा रहा है कि कुल्लू बस हादसे का घटनास्थल ब्लैक स्पॉट है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से यहां कोई खास प्रबंध नहीं किए गए हैं. वहीं, जहां ये हादसा हुआ वहां सड़क किनारे पैरापिट भी नहीं थे.

kullu bus accident
कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

इसके साथ ही सवाल ये खड़ा होता है कि 42 सीटर बस में 80 से अधिक लोग सवार थे. बस बंजार बाजार से होकर गुजरी, लेकिन ओवरलोडिंग के लिए किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई और बस हादसे का शिकार हो गई. ट्रैफिक व्यवस्था में पैनी नजर रखने के दावों की भी यहां पोल खुली है.

kullu bus accident
कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसे पर PM मोदी और राहुल गांधी ने जताई संवेदना, घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना

कुल्लू बस हादसे का कारण ओवरलोडिंग और चालक की लापरवाही बताया जा रहा है, लेकिन इसके लिए प्रशासन और सरकार भी जिम्मेदार हैं.

kullu bus accident
कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

सड़क दुर्घटनाओं के यूं तो कई कारण हैं, लेकिन हिमाचल में ब्लैक स्पॉट्स के कारण हादसों का खतरा लगातार बना हुआ है. लोक निर्माण विभाग ने अपने स्तर पर जो पड़ताल की है, उसके मुताबिक हिमाचल में 516 ब्लैक स्पॉट्स हैं, लेकिन जीवीके कंपनी के सर्वे में इन स्पॉट्स की संख्या 697 बताई गई है. ब्लैक स्पॉट्स को सुधारने में लोक निर्माण विभाग की चाल सुस्त है. एक साल के अंतराल में विभाग ने कुल 91 स्पॉट्स सुधारे हैं.

प्रदेश सरकार ने ब्लैक स्पॉट्स मैनेजमेंट के लिए लोक निर्माण विभाग को 22 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जारी की है. यदि साल भर के सड़क हादसों का ग्राफ देखा जाए तो हिमाचल में हर साल 1300 के करीब अनमोल जीवन दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ जाते हैं. प्रदेश में इसी साल अप्रैल महीने तक 1200 से अधिक हादसे हुए, जिनमें चार सौ से अधिक लोगों की मौत हुई. अधिकांश हादसे खस्ताहाल सडक़ों, पैरापिट और क्रैश बैरियर की कमी से होते हैं.

ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसे पर हिमाचल परिवहन मंत्री ने जताया शोक, ओवरलोडिंग को बताया हादसे की वजह

हर बार बड़ा सड़क हादसा होने के बाद जांच होती है, लेकिन जांच समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं होता. जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही ब्लैक स्पॉट सुधारने के निर्देश दिए थे. इसके लिए अलग से 22 करोड़ रुपए से अधिक का बजट आवंटित किया गया. जयराम सरकार के कार्यकाल में ही नूरपुर सडक़ हादसे में बच्चों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया था.

उस हादसे में 24 बच्चे मौत का शिकार हुए थे. उसके बाद से भी दुर्घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं है. नेशनल हाईवेज पर भी करीब 90 ब्लैक स्पॉट हैं. लोक निर्माण विभाग की मानें तो इनमें से इसी वर्ष 20 स्पॉट्स ठीक कर दिए गए हैं. राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग ने 17 ब्लैक स्पॉट्स को नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सुधारने के लिए कहा है. यदि जीवीके कंपनी के सर्वे की बात की जाए तो उसके प्रदेश भर में 255 ऐसे स्थान हैं जहां बार-बार सड़क हादसे होते हैं. इसके अलावा करीब 45 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बहुत अधिक दुर्घटनाएं सामने आई हैं.

kullu bus accident
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यहां उल्लेखनीय है कि जीवीके ने सर्वे के लिए दिसंबर 2010 से दिसंबर 2017 के सड़क हादसों का अध्ययन किया था. उसी दौरान ये तथ्य सामने आया था कि सबसे अधिक हादसे वीकेंड के दौरान होते हैं. दिन ढलने पर और रात 9 बजे के बीच में बहुत एक्सीडेंट होते हैं. मई से अगस्त तक के महीनों में अधिक हादसे घटित हुए हैं. लोक निर्माण विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर एमके मिन्हास का कहना है कि 91 स्पॉट्स सुधारे गए हैं, शेष को भी इस साल के अंत तक सुधारने का प्रयास है.

ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसा: घायलों ने लगाया चालक पर आरोप, बस को बचाने की नहीं की गई कोशिश

क्या हैं ब्लैक स्पॉट्स
ब्लैक स्पॉट्स को डैथ पॉइंट भी बोलते हैं. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे या अन्य किसी सड़क के 500 मीटर के दायरे में तीन सालों में कम से कम दो एक्सीडेंट हुए हों और जिसमें 10 से अधिक लोगों को मौत हुई हो, उन्हें ब्लैक स्पॉट बोला जाता है. हिमाचल में नूरपुर हादसे में 24 बच्चों की मौत सहित साल 2015 में जिला किन्नौर में नेशनल हाइवे-5 पर भयावह सड़क दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई थी और 11 लोग गंभीर तौर पर जख्मी हुए थे. वर्ष 2016 में जून महीने में दो दिन के भीतर तीन सड़क हादसों में 41 लोग काल का शिकार हो गए थे. ऐसे-ऐसे कई हादसे हैं, जिन्होंने हिमाचल को गहरे और कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं.

शिमला: कुल्लू बस हादसे में 44 लोगों की जान चली गई है. गुरुवार को हुए इस हादसे से कई घरों में मातम पसर गया है. बंजार से गाड़ागुशैणी जा रही निजी बस बहोट मोड़ के पास गहरी खाई में जा गिरी. इस हादसे में कॉलेज के स्टूडेंट्स समेत 44 लोगों की मौत हो गई.

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कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

कठिन भोगौलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल में ये पहला हादसा नहीं है. इससे पहले भी सड़क हादसों में हजारों लोग काल का ग्रास बने हैं. बताया जा रहा है कि कुल्लू बस हादसे का घटनास्थल ब्लैक स्पॉट है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से यहां कोई खास प्रबंध नहीं किए गए हैं. वहीं, जहां ये हादसा हुआ वहां सड़क किनारे पैरापिट भी नहीं थे.

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कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

इसके साथ ही सवाल ये खड़ा होता है कि 42 सीटर बस में 80 से अधिक लोग सवार थे. बस बंजार बाजार से होकर गुजरी, लेकिन ओवरलोडिंग के लिए किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई और बस हादसे का शिकार हो गई. ट्रैफिक व्यवस्था में पैनी नजर रखने के दावों की भी यहां पोल खुली है.

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ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसे पर PM मोदी और राहुल गांधी ने जताई संवेदना, घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना

कुल्लू बस हादसे का कारण ओवरलोडिंग और चालक की लापरवाही बताया जा रहा है, लेकिन इसके लिए प्रशासन और सरकार भी जिम्मेदार हैं.

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कुल्लू घटनास्थल की तस्वीर

सड़क दुर्घटनाओं के यूं तो कई कारण हैं, लेकिन हिमाचल में ब्लैक स्पॉट्स के कारण हादसों का खतरा लगातार बना हुआ है. लोक निर्माण विभाग ने अपने स्तर पर जो पड़ताल की है, उसके मुताबिक हिमाचल में 516 ब्लैक स्पॉट्स हैं, लेकिन जीवीके कंपनी के सर्वे में इन स्पॉट्स की संख्या 697 बताई गई है. ब्लैक स्पॉट्स को सुधारने में लोक निर्माण विभाग की चाल सुस्त है. एक साल के अंतराल में विभाग ने कुल 91 स्पॉट्स सुधारे हैं.

प्रदेश सरकार ने ब्लैक स्पॉट्स मैनेजमेंट के लिए लोक निर्माण विभाग को 22 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जारी की है. यदि साल भर के सड़क हादसों का ग्राफ देखा जाए तो हिमाचल में हर साल 1300 के करीब अनमोल जीवन दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ जाते हैं. प्रदेश में इसी साल अप्रैल महीने तक 1200 से अधिक हादसे हुए, जिनमें चार सौ से अधिक लोगों की मौत हुई. अधिकांश हादसे खस्ताहाल सडक़ों, पैरापिट और क्रैश बैरियर की कमी से होते हैं.

ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसे पर हिमाचल परिवहन मंत्री ने जताया शोक, ओवरलोडिंग को बताया हादसे की वजह

हर बार बड़ा सड़क हादसा होने के बाद जांच होती है, लेकिन जांच समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं होता. जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही ब्लैक स्पॉट सुधारने के निर्देश दिए थे. इसके लिए अलग से 22 करोड़ रुपए से अधिक का बजट आवंटित किया गया. जयराम सरकार के कार्यकाल में ही नूरपुर सडक़ हादसे में बच्चों की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया था.

उस हादसे में 24 बच्चे मौत का शिकार हुए थे. उसके बाद से भी दुर्घटनाओं का सिलसिला थमा नहीं है. नेशनल हाईवेज पर भी करीब 90 ब्लैक स्पॉट हैं. लोक निर्माण विभाग की मानें तो इनमें से इसी वर्ष 20 स्पॉट्स ठीक कर दिए गए हैं. राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग ने 17 ब्लैक स्पॉट्स को नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सुधारने के लिए कहा है. यदि जीवीके कंपनी के सर्वे की बात की जाए तो उसके प्रदेश भर में 255 ऐसे स्थान हैं जहां बार-बार सड़क हादसे होते हैं. इसके अलावा करीब 45 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बहुत अधिक दुर्घटनाएं सामने आई हैं.

kullu bus accident
डिजाइन फोटो

यहां उल्लेखनीय है कि जीवीके ने सर्वे के लिए दिसंबर 2010 से दिसंबर 2017 के सड़क हादसों का अध्ययन किया था. उसी दौरान ये तथ्य सामने आया था कि सबसे अधिक हादसे वीकेंड के दौरान होते हैं. दिन ढलने पर और रात 9 बजे के बीच में बहुत एक्सीडेंट होते हैं. मई से अगस्त तक के महीनों में अधिक हादसे घटित हुए हैं. लोक निर्माण विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर एमके मिन्हास का कहना है कि 91 स्पॉट्स सुधारे गए हैं, शेष को भी इस साल के अंत तक सुधारने का प्रयास है.

ये भी पढे़ं-कुल्लू बस हादसा: घायलों ने लगाया चालक पर आरोप, बस को बचाने की नहीं की गई कोशिश

क्या हैं ब्लैक स्पॉट्स
ब्लैक स्पॉट्स को डैथ पॉइंट भी बोलते हैं. नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे या अन्य किसी सड़क के 500 मीटर के दायरे में तीन सालों में कम से कम दो एक्सीडेंट हुए हों और जिसमें 10 से अधिक लोगों को मौत हुई हो, उन्हें ब्लैक स्पॉट बोला जाता है. हिमाचल में नूरपुर हादसे में 24 बच्चों की मौत सहित साल 2015 में जिला किन्नौर में नेशनल हाइवे-5 पर भयावह सड़क दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई थी और 11 लोग गंभीर तौर पर जख्मी हुए थे. वर्ष 2016 में जून महीने में दो दिन के भीतर तीन सड़क हादसों में 41 लोग काल का शिकार हो गए थे. ऐसे-ऐसे कई हादसे हैं, जिन्होंने हिमाचल को गहरे और कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं.

प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन 3000दुर्घटनाएं घटती  है। उन्होंने कहा कि इन दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए लोक निर्माण विभागपुलिसपरिवहन विभाग तथा पथ परिवहन निगम को संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 80 प्रतिशत दुर्घटनाएं मानवीय चूक के कारण होती हैंजबकि 15 प्रतिशत दुर्घटनाएं सड़क की खराब हालत व प्रतिकुल मौसम के चलते होती हैं और 5 प्रतिशत दुर्घटनाएं तकनीकी करणों से होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो पहिया वाहनों की सर्वाधिक दुर्घटना के मामले सामने आए हैजबकि मोटर कार दुर्घटनाओं का प्रतिशत 30 से 36 प्रतिशत तथा बसों की दुर्घटनाओं का प्रतिशत 8 से 11 प्रतिशत है।

 मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में 505 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैजो दुर्घटना की दृष्टि से संवेदनशील है। उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक तथा लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को संयुक्त रूप से इन स्थलों का दौरा कर निरीक्षण करने के आदेश दिए ताकि इन स्थलों का सुधार सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने पथ परिवहन विभाग को राज्य में पथ परिवहन निगम की बसों की दुर्घटनाओं के कारणों का तुलनात्मक अध्ययन करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने विभाग को दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक माह के भीतर नीति बनाने को भी कहा।

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