कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जुलाई माह में कुल्लू-मनाली में आई आपदा से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. सबसे अधिक नुकसान कुल्लू जिला में हुआ था. यहां पर मनाली से औट और मणिकर्ण तक 42 जगहों पर ब्यास नदी ने अपना रुख बदला है, जो आने वाले समय में 20 से अधिक गांव के खतरा है. ऐसे में प्रशासन की ओर से इन स्थानों को दुरुस्त करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है.
अब इसमें निर्णय लिया गया है कि पहले ट्रायल के तौर पर दो साइट में कार्य किया जाएगा. इसमें एक साइट मनाली के पास और एक साइट कुल्लू के नजदीक चिन्हित की गई है. दो दिनों में यहां पर ब्यास का रुख पहले वाले स्थान पर किया जाएगा. इसके बाद यहां पर तटीकरण का भी कार्य किया जाएगा. ट्रायल बेस पर अगर यह कार्य सफल रहा तो, इसके बाद 40 स्थानों पर ब्यास के बदले रुख को मोड़ने का कार्य किया जाएगा.
यह कार्य केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के निर्देशों पर किया जा रहा है. इसके लिए पहले सभी विभागों की बैठक की गई. इसमें आईआईटी रुड़की, जल शक्ति विभाग, प्रशासन के सर्वे के बाद इसमें ट्रायल बेस पर कार्य करने का निर्णय लिया गया है. आईआईटी रुड़की की टीम ने जिला प्रशासन की टीम के साथ ब्यास नदी का सर्वे किया था. इसमें मनाली के आलू ग्राउंड में आठ और इसके आगे औट तक 34 जगहों पर ब्यास ने अपना रुख मोड़ा था. इसी आधार पर जिला प्रशासन ने ब्यास में कार्य करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है.
आज कल ब्यास नदी में जल स्तर बहुत कम है. ब्यास नदी में जहां पर मलबा है, उसे निकाला जाएगा और ब्यास नदी को गहरा किया जाएगा. ताकि आने वाले समय में ब्यास नदी से किसी को खतरा न हो सके. ऐसे में इन दिनों ब्यास नदी में जलस्तर बहुत कम है, जिससे कार्य करने में आसानी रहेगी. इसी दौरान यह कार्य प्रशासन को पूरा करना होगा. सर्वे की रिपोर्ट में सबसे अधिक खतरा मनाली, आलू ग्राउंड, पतलीकूहल, लेफ्ट बैंक, बाशिंग, नवोदय स्कूल, रायसन, सेऊबाग, भुंतर जिया, बजौरा के समीप सबसे अधिक खतरा पाया गया है.
कुल्लू जिला में प्राकृतिक आपदा से ब्यास नदी का 42 स्थानों पर रुख बदला है. इसके लिए दो स्थानों पर ट्रायल के तौर पर कार्य किया जाएगा. ट्रायल सफल रहा तो सभी स्थानों को सुरक्षित वापस पहले की तरह किया जाएगा. इसमें ब्यास को और गहरा करने की भी योजना है. :- विकास शुक्ला, एसडीएम, कुल्लू