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मध्यस्थता और सुलह से विवादों के समाधान को मिले बढ़ावा, न्यायालयों पर कम होता है दबाव: कुरियन जोसेफ

पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्थता एवं सुलह से विवादों के समाधान की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि इस व्यवस्था से जहां न्यायालयों में दबाव कम होता है, वहीं दोनों पक्षों में सौहार्द और प्रेमभाव भी कायम रहता है.

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Published : Jun 2, 2019, 8:10 PM IST

कुरियन जोसेफ

कुल्लूः जिला के ढालपुर स्थित अटल सदन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया. समापन समारोह को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्थता एवं सुलह से विवादों के समाधान की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि इस व्यवस्था से जहां न्यायालयों में दबाव कम होता है, वहीं दोनों पक्षों में सौहार्द और प्रेमभाव भी कायम रहता है.

अटल सदन कुल्लू के सभागार में विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र, रेफरल और मध्यस्था प्रक्रिया विषय पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्था से प्राय सिविल मामलों का निपटारा करने की धारणा है, लेकिन इसके कार्य क्षेत्र को और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को जिला कार्यकारी दंडाधिकारी द्वारा अधिक से अधिक मामलों का समाधान करने की आवश्यकता है.

पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ

उन्होंने कहा कि इससे न्यायालय में मामलों का दबाव कम होगा और लोगों को सस्ता न्याय घर द्वार के समीप प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निपटारे के होते हैं जिससे दोनों पक्षों को राहत मिलती है और जीत हार जैसा किसी प्रकार का वैमनस्य नहीं रह जाता है.

वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान की विविध प्रक्रिया मौजूद है. जिस पर मध्यस्थता लोक अदालतें तथा आपसी सुलह विशेष तौर पर चलन है और हर रोज सैकड़ों विवाद का समाधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता से विवाद समाधान के दौरान पक्ष कर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना आपसी झगड़ों का निवारण करते हैं. इसमें मध्यस्थ दोनों पक्षों को सुनने के बाद अन्य न्यायिक ढंग से मामले का निर्णय करता है.

कुल्लूः जिला के ढालपुर स्थित अटल सदन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित सम्मेलन रविवार को समाप्त हो गया. समापन समारोह को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्थता एवं सुलह से विवादों के समाधान की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि इस व्यवस्था से जहां न्यायालयों में दबाव कम होता है, वहीं दोनों पक्षों में सौहार्द और प्रेमभाव भी कायम रहता है.

अटल सदन कुल्लू के सभागार में विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र, रेफरल और मध्यस्था प्रक्रिया विषय पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्था से प्राय सिविल मामलों का निपटारा करने की धारणा है, लेकिन इसके कार्य क्षेत्र को और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को जिला कार्यकारी दंडाधिकारी द्वारा अधिक से अधिक मामलों का समाधान करने की आवश्यकता है.

पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ

उन्होंने कहा कि इससे न्यायालय में मामलों का दबाव कम होगा और लोगों को सस्ता न्याय घर द्वार के समीप प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निपटारे के होते हैं जिससे दोनों पक्षों को राहत मिलती है और जीत हार जैसा किसी प्रकार का वैमनस्य नहीं रह जाता है.

वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान की विविध प्रक्रिया मौजूद है. जिस पर मध्यस्थता लोक अदालतें तथा आपसी सुलह विशेष तौर पर चलन है और हर रोज सैकड़ों विवाद का समाधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता से विवाद समाधान के दौरान पक्ष कर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना आपसी झगड़ों का निवारण करते हैं. इसमें मध्यस्थ दोनों पक्षों को सुनने के बाद अन्य न्यायिक ढंग से मामले का निर्णय करता है.

Intro:मध्यस्थता से विवादों के निपटारे के कार्यक्षेत्र के और विस्तार की सम्भावना: कुरियन जोसेफ

नोट: वीडियो मेल से भेजा गया है।


Body:कुल्लू के ढालपुर स्थित अटल सदन में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्थता एवं सुलह से विवादों के समाधान की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि इस व्यवस्था से जहां न्यायालयों में दबाव कम होता है। वही, दोनों पक्षों में सौहार्द और प्रेमभाव भी कायम रहता है। अटल सदन कुल्लू के सभागार में विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र, रेफरल व मध्यस्था प्रक्रिया विषय पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि मध्यस्था से प्राय सिविल मामलों का निपटारा करने की धारणा है लेकिन इसके कार्य क्षेत्र को और अधिक बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को जिला कार्यकारी दंडाधिकारी द्वारा अधिक से अधिक मामलों का समाधान करने की आवश्यकता है। इससे न्यायालय में मामलों का दबाव कम होगा और लोगों को सस्ता न्याय घर द्वार के समीप प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से निपटारे के होते हैं जिससे दोनों पक्षों को राहत मिलती है और जीत हार जैसा किसी प्रकार का वैमनस्य नहीं रह जाता है।


Conclusion:वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान की विविध प्रक्रिया मौजूद है। जिस पर मध्यक्षता लोक अदालतें तथा आपसी सुलह विशेष तौर पर चलन है और हर रोज सैकड़ों विवाद का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यस्था से विवाद समाधान के दौरान पक्ष कर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना आपसी झगड़ों का निवारण करते हैं ।इसमें मध्यस्थ दोनों पक्षों को सुनने के बाद अन्य न्यायिक ढंग से मामले का निर्णय करता है।
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