कुल्लू: जिले की खराहल घाटी के पुईद गांव के शहीद पैरा ट्रूपर बालकृष्ण की शहादत को एक साल हो गया है. एक साल होने के बाद भी शहीद के सम्मान में कोई स्मारक तो दूर, कोई सरकारी विभाग का अधिकारी श्रद्धांजलि तक देने नहीं आया. बेटे की शहादत के सम्मान में बुजुर्ग मां-बाप ने खुद ही बेटे की प्रतिमा घर के बाहर स्थापित कर दी.
स्मारक की मांग को लेकर सरकार से नहीं आया कोई जवाब
शहीद के परिजनों ने कई बार प्रशासन और सरकार से कुल्लू में स्मारक बनाए जाने की मांग की थी, लेकिन एक साल बाद भी सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया. वहीं, सेना की ओर से कमांड अधिकारी कर्नल नरेश बरमोला ने मौके पर आकर शहीद की प्रतिमा का अनावरण किया और श्रद्धांजलि दी.
सरकार से नहीं मिला शहीद को सम्मान
शहीद के पिता महेंद्र सिंह का कहना है कि आज पूरा एक साल हो गया जब उनके बेटे ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान दे दी. उनका कहना है कि जिला कुल्लू में ऐसे शहीद हैं जिन्होंने अपने देश के लिए जान तो दी लेकिन सरकार की ओर से उन शहीदों को आज तक कोई सम्मान नहीं मिला. सरकार चाहती तो उनकी याद में किसी स्मारक का निर्माण करवा सकती थी.
शहीद के पिता ने बेटे की याद में तैयार किया है एक म्यूजियम
शहीद के परिवार ने खुद दिल्ली में मूर्ति तैयार करवाई. शहीद के सम्मान में मूर्तिकार ने भी प्रतिमा तैयार कर नि:शुल्क परिजनों को सौंपी. महेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने इलाके के अन्य युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक म्यूजियम भी तैयार किया है. इस म्यूजियम में शहीद बालकृष्ण के सेना में प्रशिक्षण के दौरान से लेकर ऑन ड्यूटी तक की सभी चीजें रखी गई हैं. इस तरह से जहां वह अपने बेटे की स्मृतियों को संजोए हुए हैं, तो वहीं अन्य युवाओं को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित करते हैं. महेंद्र सिंह का कहना है कि यह म्यूजियम स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के लिए भी खुला रखा जाएगा और एक बार फिर जिला कुल्लू के शहीदों की याद में स्मारक बनाने की मांग को लेकर सरकार के समक्ष अपनी गुहार रखेंगे.
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