कुल्लू: ढालपुर में जहां अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव (International Kullu Dussehra) मनाया जा रहा है. तो वहीं, सैकड़ों देवी-देवता दशहरा उत्सव की शान बढ़ा रहे हैं. यहां देवी देवता आपस में रिश्तेदारी भी निभा रहे हैं और देवी-देवताओं के भव्य मिलन की प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है. वहीं, मणिकर्ण घाटी के देवता काली नाग, देवता जोड़ा नारायण और देवी रूपासना भी इस साल दशहरा उत्सव की शान बढ़ा रहे हैं.
80 साल बाद दशहरा में आए ये देवता: यह तीनों देवी देवता 80 साल के बाद दशहरा उत्सव में शामिल हुए हैं. देवता काली नाग, माता रूपासना रिश्ते में भाई बहन भी हैं. 8 दशकों के बाद ढालपुर मैदान आए इन देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए रोजाना श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. यहां पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की भी विशेष व्यवस्था की गई है.
बारिश के देवता हैं काली नाग: देवता काली नाग (devta kali naag) व जोड़ा नारायण (devta joda narayan) एक ही रथ में विराजमान हैं. जबकि माता रूपासना का रथ कॉलेज गेट के पास भक्तों को दर्शन दे रहा है. देवता काली नाग बारिश के देवता माने जाते हैं और कहा जाता है कि जब भी घाटी में सूखे की स्थिति पैदा होती है तो श्रद्धालु देवता काली नाग के दरबार में अरदास करते हैं और देवता उससे खुश होकर घाटी में बारिश करते हैं.
माता रूपासना के डर से भाग जाती हैं बुरी आत्माएं: माता रूपासना मणिकर्ण घाटी की 7 देवियों में प्रमुख स्थान (mata rupasana at kullu dussehra) रखती हैं और माता की इलाके में काफी मान्यता भी हैं. मान्यता है कि माता के दरबार में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है. इसके अलावा जिन लोगों में बुरी आत्माओं का साया हो तो वह भी माता के दरबार में जाकर भाग जाता है. लोगों की मान्यता है कि माता के दरबार में जाकर तत्काल प्रभाव से दीन दुखियों को लाभ मिलता है. यही कारण है कि माता के दरबार में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. यहां पर माता के हारियानों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रकार के लंगर की व्यवस्था रहती है.
क्या बोले देवताओं के गुर और पुजारी: देवता काली नाग के पुजारी रिंकू सोनी ने बताया कि बुजुर्गों से उन्हें पता चला है कि देवता 80 सालों के बाद दशहरा उत्सव में भाग लेने आए हैं और यहां पर देवता के दर्शनों के लिए भी सैकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. देवता सभी लोगों की मनोकामना को पूर्ण करने वाले हैं और देवता के सभी त्योहारों को भी प्रमुखता के साथ मनाया जाता है.
वहीं, देवता जोड़ा नारायण के गुर लोत राम का कहना है कि देवता बारिश के लिए जाने जाते हैं. कई बार घाटी में सूखे की स्थिति हुई और लोगों ने देवता से गुहार लगाई. गुहार से प्रसन्न होकर देवता ने घाटी में बारिश की और लोगों को खुशहाली का भी वरदान दिया है. ऐसे में देवता की मणिकर्ण के अलावा अन्य इलाकों में भी काफी मान्यता है.
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