कुल्लू: विद्या, बुद्धि और विवेक की देवी सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी इस साल आज बसंत पंचमी मनाई जा रही है. पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन ज्ञान, कला एवं संगीत की देवी माता सरस्वती की पूजा का विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मनाए जाने वाले बसंत पंचमी पर्व पर 4 अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. मान्यता है कि प्रत्येक शुभ योग में माता सरस्वती की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी. उन्हें ज्ञान, बुद्धि, विद्या, कला, धन, सुख -समृद्धि की प्राप्ति होगी.
पूजा का उत्तम समय: हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी 26 जनवरी को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से शुरू हो चुका है. यह दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक तक मां सरस्वती की पूजा के लिए उत्तम समय होगा. माता सरस्वती की पूजा के लिए भक्तों को 5 घंटे का समय मिलेगा. इस दौराना मां की आराधना कर खुशहाली का वरदान मांगना अच्छा माना जाएगा.
बसंत पंचमी पर ये चार शुभ योग: बसंत पंचमी के दिन 4 शुभ योग- शिव योग, सिद्ध योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है.पंचांग के अनुसार शिव योग 26 जनवरी को सुबह 3 बजकर 10 मिनट से दोपहर 3 बजकर 29 तक रहेगा. सिद्ध योग का निर्माण शिवयोग के समाप्ति के बाद होगा और यह पूर्ण रात्रि रहेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग शाम 6 बजकर 57 मिनट से अगले दिन सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
इस तरह करें पूजा-अर्चना: ज्योतिषाचार्य दीप कुमार ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक जगह मां सरस्वती की प्रतिमा रखें. इसके बाद कलश स्थापित कर सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लेकर पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें स्नान कराएं. माता को पीले रंग के फूल अर्पित कर माला और सफेद वस्त्र पहनाएं, फिर मां सरस्वती का पूरा श्रृंगार करें.
''ॐ श्री महासरस्वत्यै नम:" मंत्र से जाप: माता के चरणों पर गुलाल अर्पित कर पीले फल या फिर मौसमी फलों के साथ-साथ बूंदी चढ़ाएं. माता को मिश्री मिश्रित खीर का भोग लगाएं. सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी हैं. इसलिए पूजा के समय पुस्तकें या फिर वाद्ययंत्रों का भी पूजन करें. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन के बाद हवन किया जाता है. इसलिए मां सरस्वती के ''ॐ श्री महासरस्वत्यै नम:" मंत्र से जाप कर हवन करें.
पीले मीठे चावल का भोग लगाने की परंपरा: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा में पीली ही वस्तुओं का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. ऐसे में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले मीठे चावल का भोग लगाने की भी परंपरा है. इन्हें मीठे केसरी भात भी कहा जाता है. मां को भोग लगाने से वह अति प्रसन्न होती हैं.
केसर -हलवे का भोग: इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा में केसर -हलवा चढ़ाया जाता है. इसे पारंपरिक भोग माना जाता है. मान्यता है कि मां सरस्वती को केसर हलवे का भोग लगाने से सारे कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. वही, मां सरस्वती को बूंदी अतिप्रिय है. इसलिए बसंत पंचमी को मां सरस्वती को पीली बूंदी का भोग लगा सकते हैं. भक्त चाहे तो बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं. वही, बेसन के लड्डू और मालपुआ का भी भोग लगा सकते हैं. इन भोग से मां अति प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
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