किन्नौर: हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वाधान में किन्नौर जिला के मुख्यालय में जैव विविधता पंजिका तैयार करने बारे एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें जिले के पंचायत सचिवों व इस कार्य में पंचायत सचिवों की सहायता के लिए तैनात जीव विज्ञान स्नातकों ने भाग लिया.
सहायक आयुक्त मनीष कुमार शर्मा ने राज्य जैव विविधता बोर्ड से प्रशिक्षण देने आए अधिकारियों का स्वागत किया. उन्होंने जैव विविधता के महत्व पर भी प्रकाश डाला. इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक शुभार बैनर्जी ने कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जैव विविधता पंजिका तैयार करने के तरीकों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पंजिका जैव विविधता अधिनियम 2002 में अंकित प्रावधानों के अनुरूप 25 अगस्त 2020 तक तैयार करनी होगी.
उन्होनें कहा कि पंजीका में दर्शाये गई जानकारी का उल्लेख करना होगा. उन्होनें कहा कि पंजिका में सम्बन्धित पंचायत में उगने वाले पारम्परिक फसलों, वन प्रजातियों जानवरों तथा वैद हकिमो व पारम्परिक चिकित्सा से जुड़े लोगों की जानकारी देनी होगी.
कार्यशाला में हिप्र जैव विविधता के संयुक्त सदस्य सचिव ने भी जैव विविधता के महत्व के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जैव विविधता का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. जैव विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असम्भव है.
उन्होंने कहा कि जैव विविधता संरक्षण का आश्य जैविक संसाधनों के प्रबंधनों से है जिससे उनके व्यापक उपयोग के साथ-साथ उनकी गुणवता बनी रहे. जैव विविधता मानव सभ्यता के विकास का स्तंम्भ है. कार्यशाला में परियोजना अधिकारी जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जयवन्ती ठाकुर नेगी और विकास खंड निचार, कल्पा व पूह के खंड विकास अधिकारी उपस्थित थे.
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