किन्नौर: जिले के ठंगी गांव में फुलाइच यानि फूलों का मेला शुरू हो गया है. स्थानीय लोग ऊंची पहाड़ियों पर नंगे पैर चलकर पहाड़ों से ब्रह्मकमल लाकर अपने स्थानीय देवता रापुक शंकरस को समर्पित करते हैं. फुलाइच मेले में ग्रामीण मंदिर परिसर में एकत्रित होते हैं. इस दौरान सभी ग्रामीण किंन्नौर की पारंपरिक सोने चांदी के आभूषण व अन्य वेशभूषा पहनकर स्थानीय देवता को ऊंचे पहाड़ों से उठाकर लाए हुए शुद्ध ब्रह्मकमल फूल समर्पित कर उनकी पूजा अर्चना करते है.(Himachal Phulaich Fair )
पारंपरिक गीतों से खुश करते देवता को: इस पारंपरिक फुलाइच मेले में देवता समेत ग्रामीण कायंग यानी पहले पुरुष व बाद में महिलाए लाइन में खड़े होकर स्थानीय देवता को पारंपरिक गीतों से खुश करने की कोशिश करते है. ठंगी गांव में वर्ष में एक बार मनाया जाने वाला फुलाइच मेला गांव के आपसी सामंजस्य व देव समाज की परंपरा को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सैकड़ों वर्ष पुराने इस मेले का उद्देश्य गांव की सुख -शांति व समृद्धि कर एकजुटता का संदेश देता है.
5 दिन चलता मेला: फुलाइच मेले के दौरान ठंगी गांव के ग्रामीण खेती बाड़ी व घर के कामकाज को छोड़कर 5 दिन तक केवल फुलाइच मेला मंदिर में मनाते हैं. मेले में पारंपरिक खान- पान का प्रयोग किया जाता है. इस दौरान काफी संख्या में लोग मेले में पहुंचते हैं.
नहीं आने पर लगता जुर्माना: यदि कोई ग्रामीण इस मेले में शिरकत नहीं करता तो देव समाज उक्त ग्रामीण पर जुर्माना लगाने के साथ अन्य कार्यवाही भी कर सकता है. फुलाइच मेले मे बाहरी क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चे व नौकरी पेशा लोगों को भी मेले में आना अनिवार्य माना जाता है. इस मेले के समापन के बाद ही गांव के कार्य शुरू होते और बाहरी क्षेत्र से गांव आए लोग बाहर जा सकते है.
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