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अनछुआ हिमाचल: सचमुच धरती का स्वर्ग है छितकुल, यहां स्थित है हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा

ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम 'अनछुआ हिमाचल' में आज हम आपको किन्नौर के सबसे ऊंचे और अंतिम गांव छितकुल की सैर करवाएंगे. 3450 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस गांव में 16 फीट तक बर्फबारी होती है. प्रकृति के सुंदर नजारों से घिरे छितकुल की सैर बेहद रोमांचक मानी जाती है.

untouched tourist place of himachal, हिमाचल का अछूता पर्यटन स्थल
डिजाइन फोटो.
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Published : Jan 23, 2021, 3:42 PM IST

किन्नौरः छितकुल गांव का नाम छह कुहलों के पानी के नाम पर पड़ा है. मान्यता है कि हजारों साल पहले इस जगह पर पानी की छह कुहलें बहती थी. बाद में जब जलस्तर कम हुआ तो छह कुहल के मध्य एक गांव बस गया, जिसका नाम छितकुल पड़ा. किनौरी भाषा में छित का मतलब छह और कुल का मतलब पानी की कुहल होता है.

छितकुल गांव में ज्यादातर लोग पारंपरिक मकानों में रहते हैं. छितकुल गांव की इष्ट माता छितकुल देवी है, जिनका मंदिर गांव के मध्य में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 500 साल पहले उतराखंड के गढ़वाल के एक निवासी ने किया था.

वीडियो रिपोर्ट.

छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति
छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाता है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है.

किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

छितकुल में आकर्षण का केंद्र
छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

छितकुल में सुविधाओं की कमी
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.

छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील

अगर सरकार छितकुल की समस्याओं की ओर ध्यान दे तो यहां पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ-साथ सरकारी खजाने को भी फायदा होगा और छितकुल की खूबसूरती को चार चांद लग जाएंगे. ईटीवी भारत सरकार से छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील करता है.

ये भी पढ़ें- जिला परिषद चुनाव: सीएम जयराम के सिराज विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की बड़ी हार, पार्टी में हड़कंप

किन्नौरः छितकुल गांव का नाम छह कुहलों के पानी के नाम पर पड़ा है. मान्यता है कि हजारों साल पहले इस जगह पर पानी की छह कुहलें बहती थी. बाद में जब जलस्तर कम हुआ तो छह कुहल के मध्य एक गांव बस गया, जिसका नाम छितकुल पड़ा. किनौरी भाषा में छित का मतलब छह और कुल का मतलब पानी की कुहल होता है.

छितकुल गांव में ज्यादातर लोग पारंपरिक मकानों में रहते हैं. छितकुल गांव की इष्ट माता छितकुल देवी है, जिनका मंदिर गांव के मध्य में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 500 साल पहले उतराखंड के गढ़वाल के एक निवासी ने किया था.

वीडियो रिपोर्ट.

छितकुल की भौगोलिक परिस्थिति
छितकुल गांव की सीमा सांगला वैली से 18 किलोमीटर आगे तिब्बत बॉर्डर से लगती है. गांव के मध्य अधिकतर भाग पर पानी है. छितकुल में अगस्त के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ना शुरू हो जाता है. गांव में अगस्त के बाद लोग ठंड से बचने के लिए आग जलाना शुरू कर देते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में बुखारी जलाना कहा जाता है. सर्दियों के दिनों में गांव की महिलाएं एक साथ बुखारी सेंकती है.

किन्नौर में सभी ग्रामीण क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब है, लेकिन छितकुल एक ऐसा गांव हैं, जहां सेब नहीं होते. अधिक ऊंचाई और ठंड की वजह से यहां सेब के पौधे सफल नहीं होते. ग्रामीणों की मुख्य फसल ओगला व फाफड़ा है. छितकुल में चौड़े-चौड़े खेतों में लहलहाते रंग-बिरंगे ओगला, फाफड़ा की फसल पर्यटकों का मन मोह लेती है.

छितकुल में आकर्षण का केंद्र
छितकुल गांव में हर साल 22 हजार की तादाद में पर्यटक आते हैं. छितकुल में हिंदुस्तान का आखिरी ढाबा, बर्फ से ढकी ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, बसपा नदी के आसपास बने हट्स, छितकुल देवी का मंदिर, स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों वर्ष पुराने लकड़ी के मकान, ट्रेकिंग प्वॉइंट, रानी कंडा, बॉर्डर पर आईटीबीपी कैंप, लहलहाते ओगला-फाफड़ा के खेत, स्थानीय देवी का किला, लालनती स्थल मुख्य आकर्षण का केंद्र है.

छितकुल में सुविधाओं की कमी
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण छितकुल घुमने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. छितकुल में संचार सुविधा न के बराबर है. छितकुल जाने वाली सड़कों की हालत बेहद खस्ता है.

छितकुल में करीब 16 फीट बर्फबारी होती है और चार महीने तक इस गांव के लोग बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ऐसे में गांव में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में केवल बीएसएनएल संचार सुविधा है. आज के समय में जहां दुनियां 5जी नेटवर्क से रुबरू होने वाली है वहीं, घाटी में 2जी नेटवर्क की सुविधाएं भी ढंग से नहीं मिल पाती.

छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील

अगर सरकार छितकुल की समस्याओं की ओर ध्यान दे तो यहां पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ-साथ सरकारी खजाने को भी फायदा होगा और छितकुल की खूबसूरती को चार चांद लग जाएंगे. ईटीवी भारत सरकार से छितकुल में सुविधाओं को बढ़ाने की अपील करता है.

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